नैनवां (बूंदी). इराक में फंसे भारतीयों ने अपनी पीड़ा सोशल मीडिया के जरिए बयां की है. इन मजदूरों ने भारत सरकार से वीडियो के जरिए वतन वापसी की गुहार लगाई है. ये 40 मजदूर विदेश भेजने के नाम पर एजेंटों की धोखाधड़ी के शिकार बने हैं. वहीं कंपनी ने 2 महीने से इनको वेतन भी नहीं दिया. जिसके बाद इन परेशान भारतीयों ने सोशल मीडिया के जरिए भारत सरकार से अपने देश वापस बुलाने की गुहार लगाई है. लेकिन अभी तक उनको कोई मदद नहीं मिली.
इराक के नजफ शहर में फंसे भारतीय मजदूर
बता दें कि ये सभी भारतीय मजदूर पिछले 4 दिनों से इराक के नजफ शहर में फंसे हुए हैं. जिले के नैनवां उपखंड से रोजगार के लिए इराक गये लोग अब वहां परेशानी में है. जानकारी के मुताबिक पहले उन्हें दुबई ले जाने की बात कही लेकिन उन्हें इराक पहुंचा दिया. वहां पर भी 2 माह काम करने के बाद भी उन्हें कंपनी की ओर से कोई भुगतान नहीं किया जा रहा. साथ ही करीब 3 से 4 दिन इन मजदूरों को बिना खाना खाए हो गया. वहीं अगर ये मजदूर कुछ दबाव बनाते हैं तो कंपनी की ओर से उनसे मारपीट की जाती है. जिसको खुद मजदूर अपनी वीडियो में बता रहे हैं.
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40 भारतीय नागरिकों को नहीं मिल रहा वेतन
जानकारी के टोंक जिले के ग्राम कनवाड़ा का निवासी लक्ष्मण बैरवा 12 फरवरी 2019 को फ्लाइट से रोजगार के लिए इराक गया था. उसके साथ नैनवां क्षेत्र के ग्राम धानु के निवासी उसके मामा बाबू लाल और महेंद्र कुमार, नैनवां निवासी चाचा विनोद और विनोद नाम का ही एक अन्य युवक और नैनवां क्षेत्र के 4-5 और भी लोग इराक गए. ये सभी इराक के बगदाद के नजफ क्षेत्र की कंपनी में काम कर रहे थे, लेकिन कुछ दिन पहले लक्ष्मण ने फोन करके उन्हें बताया कि कंपनी में काम कर रहे 40 भारतीय नागरिकों को कंपनी 2 महीने से वेतन नहीं दे रही है, और जब वेतन की मांग करते हैं तो कंपनी के लोग कहते हैं बगैर वेतन के काम करते रहो.
वेतन तो दूर, खाने के भी लाले
इससे साफ जाहिर होता है कि धोखाधड़ी कर मजदूरों को किस प्रकार एजेंटों द्वारा ठगा जा रहा है. वहीं 2 महीने का वेतन तो दूर, इन लोगों के खाने के भी लाले पड़े हुए हैं. फिलहाल इन लोगों ने सोशल मीडिया के जरिए अपने परिजनों को वीडियो बनाकर भेजी हैं और भारत सरकार और राजस्थान सरकार से वतन वापसी की गुहार लगाई है.
भारी परेशानी से गुजर रहे पीड़ित परिजन
वहीं 40 मजदूरों में से 7 की वतन वापसी होने की जानकारी तो सामने आ रही है, लेकिन वह वतन भी पहुंचे या नहीं यह कंफर्म नहीं हो पाया है. वहीं इधर पीड़ित परिजन भी जिला कलेक्टर से लेकर विदेश मंत्रालय तक गुहार लगाने के बाद भी अभी तक उन्हें कोई मदद नहीं मिल पाई. जिससे अब परिजनों को भी भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.