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कोटा के बाद अब बूंदी के अस्पताल में एक महीने के भीतर 10 बच्चों की मौत

कोटा के जेके लोन अस्पताल में बच्चों की मौत के बाद बूंदी में भी एक महीने में 10 बच्चों की मौत का मामला सामने आया है. वहीं, बच्चों की मौत के आंकड़ों को अस्पताल प्रशासन छुपाए बैठा था. बता दें कि यह सभी मौतें एसएनसीयू वार्ड में हुई है.

बूंदी में एक महीने में दस बच्चों की मौत  , Bundi Hospital News
बूंदी अस्पताल
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Published : Jan 3, 2020, 9:22 PM IST

बूंदी. कोटा के जेके लोन अस्पताल में बच्चों की मौत का विवाद अभी शांत नहीं हुआ है कि फिर से बच्चों की मौत का मामला बूंदी में सामने आया है. जिले में एक महीने में 10 बच्चों की मौत हो गई, लेकन इन आंकड़ों को अस्पतला प्रशासन छुपाए बैठा था. वहीं, शुक्रवार को जब अतिरिक्त जिला कलेक्टर ने जैसे ही अस्पताल का दौरा किया और आंकड़ें जाने तो एक महीने में 10 बच्चों की मौत अस्पताल में होने की बात सामने आई, यह सभी मौतें एसएनसीयू वार्ड में हुई है.

बूंदी में एक महीने में 10 बच्चों की मौत

मामले को लेकर चिकित्सा विभाग का कहना है कि सभी बच्चे ग्रामीण इलाके से हमारे पास आए थे और एक महीने में सभी बच्चों की मौत हुई है. ड्यूटी इंचार्ज हितेश सोनी ने बताया कि किसी बच्चे का वजन कम था तो किसी के मुंह में गंदा पानी चला गया था, तो किसी की मुंह में संक्रमण के कारण मौत हुई है. उन्होंने कहा कि अस्पतला प्रशासन की लापरवाही से बच्चों की मौत नहीं हुई है.

पढ़ें- कोटा: चिकित्सा मंत्री के दौरे के बाद जेके लोन अस्पताल में एक और बच्चे की मौत

वहीं, मामले को लेकर अतिरिक्त जिला कलेक्टर ने रिपोर्ट ली है. साथ ही अतिरिक्त जिला कलेक्टर ने अस्पताल प्रशासन को निर्देश दिए हैं कि वह सफाई व्यवस्था का विशेष ध्यान रखें. साथ ही अस्पताल में किसी प्रकार का कोई संक्रमण नहीं हो इसका ध्यान रखें. इलाज में कोई लापरवाही नहीं बरतें इसको लेकर आवश्यक दिशा-निर्देश दिए गए हैं.

बूंदी. कोटा के जेके लोन अस्पताल में बच्चों की मौत का विवाद अभी शांत नहीं हुआ है कि फिर से बच्चों की मौत का मामला बूंदी में सामने आया है. जिले में एक महीने में 10 बच्चों की मौत हो गई, लेकन इन आंकड़ों को अस्पतला प्रशासन छुपाए बैठा था. वहीं, शुक्रवार को जब अतिरिक्त जिला कलेक्टर ने जैसे ही अस्पताल का दौरा किया और आंकड़ें जाने तो एक महीने में 10 बच्चों की मौत अस्पताल में होने की बात सामने आई, यह सभी मौतें एसएनसीयू वार्ड में हुई है.

बूंदी में एक महीने में 10 बच्चों की मौत

मामले को लेकर चिकित्सा विभाग का कहना है कि सभी बच्चे ग्रामीण इलाके से हमारे पास आए थे और एक महीने में सभी बच्चों की मौत हुई है. ड्यूटी इंचार्ज हितेश सोनी ने बताया कि किसी बच्चे का वजन कम था तो किसी के मुंह में गंदा पानी चला गया था, तो किसी की मुंह में संक्रमण के कारण मौत हुई है. उन्होंने कहा कि अस्पतला प्रशासन की लापरवाही से बच्चों की मौत नहीं हुई है.

पढ़ें- कोटा: चिकित्सा मंत्री के दौरे के बाद जेके लोन अस्पताल में एक और बच्चे की मौत

वहीं, मामले को लेकर अतिरिक्त जिला कलेक्टर ने रिपोर्ट ली है. साथ ही अतिरिक्त जिला कलेक्टर ने अस्पताल प्रशासन को निर्देश दिए हैं कि वह सफाई व्यवस्था का विशेष ध्यान रखें. साथ ही अस्पताल में किसी प्रकार का कोई संक्रमण नहीं हो इसका ध्यान रखें. इलाज में कोई लापरवाही नहीं बरतें इसको लेकर आवश्यक दिशा-निर्देश दिए गए हैं.

