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बूंदी का एक ऐसा बांध जो खुद ही पी गया पानी, हैरान कर देगा कारण

प्रदेश में इस वर्ष जब बारिश हुई तो हर जगह बांध लबालब हुए, लोगों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. गर्मियों में होने वाली पानी की कमी की शिकायत सभी को दूर होती दिख रही थी. लेकिन, बूंदी के सथूर माताजी लघु परियोजना में लापरवाही के कारण लोगों और किसानों की उम्मीदों पर पानी फिर गया.

बूंदी बांध न्यूज, Bundi Dam News
बूंदी का एक ऐसा बांध जो खुद ही पी गया पानी
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Published : Mar 17, 2020, 12:02 AM IST

बूंदी. राजस्थान में पिछले वर्ष के मानसून ने सभी बांधों को लबालब कर दिया था. बूंदी के 24 बांधों में भी इस बार क्षमता से अधिक पानी आया था. लेकिन अब हम एक ऐसे बांध की बात आपको बता रहे हैं, जो इस मानसून में लबालब तो हुआ, लेकिन वक्त से पहले ही खाली भी हो गया. यह कहने में कोई हर्ज नहीं होगा कि बांध ही पानी पी गया. सुनने में भले ही अजीब लगे लेकिन बारिश में पूरी तरह लबालब हुए बांध के पानी को सिंचाई के लिए देने से पहले ही खाली हो जाने से किसान और अभियंता भी हैरानी में पड़ गए हैं.

बूंदी का एक ऐसा बांध जो खुद ही पी गया पानी

दरअसल, बूंदी जिले के सथूर माताजी लघु सिंचाई परियोजना की चंद्रभागा नदी पर बना यह बांध इस बार बारिश में पूरी तरह से लबालब हो गया था. तब किसानों और ग्रामीणों को बांध में सिंचाई के लिए पानी मिलने और क्षेत्र का जलस्तर गर्मी तक बने रहने में मदद की उम्मीद जगी थी. लेकिन पठारी इलाका होने के कारण पानी जमीन तले वेस्टेज इलाके में निकल गया और 13 फीट की भराव क्षमता रखने वाला यह बांध पूरी तरह से खाली हो गया.

पढ़ें- भीलवाड़ाः धूमधाम से निकली 'जिंदा' पुरुष की शव यात्रा

किसानों को थी काफी उम्मीदें..

किसानों और ग्रामीणों ने काफी उम्मीदें इस बांध से लगाई थी, लेकिन यह बांध वक्त के साथ किसानों और ग्रामीणों को धोखा दे गया. अब यहां पर पानी की एक बूंद तक नहीं बची है जिससे किसान और ग्रामीण उस पानी का उपयोग कर सकें. करोड़ों की लागत से तैयार हुए इस परियोजना के काश्तकारों के काम नहीं आने को लोग अब गंभीरता से ले रहे हैं.

बांध के पानी से इन गांवों की बुझनी थी प्यास...

सथूर माताजी लघु सिंचाई परियोजना से करीब 12 से ज्यादा गांवों को आस थी कि उन्हें इस बांध से लाभ मिलेगा, लेकिन उन्हें लाभ नहीं मिला. इस बांध से सथूर ,बड़ोदिया, बोरखंडी से लेकर करीब 19 किलोमीटर पाइपलाइन बिछाई जानी है, जिससे 173 हेक्टेयर में लिफ्ट से सिंचाई होगी. सथूर, नाटावा, हरीपुरा ,भीलों का झोंपड़ा, जागा का झोंपड़ा, बड़ोदिया बोरखंडी, टिकरदा, रामचंद्र जी का खेड़ा, त्रिशुल्या, दाता, धनावा, राम निवास के ग्रामीणों को इस बांध से पानी की आस थी. अब यह गांव एक घर की प्यास भी नहीं बुझा सकता.

निर्माण के समय उठा था सवाल...फिर भी हुआ खाली

बांध का निर्माण शुरू होने पर जानकारों ने गुणवत्ता पर सवाल खड़े किए थे, तब बांध की नींव में सीमेंट मिलाने का निर्णय हुआ था, लेकिन इस काम में कोताही बरती गई. आसपास चट्टानी इलाका होने से किसानों का तर्क था कि गुणवत्ता पर ध्यान नहीं रखा गया तो बांध किसी काम का नहीं रहेगा. बावजूद इसके इस पर किसी ने गौर नहीं किया और पठार इलाके में इस बांध को बना दिया गया. जिसके चलते यह बांध भरा और पठारी इलाका होने के चलते पानी जमीन तले वेस्टेज इलाके में निकल गया और 13 फीट की भराव क्षमता रखने वाला यह बांध पूरी तरह से खाली हो गया.

