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स्पेशल रिपोर्ट: पहले कुदरत ने किसानों को मारा, अब फसलों के दाम दे रहे टेंशन

धान की आवक बूंदी कृषि उपज मंडी में आना शुरू हो गई है, लेकिन शुरुआती दौर में किसानों को धान की फसल का पूरा दाम नहीं मिल पा रहा है. जिसके चलते किसान चिंतित नजर आ रहे हैं. मजबूरन उनके पास कोई दूसरा रास्ता नहीं होने के कारण औने-पौने दामों पर अपनी फसल को बेचना पड़ रहा है.

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Published : Oct 18, 2019, 4:43 PM IST

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बूंदी. कुंवारती कृषि उपज मंडी में धान के दामों में गिरावट आने से किसानों के चेहरे पर चिंता की लकीरें छा गई हैं. मंडी में धीरे-धीरे धान की आवक बढ़ने लगी है, लेकिन पिछले सप्ताह के मुकाबले मंगलवार-बुधवार को लगातार दाम गिरते हुए नजर आए और करीब 500 रुपये से अधिक की गिरावट देखी गई. जिससे किसान चिंतित नजर आ रहे हैं.

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धान की आवक बढ़ गई, लेकिन कीमत अभी भी कम

गौरतलब है कि बूंदी कृषि उपज मंडी में धान की सबसे ज्यादा आवक होती है और यह अब धीरे-धीरे बढ़ने भी लगी है. यहां 18 बड़ी-बड़ी राइस मिल्स चल रही है. इन मिलों में हजारों टन बोरी चावल का पड़ा हुआ है. मंडी में सोमवार को धान की आवक आने का सिलसिला शुरू हुआ जो बुधवार को 10 हजार बोरियों से अधिक तादाद में पहुंच गया. लेकिन माल के दाम पूरे नहीं मिलने के चलते किसानों को परेशानियों का सामना करना पड़ा.

फसलों के कम दाम से किसान परेशान

पढ़ें- किसानों को बताए कम खर्च में खेती से अधिक लाभ प्राप्त करने के तरीके

किसानों को नहीे मिल रहा फसलों का सही दाम

हर साल बूंदी की कृषि उपज मंडी में पूरे जिले से 50 हजार से अधिक बोरियां धान की आती हैं और भाव 3 हजार से अधिक भी कई बार धान की फसल का मिलता है. लेकिन शुरुआती दौर में ही 2 हजार से कम दाम किसानों को रुला रहे हैं.

पढे़ं- किसानों को जिप्सम और लाइम स्टोन के खनन पट्टे देने के लिए योजनाबद्ध तरीके से काम करेगी सरकार: राजस्व मंत्री

किसान लगा रहे प्रशासन से गुहार

किसानों का कहना है कि सरकार हमारी पीड़ा को सुने और जल्द ही कोई ऐसी व्यवस्था करवाए, ताकि हमारे धान को अच्छे दामों में खरीद लिया जाए. आपको बता दें कि इसी वर्ष भारी बारिश के चलते काफी नुकसान बूंदी के किसानों को झेलना पड़ा है. किसानों का कहना है कि पहले कुदरत ने हमें मारा, अब दाम हमें मार रहे हैं. उनका कहना है कि कम से कम सामान्य दाम ही हमें मिल जाए, लेकिन ऐसा भी नहीं हो रहा है. रोज दाम गिरता हुआ नजर आ रहा है.

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किसानों की आर्थिक स्थिति भी हो रही खराब

किसानों का कहना है कि सरकार हमारी जो फसलें खराब हुई हैं इसके लिए एक नीति बनाए. ऐसी गीलापन वाली धान की फसल को नियम तय कर उसकी राशि तय कर दे. किसानों ने सरकार से मांग की है कि जल्द से जल्द उनकी इस समस्या का निस्तारण करवाए वरना वह फिर से कर्ज के तले दबे रह जाएंगे. अब देखना यह होगा कि किसानों की मांग प्रशासन पूरी करता है या नहीं.

बूंदी. कुंवारती कृषि उपज मंडी में धान के दामों में गिरावट आने से किसानों के चेहरे पर चिंता की लकीरें छा गई हैं. मंडी में धीरे-धीरे धान की आवक बढ़ने लगी है, लेकिन पिछले सप्ताह के मुकाबले मंगलवार-बुधवार को लगातार दाम गिरते हुए नजर आए और करीब 500 रुपये से अधिक की गिरावट देखी गई. जिससे किसान चिंतित नजर आ रहे हैं.