Intro:कोटा के जेके लोन अस्पताल में बच्चों की मौत का विवाद अभी शांत नहीं हुआ है उसके बाद फिर बच्चों की मौत का मामला बूंदी में सामने आया है । यहां पर एक माह में 10 बच्चों की मौत हो गई इन आंकड़ों को अस्पताल प्रशासन छुपाए बैठा था आज जिला अतिरिक्त कलेक्टर ने जैसे ही अस्पताल का दौरा किया और आंकड़े जाने तो एक माह के अंदर 10 बच्चों की मौत अस्पताल में होने की बात सामने आई । यह सभी मौतें एसएनसीयू वार्ड में हुई है ।


Body:बूंदी - कोटा में हुई बच्चों की मौत का विवाद अभी थमा नहीं है फिर मौत की खबर बूंदी से सामने आ रही है । यहां बूंदी में भी नवजात शिशुओं की मौत का मामला सामने आया है यहां पर एक माह में 10 बच्चों की मौत की खबर से हड़कंप मच गया । अस्पताल प्रशासन ने इन बच्चों की मौतों का आंकड़ा छुपाया हुआ था आज जैसे ही अतिरिक्त जिला कलेक्टर एयू खान निरीक्षण करने के लिए पहुंचे तो उन्होंने आंकड़ों पर नजर डाली आंकड़े चौंकाने वाले थे । यहां पर एक माह में 10 बच्चों की मौत होने की बात सामने आई तो अस्पताल प्रशासन बिना लापरवाही से मौत होने की बात कहता हुआ नजर आया और कहा कि सभी बच्चों की हालत स्थिर थी जिसके चलते उनकी मौत हो गई हमारी लापरवाही से उनकी मौत नहीं हुई है । यह सब मौतें एसएनसीयू वार्ड में हुई है और इस वार्ड में गंभीर बीमारी के मरीजों को भर्ती किया जाता है और चिकित्सा विभाग का कहना है कि सभी बच्चे ग्रामीण इलाके से हमारे पास आए थे और एक माह में सभी बच्चों की मौत हुई है । ड्यूटी इंचार्ज हितेश सोनी का कहना है कि किसी बच्चे का वजन कम था तो किसी के मुंह में गंदा पानी चला गया था तो किसी की मुह में संक्रमण के चलते मौत हुई है। हमारी लापरवाही से नहीं हुए । यहां को बता दे कि 1 दिसंबर से लेकर 1 जनवरी तक 10 नवजातों की बूंदी में मौत हुई है और इन मौतों के आंकड़ों को अस्पताल प्रशासन दबा कर बैठा हुआ था । सरकार जैसे ही बैकफुट पर आई तो सभी जिला कलेक्टरों को व्यवस्थाएं सुनिश्चित करने के लिए निर्देश दिए गए थे इस पर अतिरिक्त जिला कलेक्टर एयू खान आज शाम को बूंदी के मातृ शिशु अस्पताल में दौरा करने को लेकर गए थे । तभी यहां पर उन्होंने मौतों के आंकड़ों पर नजर डाली तो आंकड़े चौकाने वाले सामने आए । इस पर जिला कलेक्टर ने मामले की रिपोर्ट ली है साथ ही अस्पताल प्रशासन को निर्देश दिए हैं कि वह सफाई व्यवस्था तथा संक्रमण नहीं हो ,इलाज में कोई लापरवाही नहीं बरतें इसको लेकर आवश्यक दिशा-निर्देश दिए गए हैं ।


Conclusion:कुछ भी हो बूंदी से 35 किलोमीटर दूर कोटा के जेके लोन अस्पताल में 105 बच्चों की मौत हुई और उन 105 बच्चों की मौत के बाद सरकार बैकफुट पर आई है । ऐसे में बूंदी में एक माह में के अंदर 10 बच्चों की मौत के मामले सामने आने के बाद यह साबित होता है कि राजस्थान में चिकित्सा व्यवस्था पटरी पर नहीं है और अवस्थाओं की भेंट चढ़ चुकी है । यह तस्वीर भी बयां कर रही है कि अस्पताल के मुख्य द्वार जहां पर आवारा मवेशी गेट पर जमा होकर बैठे रहते हैं यह तस्वीरें आप देख सकते हैं कि किस तरीके से आवारा मवेशी गेट पर मौजूद है आने जाने वाले मरीजों के तीमारदारों को परेशान करते हैं ऐसे में अवस्थाओं का आलम बूंदी के इस अस्पताल में है ।

बाईट - हितेश सोनी , ड्यूटी चिकित्सक
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