यह कहना है बूंदी कलेक्टर का...

बूंदी कलेक्टर मुरलीधर प्रतिहार का कहना है, कि इस निर्माण कार्य में लापरवाही बरती गई है. उनका कहना है कि बांध के निर्माण के दौरान जो मापदंड तय किए जाते हैं, वह तय नहीं किए गए थे. जिसके चलते यह बांध लापरवाही की भेंट चढ़ गया और उसमें पानी पूरी तरह से सूख गया. उन्होंने आश्वासन देते हुए कहा कि पूरी मामले की रिपोर्ट देखी जा रही है और रिपोर्ट मंगाकर कार्रवाई भी की जाएगी.

लंबे संघर्ष के बाद बना बांध चढ़ा लापरवाही की भेंट...

वर्ष 1995 से लगातार क्षेत्र में ग्रामीण चंद्रभागा नदी पर बांध बनाने की मांग कर रहे थे. 15 वर्ष तक परियोजनों के लिए वन विभाग ने स्वीकृति नहीं दी. वर्ष 2015 में परियोजना का निर्माण कार्य शुरू किया गया था, जो करीब डेढ़ वर्ष बाद पूरा कर लिया गया था. बांध के निर्माण में 3 करोड 77 ₹ की लागत आई. वर्ष 2018 में कम बारिश के चलते बांध में पानी की आवक कम हुई थी, तब बांध का पानी 20 दिन बाद ही खाली हो गया था. ग्रामीणों ने तब भी सवाल खड़े किए थे, लेकिन जिम्मेदारों ने इस पर गौर नहीं किया.

पढ़ें- कोरोना वायरस ने खराब किया राजनीतिक पर्यटकों का मजा, गुजरात कांग्रेस के विधायक नहीं निकल रहे होटल से बाहर

जब 2019 में पूरे प्रदेश में मानसून अपने चरम पर था और बूंदी के सभी 24 बांधों में लगातार पानी की आवक हो रही थी, तो सथूर माताजी लघु सिंचाई परियोजना वाले बांध में भी पानी आ गया. करीब 13 फीट की भराव क्षमता रखने वाला यह बांध पूरा लबालब हो गया. मानसून चला गया और उसके साथ ही यह बांध रीतना शुरू हो गया और दिसंबर माह में करीब 5 से 7 फीट पानी इस बांध से निकल गया और कुछ माह बाद यह बांध पूरी तरह से खाली हो गया.

बूंदी. राजस्थान में पिछले वर्ष के मानसून ने सभी बांधों को लबालब कर दिया था. बूंदी के 24 बांधों में भी इस बार क्षमता से अधिक पानी आया था. लेकिन अब हम एक ऐसे बांध की बात आपको बता रहे हैं, जो इस मानसून में लबालब तो हुआ, लेकिन वक्त से पहले ही खाली भी हो गया. यह कहने में कोई हर्ज नहीं होगा कि बांध ही पानी पी गया. सुनने में भले ही अजीब लगे लेकिन बारिश में पूरी तरह लबालब हुए बांध के पानी को सिंचाई के लिए देने से पहले ही खाली हो जाने से किसान और अभियंता भी हैरानी में पड़ गए हैं.

बूंदी का एक ऐसा बांध जो खुद ही पी गया पानी

दरअसल, बूंदी जिले के सथूर माताजी लघु सिंचाई परियोजना की चंद्रभागा नदी पर बना यह बांध इस बार बारिश में पूरी तरह से लबालब हो गया था. तब किसानों और ग्रामीणों को बांध में सिंचाई के लिए पानी मिलने और क्षेत्र का जलस्तर गर्मी तक बने रहने में मदद की उम्मीद जगी थी. लेकिन पठारी इलाका होने के कारण पानी जमीन तले वेस्टेज इलाके में निकल गया और 13 फीट की भराव क्षमता रखने वाला यह बांध पूरी तरह से खाली हो गया.

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किसानों को थी काफी उम्मीदें..