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धान की आवक बढ़ गई, लेकिन कीमत अभी भी कम

गौरतलब है कि बूंदी कृषि उपज मंडी में धान की सबसे ज्यादा आवक होती है और यह अब धीरे-धीरे बढ़ने भी लगी है. यहां 18 बड़ी-बड़ी राइस मिल्स चल रही है. इन मिलों में हजारों टन बोरी चावल का पड़ा हुआ है. मंडी में सोमवार को धान की आवक आने का सिलसिला शुरू हुआ जो बुधवार को 10 हजार बोरियों से अधिक तादाद में पहुंच गया. लेकिन माल के दाम पूरे नहीं मिलने के चलते किसानों को परेशानियों का सामना करना पड़ा.

फसलों के कम दाम से किसान परेशान

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किसानों को नहीे मिल रहा फसलों का सही दाम

हर साल बूंदी की कृषि उपज मंडी में पूरे जिले से 50 हजार से अधिक बोरियां धान की आती हैं और भाव 3 हजार से अधिक भी कई बार धान की फसल का मिलता है. लेकिन शुरुआती दौर में ही 2 हजार से कम दाम किसानों को रुला रहे हैं.

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किसान लगा रहे प्रशासन से गुहार

किसानों का कहना है कि सरकार हमारी पीड़ा को सुने और जल्द ही कोई ऐसी व्यवस्था करवाए, ताकि हमारे धान को अच्छे दामों में खरीद लिया जाए. आपको बता दें कि इसी वर्ष भारी बारिश के चलते काफी नुकसान बूंदी के किसानों को झेलना पड़ा है. किसानों का कहना है कि पहले कुदरत ने हमें मारा, अब दाम हमें मार रहे हैं. उनका कहना है कि कम से कम सामान्य दाम ही हमें मिल जाए, लेकिन ऐसा भी नहीं हो रहा है. रोज दाम गिरता हुआ नजर आ रहा है.

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किसानों की आर्थिक स्थिति भी हो रही खराब

किसानों का कहना है कि सरकार हमारी जो फसलें खराब हुई हैं इसके लिए एक नीति बनाए. ऐसी गीलापन वाली धान की फसल को नियम तय कर उसकी राशि तय कर दे. किसानों ने सरकार से मांग की है कि जल्द से जल्द उनकी इस समस्या का निस्तारण करवाए वरना वह फिर से कर्ज के तले दबे रह जाएंगे. अब देखना यह होगा कि किसानों की मांग प्रशासन पूरी करता है या नहीं.

Intro:बूंदी में धान की आवक बूंदी कृषि उपज मंडी में आना शुरू हो गई है लेकिन शुरुआती दौर में किसानों को धान की फसल का पूरा दाम नहीं मिल पा रहा है जिसके चलते किसान चिंतित नजर आ रहे हैं और उनके चेहरे पर चिंता की लकीरें खिंच गई है । मजबूरन किसानों के पास कोई दूसरा रास्ता नहीं होने के चलते किसानों को औने पौने दामों पर अपनी फसल को बेचना पड़ रहा है । किसानों का कहना है कि सरकार हमारी पीड़ा को सुने और जल्द ही कोई ऐसी व्यवस्था करवाएं ताकि हमारे धान को अच्छे दामों में खरीद लिया जाए । आपको बता दें कि इसी वर्ष भारी बारिश के चलते काफी नुकसान बूंदी के किसानों को झेलना पड़ा है ।


