केशवरायपाटन (बूंदी). बूंदी जिले के दो बच्चों की मौत कोटा के जेके लोन अस्पताल में हुई हैं. मृतक के परिजनों ने अस्पताल प्रशासन पर घोर लापरवाही का आरोप लगाया है. बूंदी के केशवरायपाटन के ठीमली गांव के परिवार का चिराग जेके लोन अस्पताल ने बुझा दिया. गांव का 8 वर्षीय बालक जोगेंद्र मीणा भी अस्पताल व्यवस्थाओं और चिकित्सकों की लापरवाही की भेंट चढ़ गया.
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परिजनों का आरोप, ऑक्सीजन नहीं होने से मौत
जोगेंद्र के परिजनों का आरोप है कि 22 दिसंबर को जब बच्चे को कोटा की जेके लोन अस्पताल में लेकर गए थे, तो वहां देर रात्रि ऑक्सीजन नहीं होने के चलते बच्चे ने तड़प-तड़प दम तोड़ दिया, बताया जा रहा है कि जिस दिन बच्चे को भर्ती करवाया था, उसी रात को बच्चे की मौत हो गई. परिजनों ने बताया कि अस्पताल में बड़ी लापरवाही है और इसी लापरवाही के चलते उन्होंने अपने बेटे को खो दिया.
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8 वर्षीय जोगेंद्र का गुनहगार जेके लोन अस्पताल!
परिजन बताते हैं कि जोगेंद्र मीणा कक्षा 4 का छात्र था और पढ़ाई में काफी होनहार था और उसकी बुआ के यहां पर वह रहकर पढ़ाई कर रहा था, वैसे तो जोगेन्द्र मीणा ठीमली गांव का निवासी था, लेकिन ठीमली गांव में स्कूल नहीं होने के चलते वह उसके बुआ के पास जालेड़ा गांव में रहकर पढ़ाई कर रहा था. ऐसे में अचानक से उसको 22 दिसंबर को बुखार आया और परिजन उसे 22 दिसंबर की रात को कोटा के जेके लोन अस्पताल लेकर पहुंचे, जहां पर देर रात्रि लापरवाही के चलते ऑक्सीजन नहीं मिलने के कारण उसकी मौत हो गई. जैसे ही 8 वर्षीय जोगेंद्र की मौत हुई तो, परिवार में मातम छा गया और सभी का रो रो कर बुरा हाल हो गया.
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पिता मजदूरी कर चलाते है घर का खर्चा
जोगेंद्र के पिता नन्द बिहारी मजदूरी करते हैं, उनके दो पुत्र थे और पहला पुत्र जोगेंद्र मीणा था. जिस की तबीयत खराब होने के चलते मौत हो गई और समय पर उसका इलाज नहीं हो पाया और आज उनके बीच में नहीं है. महज 24 घंटे में आए बुखार के बाद गरीब परिवार के परिजन उसे लेकर जेके लोन अस्पताल पहुंचे, जहां अस्पताल की लापरवाही ने उने कुल के दीपक को बुझा दिया.