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Vaman Dwadashi 2023: आज है वामन द्वादशी, जानिए क्या हैं इसके विधान - Vaman Dwadashi what and why important

सनातन धर्म में अलग-2 समय पर देवताओं के अलग-2 अवतार के रूप में होने की कथा मिलती है. भगवान विष्णु ने विश्व कल्याण के लिए अलग-2 रूप में अलग-2 समय पर अवतार लिए थे. भाद्रपद शुक्ल द्वादशी को वामन अवतार में भगवान विष्णु के प्रकट हुए इसलिए वामन द्वादशी कहते हैं.

Vaman Dwadashi 2023
Vaman Dwadashi 2023
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Sep 26, 2023, 7:41 AM IST

Updated : Sep 26, 2023, 10:31 AM IST

बीकानेर. भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी को वामन द्वादशी होती है. इस दिन भगवान श्री हरि विष्णु ने पांचवे अवतार के रूप में अर्थात भगवान वामनदेव के रूप में अवतरित हुए. इसलिए इस दिन वामन देव की पूजा-अर्चना का विधान है और इन्हीं के नाम से यह द्वादशी होती है. भगवान विष्णु का मनुष्य के रूप में यह पहला अवतार था इससे पहले भगवान विष्णु ने चार अवतार लिए थे. इस दिन ब्राह्मणों की सेवा पूजा और दान धर्म करने का विधान बताया गया है.

विधान से करें व्रत पारण : भाद्रपद शुक्ल द्वादशी को वामन द्वादशी का व्रत करके मध्याह्न के समय वामन भगवान् की पूजा करके एक मिट्टी के पात्र में दही, चावल एवं शक्कर को दानकर किसी ब्राह्मण को दें. रात्रि में वामन भगवान की कथा सुनें और उनकी अद्भुत लीला का स्मरण करें. इस दिन फलाहार करें और दूसरे दिन व्रत का पारण करें.

पढ़ें Bhishma Dwadashi 2023: आज भीष्म द्वादशी, पितरों के निमित्त तर्पण करने से मिलता है पुण्य

वामन द्वादशी : भाद्रपद की शुक्ल द्वादशी को वामन द्वादशी की पूजा करें. इस दिन 52 पेड़े, 52 दक्षिणा के साथ भगवान का भोग लगावें. एक कटोरी दही, एक कटोरी चावल, चार कटोरा चीनी, एक कटोरा में शरबत और दक्षिणा रखकर ब्राह्मण को दान दें. अगर उजमन करना हो तो ब्राह्मण को आसन, दही, लाठी, माला, गऊमुखी कमण्डल, पुस्तक, दक्षिणा फल, खड़ाऊं व छाता दें.

पढ़ें Parshuram Dwadashi 2023 : संतान प्राप्ति के लिए करें भगवान परशुराम का पूजा, मिलेगा शुभ फल

तीन पग भूमि नापी : राजा बलि को सीख देने के लिए भगवान विष्णु ने छोटे कद के ब्राह्मण के रूप में अवतार लेकर उनसे दान में तीन पग भूमि मांगी थी. जिस पर राजा बलि ने उन्हें संकल्प लेकर हां कह दिया था. जिसके बाद भगवान विष्णु ने वामन अवतार के रूप में एक पैर में पूरे ब्रह्मांड को दूसरे पैर में पूरी पृथ्वी को नाप लिया. तीसरा पैर रखने की जगह नहीं मिलने पर राजा बलि ने अपने सिर पर वह पग रखने की बात कही. इस प्रकार भगवान ने राजा बलि को पाताल लोक में दबा दिया.

बीकानेर. भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी को वामन द्वादशी होती है. इस दिन भगवान श्री हरि विष्णु ने पांचवे अवतार के रूप में अर्थात भगवान वामनदेव के रूप में अवतरित हुए. इसलिए इस दिन वामन देव की पूजा-अर्चना का विधान है और इन्हीं के नाम से यह द्वादशी होती है. भगवान विष्णु का मनुष्य के रूप में यह पहला अवतार था इससे पहले भगवान विष्णु ने चार अवतार लिए थे. इस दिन ब्राह्मणों की सेवा पूजा और दान धर्म करने का विधान बताया गया है.

विधान से करें व्रत पारण : भाद्रपद शुक्ल द्वादशी को वामन द्वादशी का व्रत करके मध्याह्न के समय वामन भगवान् की पूजा करके एक मिट्टी के पात्र में दही, चावल एवं शक्कर को दानकर किसी ब्राह्मण को दें. रात्रि में वामन भगवान की कथा सुनें और उनकी अद्भुत लीला का स्मरण करें. इस दिन फलाहार करें और दूसरे दिन व्रत का पारण करें.

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वामन द्वादशी : भाद्रपद की शुक्ल द्वादशी को वामन द्वादशी की पूजा करें. इस दिन 52 पेड़े, 52 दक्षिणा के साथ भगवान का भोग लगावें. एक कटोरी दही, एक कटोरी चावल, चार कटोरा चीनी, एक कटोरा में शरबत और दक्षिणा रखकर ब्राह्मण को दान दें. अगर उजमन करना हो तो ब्राह्मण को आसन, दही, लाठी, माला, गऊमुखी कमण्डल, पुस्तक, दक्षिणा फल, खड़ाऊं व छाता दें.

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तीन पग भूमि नापी : राजा बलि को सीख देने के लिए भगवान विष्णु ने छोटे कद के ब्राह्मण के रूप में अवतार लेकर उनसे दान में तीन पग भूमि मांगी थी. जिस पर राजा बलि ने उन्हें संकल्प लेकर हां कह दिया था. जिसके बाद भगवान विष्णु ने वामन अवतार के रूप में एक पैर में पूरे ब्रह्मांड को दूसरे पैर में पूरी पृथ्वी को नाप लिया. तीसरा पैर रखने की जगह नहीं मिलने पर राजा बलि ने अपने सिर पर वह पग रखने की बात कही. इस प्रकार भगवान ने राजा बलि को पाताल लोक में दबा दिया.

Last Updated : Sep 26, 2023, 10:31 AM IST
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