Body:बूंदी । कुँवारती कृषि उपज मंडी में धान के दामों में गिरावट रहने से किसानों के चेहरे पर चिंता की लकीरें नजर आई है। जानकारी के अनुसार मंडी में धीरे-धीरे धान की आवक बढ़ने लगी है लेकिन पिछले सप्ताह के मुकाबले मंगलवार - बुधवार को लगातार दाम गिरते हुए नजर आए और करीब 500 से अधिक रुपए की गिरावट इस दौरान देखी गई जिससे किसान चिंतित नजर आए । आपको बता दें कि बूंदी कृषि उपज मंडी में धान की सबसे ज्यादा आवक होती है और धान की फसल की आवक अब धीरे-धीरे बूंदी कृषि मंडी में बढ़ने लगी है । बूंदी धान उत्पादन में अग्रणी है और 90 प्रतिशत भाग चावल का निर्यात होता है तथा बूंदी में 18 बड़ी राइस मिल्स चल रही है । इस मिलो में हजारों टन बोरी चावल का पड़ा हुआ है। बूंदी कृषि उपज मंडी में सोमवार को धान की आवक आने का सिलसिला शुरू हुआ जो बुधवार को 10 हजार बोरियों से अधिक तादाद में पहुंच गया लेकिन माल के दाम पूरे नहीं मिलने के चलते किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ा । जानकारी के अनुसार बूंदी में इस वर्ष काफी बारिश हुई जिसके चलते 1 लाख 500 हेक्टेयर से अधिक भूमि में खड़ी फसल तबाह हो गई पूरी तरह से बर्बाद हो गई । लेकिन बचे कूचे किसान अपनी फसलों को लेकर बूंदी की कृषि उपज मंडी में पहुंच रहे हैं लेकिन नुकसान से और नुकसान की दंश झेल रहे किसान दाम सुनकर परेशान और चिंतित हो रहे हैं । उनका कहना है कि पहले कुदरत ने हमें मारा अब दाम हमें मार रहे हैं हमें लूट रहे हैं कम से कम सामान्य दाम ही हमें मिल जाए लेकिन ऐसा भी नहीं हो रहा है रोज दाम गिरता हुआ नजर आ रहा है । आपको यहां बता दें कि बारिश होने के चलते बूंदी जिले में धान की फसलों में नमी आ गई है गीलापन आ गया है जिसके चलते कृषि उपज मंडी में धान में गीलापन आने से व्यापारी नीलामी के दौरान अपने मन मुताबिक राशि लगाकर धान को खरीद रहे हैं। कर्ज में डूबा किसान उसी राशि में अपना धान बेच रहा है क्योंकि ऐसी कोई व्यवस्था नहीं जिस पर जाकर किसान अपना धान भेज दे एक मंडी के व्यापारी ऐसे हैं जहां धान किस रेट पर व्यापारी द्वारा फाइनल कर दिया जाता है उसी रेट पर उन्हें देना पड़ रहा है और यही चिंता किसानों को खाई जा रही है । मंडी में व्यापारी 1500 से लेकर 1900 तक धान की फसल को खरीद रहे हैं और कई बार तो इससे भी नीचे किसानों का धान खरीदा गया है । जबकि किसानों के अनुसार उस फसल का 3000 से ऊपर दाम मिले तब जाकर किसान अपनी मेहनत मजदूरी निकाल सकेगा लेकिन बूंदी की कृषि मंडी में ऐसा नहीं हो रहा है । व्यापारी नीलामी के दौरान 2,000 से अधिक दाम में फसल को खरीदी नहीं रहे हैं जिससे किसान चिंतित है । जानकारी के अनुसार मंगलवार को बूंदी कृषि उपज मंडी में 2450 रुपए की लागत से व्यापारी द्वारा धान खरीदा गया था लेकिन आज बुधवार को वह टूटकर 1950 ही रह गया या नहीं सीधा-सीधा ₹500 का नुकसान किसानों को छेड़ना पड़ा । किसानों का यही कहना है कि दिन प्रतिदिन दाम बढ़े लेकिन बूंदी में दाम लगातार घटता जा रहा है जो कि हमारे लिए चिंता का विषय है । किसान अपने धान को हर हाल में लेने के लिए उम्मीद लगाए बैठे हैं किसानों ने उम्मीद नहीं छोड़ी है और धान को एक दिन व्यापारियों को नहीं भेजते हुए मंडी में ही छोड़ दिया जा रहा है वह इसलिए कि दूसरे दिन दूसरा व्यापारी अच्छा दाम लगा कर चला जाए लेकिन व्यापारी है कि किसान के मुताबिक दाम दे ही नहीं पा रहा है । मजबूरन किसान को अपना धान बेचना पड़ रहा है और किसान कर्ज के दबे तले अपनी फसल को बेचकर घर पहुंच रहा है ।


Conclusion:हर वर्ष बूंदी की कृषि उपज मंडी में पूरे बूंदी जिले से 50,000 से अधिक बोरिया धान की आती है और भाव 3000 से अधिक भी कई बार धान की फसल का मिला है लेकिन शुरुआती दौर में ही 2000 से कम दाम किसानों को रुला रहा है और चिंता की लकीर उनके सामने खड़ी हो गई है। किसानों का कहना है कि सरकार हमारी जो फसले खराब हुई है इसके लिए एक नीति बनाएं और ऐसी गीलापन वाली धान की फसल को नियम तय करके उसकी राशि तय कर दें ताकि किसानों को नुकसान नहीं हो सके यहां तो रोज 500 से अधिक राशि गिरकर किसानों को दामों में मिल रही है जो कि काफी नुकसान किसानों को हो रहा है । किसानों ने कहा कि इस फसल की उपज एक बीघा में करने के लिए ₹15000 की लागत हमें पड़ती है । खाद ,बीज ,जुदाई ,हकाई वह मंडी में लाने के लिए ट्रैक्टर ट्रॉली सहित काफी खर्चा होता है लेकिन हमें दाम कम मिल रहे हैं तो हम हमारे ट्रैक्टर ट्रॉली का मंडी में लाने का खर्च भी नहीं निकाल पा रहे हैं जो कि चिंता का विषय है । किसानों ने सरकार से मांग की है कि जल्द से जल्द उनकी इस समस्या का निस्तारण करवाएं वरना वह फिर से कर्ज के तले दबे हुए चले । बाईट - किशन लाल ,किसान बाईट - शंकर लाल ,किसान बाईट - गुरूपेज ,किसान बाईट - रमेश , किसान
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