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बीकानेर में 80 वार्डो में कुल 418 नामांकन, बागियों ने बढ़ाई मुश्किलें

बीकानेर नगर निगम के चुनाव नामांकन के आखिरी दिन तक बीकानेर में कुल 80 वार्डो के लिए कांग्रेस और भाजपा के उम्मीदवारों के साथ ही कुल 418 उम्मीदवारों ने अपना नामांकन दाखिल किया है. साथ ही कांग्रेस और भाजपा दोनों के लिए ही टिकट वितरण बड़ा कशमकश वाला रहा.

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Published : Nov 6, 2019, 6:32 AM IST

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बीकानेर. शहर के नगर निगम के चुनावों में राजनीतिक सरगर्मियां पूरी तरह से परवान पर चढ़ना शुरू हो गई है. कांग्रेस और भाजपा दोनों के लिए ही टिकट वितरण बड़ा कशमकश वाला रहा. हालांकि कांग्रेस के मुकाबले भाजपा ने 3 दिन पहले ही अपने 80 प्रत्याशियों की सूची जारी कर दी थी. वहीं कांग्रेस की सूची जारी करना पार्टी के लिए बड़ा चुनौतीपूर्ण रहा.

80 वार्डो में कुल 418 नामांकन हुए

बता दें कि कांग्रेस ने सोमवार देर रात नामांकन से ठीक एक दिन पहले 18 प्रत्याशियों की सूची जारी की. साथ ही शेष 22 प्रत्याशियों की सूची जारी करने की बजाय मंगलवार को नामांकन के आखिरी दिन उनको सीधा सिंबल देकर नामांकन भरवाया गया.

पढ़ेंः बीकानेरः कांग्रेस ने देर रात जारी की 58 प्रत्याशियों की सूची, 22 नामों पर मामला फंसा

नामांकन की आखिरी दिन बीकानेर में कलेक्ट्रेट पर प्रत्याशियों और उनके समर्थकों का हुजूम देखने को मिला. कांग्रेस और भाजपा के 160 प्रत्याशियों के अलावा बड़ी संख्या में निर्दलीय और पार्टियों के बागी हुए उम्मीदवारों ने अपना नामांकन दाखिल किया. वहीं पूर्व मंत्री देवी सिंह भाटी की ओर से गठित सामाजिक न्याय मंच ने भी शहर के 80 में से 48 वार्ड में अपने प्रत्याशी उतारकर नगर निगम के चुनाव को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश की है.

वहीं, कांग्रेस और भाजपा ने अपनी जारी सूची में बदलाव करते हुए एक-एक प्रत्याशियों को बदला है. भाजपा के घोषित प्रत्याशी ने पार्टी के दूसरे दावेदार के लिए अपने टिकट को छोड़ते हुए दूसरी दावेदार को टिकट दिलवा के उसका नामांकन भी बनवाया. वार्ड संख्या 44 में भाजपा के प्रत्याशी नरेश जोशी ने अपनी टिकट को छोड़ते हुए दूसरे दावेदार विजय सिंह को टिकट दिलाकर उनका नामांकन भरवाया.

पढ़ेंः जयपुरः प्रांतीय शैक्षिक सम्मेलन की तिथियों को बदलने की उठी मांग

कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दलों में बागियों ने पार्टी के लिए मुश्किल पैदा कर दी है और पार्टी के बड़े नेता अब इन बागियों के अलावा खड़े हुए निर्दलीयों की मानमनुव्वल में जुट गए है. दोनों ही दलों में पार्टी के बड़े नेताओं को बागी और निर्दलीय प्रत्याशियों को मनाने की जिम्मेदारी दी गई है. साथ ही नाम वापसी से पहले डैमेज कंट्रोल को लेकर बड़े नेताओं में चर्चा शुरू हो गई है. अब यह तो नाम वापसी के दिन ही तय हो पाएगा कि डैमेज कंट्रोल करने में कौन पार्टी आगे रह पाती है.

बीकानेर. शहर के नगर निगम के चुनावों में राजनीतिक सरगर्मियां पूरी तरह से परवान पर चढ़ना शुरू हो गई है. कांग्रेस और भाजपा दोनों के लिए ही टिकट वितरण बड़ा कशमकश वाला रहा. हालांकि कांग्रेस के मुकाबले भाजपा ने 3 दिन पहले ही अपने 80 प्रत्याशियों की सूची जारी कर दी थी. वहीं कांग्रेस की सूची जारी करना पार्टी के लिए बड़ा चुनौतीपूर्ण रहा.

80 वार्डो में कुल 418 नामांकन हुए

बता दें कि कांग्रेस ने सोमवार देर रात नामांकन से ठीक एक दिन पहले 18 प्रत्याशियों की सूची जारी की. साथ ही शेष 22 प्रत्याशियों की सूची जारी करने की बजाय मंगलवार को नामांकन के आखिरी दिन उनको सीधा सिंबल देकर नामांकन भरवाया गया.