किसानों और ग्रामीणों ने काफी उम्मीदें इस बांध से लगाई थी, लेकिन यह बांध वक्त के साथ किसानों और ग्रामीणों को धोखा दे गया. अब यहां पर पानी की एक बूंद तक नहीं बची है जिससे किसान और ग्रामीण उस पानी का उपयोग कर सकें. करोड़ों की लागत से तैयार हुए इस परियोजना के काश्तकारों के काम नहीं आने को लोग अब गंभीरता से ले रहे हैं.

बांध के पानी से इन गांवों की बुझनी थी प्यास...

सथूर माताजी लघु सिंचाई परियोजना से करीब 12 से ज्यादा गांवों को आस थी कि उन्हें इस बांध से लाभ मिलेगा, लेकिन उन्हें लाभ नहीं मिला. इस बांध से सथूर ,बड़ोदिया, बोरखंडी से लेकर करीब 19 किलोमीटर पाइपलाइन बिछाई जानी है, जिससे 173 हेक्टेयर में लिफ्ट से सिंचाई होगी. सथूर, नाटावा, हरीपुरा ,भीलों का झोंपड़ा, जागा का झोंपड़ा, बड़ोदिया बोरखंडी, टिकरदा, रामचंद्र जी का खेड़ा, त्रिशुल्या, दाता, धनावा, राम निवास के ग्रामीणों को इस बांध से पानी की आस थी. अब यह गांव एक घर की प्यास भी नहीं बुझा सकता.

निर्माण के समय उठा था सवाल...फिर भी हुआ खाली

बांध का निर्माण शुरू होने पर जानकारों ने गुणवत्ता पर सवाल खड़े किए थे, तब बांध की नींव में सीमेंट मिलाने का निर्णय हुआ था, लेकिन इस काम में कोताही बरती गई. आसपास चट्टानी इलाका होने से किसानों का तर्क था कि गुणवत्ता पर ध्यान नहीं रखा गया तो बांध किसी काम का नहीं रहेगा. बावजूद इसके इस पर किसी ने गौर नहीं किया और पठार इलाके में इस बांध को बना दिया गया. जिसके चलते यह बांध भरा और पठारी इलाका होने के चलते पानी जमीन तले वेस्टेज इलाके में निकल गया और 13 फीट की भराव क्षमता रखने वाला यह बांध पूरी तरह से खाली हो गया.

यह कहना है बूंदी कलेक्टर का...

बूंदी कलेक्टर मुरलीधर प्रतिहार का कहना है, कि इस निर्माण कार्य में लापरवाही बरती गई है. उनका कहना है कि बांध के निर्माण के दौरान जो मापदंड तय किए जाते हैं, वह तय नहीं किए गए थे. जिसके चलते यह बांध लापरवाही की भेंट चढ़ गया और उसमें पानी पूरी तरह से सूख गया. उन्होंने आश्वासन देते हुए कहा कि पूरी मामले की रिपोर्ट देखी जा रही है और रिपोर्ट मंगाकर कार्रवाई भी की जाएगी.

लंबे संघर्ष के बाद बना बांध चढ़ा लापरवाही की भेंट...

वर्ष 1995 से लगातार क्षेत्र में ग्रामीण चंद्रभागा नदी पर बांध बनाने की मांग कर रहे थे. 15 वर्ष तक परियोजनों के लिए वन विभाग ने स्वीकृति नहीं दी. वर्ष 2015 में परियोजना का निर्माण कार्य शुरू किया गया था, जो करीब डेढ़ वर्ष बाद पूरा कर लिया गया था. बांध के निर्माण में 3 करोड 77 ₹ की लागत आई. वर्ष 2018 में कम बारिश के चलते बांध में पानी की आवक कम हुई थी, तब बांध का पानी 20 दिन बाद ही खाली हो गया था. ग्रामीणों ने तब भी सवाल खड़े किए थे, लेकिन जिम्मेदारों ने इस पर गौर नहीं किया.

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जब 2019 में पूरे प्रदेश में मानसून अपने चरम पर था और बूंदी के सभी 24 बांधों में लगातार पानी की आवक हो रही थी, तो सथूर माताजी लघु सिंचाई परियोजना वाले बांध में भी पानी आ गया. करीब 13 फीट की भराव क्षमता रखने वाला यह बांध पूरा लबालब हो गया. मानसून चला गया और उसके साथ ही यह बांध रीतना शुरू हो गया और दिसंबर माह में करीब 5 से 7 फीट पानी इस बांध से निकल गया और कुछ माह बाद यह बांध पूरी तरह से खाली हो गया.

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