बीकानेर. हिंदू धर्म में एकादशी तिथि को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है. इस दिन तिल का 6 तरीके से प्रयोग किए जाने के कारण ही इस दिन को षटतिला एकादशी कहा जाता है. धर्म शास्त्रों में सभी एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित होती है. इस दिन भगवान विष्णु की कथा सुनने का विधान भी बताया गया है. धर्म शास्त्रों के अनुसार षटतिला एकादशी व्रत रखने से व्यक्ति को धन और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है. एकादशी का व्रत करने से मानसिक और शारीरिक हर तरह के पाप से मुक्ति मिलती है.
माघ माह के कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी को षटतिला एकादशी और माघ एकादशी भी कहा जाता है. बुधवार को षटतिला एकादशी का व्रत रखा जाएगा. अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से यह एकादशी 18 जनवरी को पड़ रही है. पंचांग के मुताबिक षटतिला एकादशी की शुरुआत 17 जनवरी 2023 को शाम 6.05 बजे हो रही है और यह तिथि 18 जनवरी 2023 को शाम 4.03 बजे संपन्न हो रही है इसलिए उदयातिथि में यह व्रत 18 जनवरी को ही रखा जाएगा.
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विधि विधान से करें पूजा- षटतिला एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करें और उन्हें पुष्प, धूप अर्पित कर व्रत का संकल्प लें. इस दिन भगवान विष्णु की आराधना करनी चाहिए. रात में भजन और जागरण के साथ हवन करें. अगले दिन द्वादशी पर सुबह उठकर स्नान करें और भगवान विष्णु को भोग लगाएं. इसके बाद पंडितों को भोजन कराएं और इसके बाद खुद अन्न ग्रहण करें.
करें ये काम- एकादशी के दिन क्रोध, लोभ, मोह, ईर्ष्या, अहंकार से दूर रहना चाहिए. इस दिन पुष्य नक्षत्र में गोबर, कपास, तिल मिलाकर उपले बनाएं और इससे 108 बार हवन करें. एकादशी के दिन उपवास और हवन करें. भगवान विष्णु को पेठा, नारियल, सीताफल या सुपारी सहित अर्घ्य देकर स्तुति करें. अगले दिन धूप, दीप नैवेद्य से भगवान विष्णु की पूजा कर खिचड़ी का भोग लगाना चाहिए. इस दिन तिल से स्नान करना, इसका उबटन लगाना, तिल से हवन और तर्पण करना, भोजन में तिल का इस्तेमाल करना और तिल दान करना चाहिए.
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दान का महात्म्य- षटतिला एकादशी के दिन दो रंग की चीजों का दान करना बहुत शुभ माना गया है. दान करने से भगवान विष्णु की कृपा होती है. भगवान विष्णु को पीले रंग का फूल चढ़ाना चाहिए. पीली मिठाई का भोग लगाएं. पूजा के बाद इन चीजों को किसी ब्राह्मण या किसी जरूरतमंद को दान कर दें. इस दिन काले तिल का दान करने का भी महत्व है. ऐसा करने से भगवान विष्णु की कृपा बनी रहती है.