पढ़ेंः बीकानेरः कांग्रेस ने देर रात जारी की 58 प्रत्याशियों की सूची, 22 नामों पर मामला फंसा

नामांकन की आखिरी दिन बीकानेर में कलेक्ट्रेट पर प्रत्याशियों और उनके समर्थकों का हुजूम देखने को मिला. कांग्रेस और भाजपा के 160 प्रत्याशियों के अलावा बड़ी संख्या में निर्दलीय और पार्टियों के बागी हुए उम्मीदवारों ने अपना नामांकन दाखिल किया. वहीं पूर्व मंत्री देवी सिंह भाटी की ओर से गठित सामाजिक न्याय मंच ने भी शहर के 80 में से 48 वार्ड में अपने प्रत्याशी उतारकर नगर निगम के चुनाव को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश की है.

वहीं, कांग्रेस और भाजपा ने अपनी जारी सूची में बदलाव करते हुए एक-एक प्रत्याशियों को बदला है. भाजपा के घोषित प्रत्याशी ने पार्टी के दूसरे दावेदार के लिए अपने टिकट को छोड़ते हुए दूसरी दावेदार को टिकट दिलवा के उसका नामांकन भी बनवाया. वार्ड संख्या 44 में भाजपा के प्रत्याशी नरेश जोशी ने अपनी टिकट को छोड़ते हुए दूसरे दावेदार विजय सिंह को टिकट दिलाकर उनका नामांकन भरवाया.

पढ़ेंः जयपुरः प्रांतीय शैक्षिक सम्मेलन की तिथियों को बदलने की उठी मांग

कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दलों में बागियों ने पार्टी के लिए मुश्किल पैदा कर दी है और पार्टी के बड़े नेता अब इन बागियों के अलावा खड़े हुए निर्दलीयों की मानमनुव्वल में जुट गए है. दोनों ही दलों में पार्टी के बड़े नेताओं को बागी और निर्दलीय प्रत्याशियों को मनाने की जिम्मेदारी दी गई है. साथ ही नाम वापसी से पहले डैमेज कंट्रोल को लेकर बड़े नेताओं में चर्चा शुरू हो गई है. अब यह तो नाम वापसी के दिन ही तय हो पाएगा कि डैमेज कंट्रोल करने में कौन पार्टी आगे रह पाती है.

Intro:बीकानेर नगर निगम के चुनाव को लेकर अब रंगत पूरी तरह से परवान पर है नामांकन के आखिरी दिन तक बीकानेर में कुल 80 वार्डो के लिए कांग्रेस और भाजपा के उम्मीदवारों के साथ ही कुल 418 उम्मीदवारों ने अपना नामांकन दाखिल किया है।


Body:बीकानेर। बीकानेर नगर निगम के चुनावों में राजनीतिक सरगर्मियां पूरी तरह से परवान पर चढ़ना शुरू हो गई है। कांग्रेस और भाजपा दोनों के लिए ही टिकट वितरण बड़ा कशमकश वाला रहा। हालांकि कांग्रेस के मुकाबले भाजपा ने 3 दिन पहले ही अपने 80 प्रत्याशियों की सूची जारी कर दी थी वहीं कांग्रेस की सूची जारी करने में पार्टी के लिए बड़ा चुनौतीपूर्ण रहा। कांग्रेस ने सोमवार देर रात नामांकन से ठीक एक दिन पहले 18 प्रत्याशियों की सूची जारी की तो वहीं शेष 22 प्रत्याशियों की सूची जारी करने की बजाय मंगलवार को नामांकन के आखिरी दिन उनको सीधा सिंबल देकर नामांकन भरवाया गया।


Conclusion:नामांकन की आखिरी दिन बीकानेर में कलेक्ट्रेट पर प्रत्याशियों और उनके समर्थकों का हुजूम देखने को मिला कांग्रेस और भाजपा के 160 प्रत्याशियों के अलावा बड़ी संख्या में निर्दलीय और पार्टियों के बागी हुए उम्मीदवारों ने अपना नामांकन दाखिल किया तो वहीं पूर्व मंत्री देवी सिंह भाटी की ओर से गठित सामाजिक न्याय मंच ने भी शहर के 80 में से 48 वार्ड में अपने प्रत्याशी उतारकर नगर निगम निगम के चुनाव को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश की है। कांग्रेस और भाजपा ने अपनी जारी सूची में बदलाव करते हुए एक-एक प्रत्याशियों को बदला। वहीं भाजपा के घोषित प्रत्याशी ने पार्टी के दूसरे दावेदार के लिए अपने टिकट को छोड़ते हुए दूसरी दावेदार को टिकट दिलवा के उसका नामांकन भी बनवाया वार्ड संख्या 44 में भाजपा के प्रत्याशी नरेश जोशी ने अपनी टिकट को छोड़ते हुए दूसरे दावेदार विजय सिंह को टिकट दिला कर उनका नामांकन भरवाया। कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दलों में बागियों ने पार्टी के लिए मुश्किल पैदा कर दी है और पार्टी के बड़े नेता अब इन बागियों के अलावा खड़े हुए और निर्दलीयों की मानमनुव्वल में जुट गए हैं। दोनों ही दलों में पार्टी के बड़े नेताओं को बागी और निर्दलीय प्रत्याशियों को मनाने की जिम्मेदारी दी गई है और नाम वापसी से पहले डैमेज कंट्रोल को लेकर बड़े नेताओं में चर्चा शुरू हो गई है। अब यह तो नाम वापसी के दिन ही तय हो पाएगा कि डैमेज कंट्रोल करने में कौन पार्टी आगे रह पाती है।

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