बूंदी. आज के जमाने में चाहे बड़े हों या बच्चे, ऑनलाइन गेम्स सबको खूब भाता है. वहीं, डिजिटल प्लेटफार्म पर भी हर तरह के गेम्स मौजूद हैं, लेकिन बूंदी के एक 9 साल के बच्चे शुभ भंडारी ने इन गेम्स को खेलने के बजाय ऑनलाइन गेम्स बना डाला वो भी एक या दो नहीं, पूरे 6 गेम्स. इस तरह लॉकडाउन का भी शुभ ने पूरा सदुपयोग किया है. इस काम में शुभ को उसके माता-पिता ने पूरा सपोर्ट किया.
क्या है इस गेम में...
शुभ ने हेल्दी लाइफ सहित कई प्रकार के गेम और प्रोजेक्ट को तैयार किया है. जिसके माध्यम से जो भी व्यक्ति इस गेम और प्रोजेक्ट को ओपन करेगा, उसे अपने स्वास्थ्य के प्रति सजग होने की प्रेरणा यह गेम देगा. जो चीज इंजीनियर करते हैं वह बूंदी के शुभ भंडारी ने करके दिखाया है. देश डिजिटल इंडिया की ओर तरक्की कर रहा है और अपने नए अध्याय लिखता जा रहा है. इस दौर में इसे एक बड़ी 'उपलब्धि' के तौर पर देखा जा रहा है.
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डिजिटल इंडिया को बढ़ावा देने के लिए तरह-तरह की टेक्नोलॉजी हिंदुस्तान में ईजाद की जा रही है. ऐसे में बूंदी के शुभ भंडारी ने जो कार्य करके दिखाया है वह काबिले तारीफ है. यूं तो गेम डेवलपमेंट का काम प्रशिक्षित इंजीनियर का होता है, लेकिन 9 साल की उम्र में शुभ ने एक नहीं करीब आधा दर्जन प्रोजेक्ट बनाए हैं जो पूरी तरह से तैयार हो चुके हैं. अब इन गेम्स और प्रोजेक्ट को कोई भी ओपन करके खेल सकता है और उनका आनंद ले सकता है.
कौन-कौन से गेम बनाए हैं शुभ ने...
बूंदी के शुभ भंडारी ने हेल्थी लाइफ, कंट्रोल द ड्रोन, हंगरी वाईफाई, स्क्वायर केलकुलेटर, बायनरी, स्टार फ्रंट पेज और फ्रोजन सहित कई प्रोजेक्ट वर्क गेम बनाकर तैयार कर दिए हैं. शुभ अपनी पढ़ाई के साथ-साथ इन प्रोजेक्ट्स पर भी काम करता है.
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शुभ के माता-पिता का सपना है कि वह उसे साइंटिस्ट बनाएं. शुभ भी साइंटिस्ट बनकर अपने देश का नाम रोशन करना चाहता है. शुभ के परिवार में उसके मम्मी-पापा और दादा हैं. शुभ के पापा आदित्य भंडारी बूंदी में अधिवक्ता हैं.
गूगल ने किया सम्मानित...
शुभ के बनाए गए गेम्स को देखकर गूगल ने भी शुभ को सम्मानित किया है और सर्टिफिकेट दिया है. इतनी सी उम्र में शुभ भंडारी ने आधा दर्जन गेम्स और प्रोजेक्ट बनाए हैं. जिस पर गूगल ने डिजिटल सर्टिफिकेट भेज कर शुभ के काम की तारीफ की है.