ETV Bharat / state

SPECIAL : बीकानेरियत की पहचान हैं रम्मतें....लोक संस्कृति को बचाने की अनूठी पहल - What is rammat

अपनी स्थापत्य कला की संस्कृति और खान-पान के चलते देश ही नहीं बल्कि दुनिया भर में बीकानेर की एक खास पहचान है. त्यौहारों के मौके पर लोक संस्कृति की अलग छटा बीकानेर में देखने को मिलती है. ऐसी ही एक लोक संस्कृति है रम्मत.

event in Bikaner,  What is rammat,  Folk culture repaired in Bikaner
बीकानेर की पहचान हैं रम्मतें
author img

By

Published : Mar 28, 2021, 4:47 PM IST

बीकानेर. राजस्थान के ऐतिहासिक शहरों में शुमार बीकानेर 5 शताब्दी पुराना वह शहर है जिसकी अपनी अलग पहचान है. अपनी स्थापत्य कला की संस्कृति और खान-पान के चलते देश ही नहीं बल्कि दुनिया भर में बीकानेर की एक खास पहचान है. त्यौहारों के मौके पर लोक संस्कृति की अलग छटा बीकानेर में देखने को मिलती है. ऐसी ही एक लोक संस्कृति है रम्मत. अगर यह कहा जाए कि बीकानेर की पहचान इन रम्मतों से है, तो गलत नहीं होगा. देखें ये खास रिपोर्ट...

बीकानेर की पहचान हैं रम्मतें

बीकानेर के बारे में कहा जाता है कि यह हजार हवेलियों का शहर है. यहां की हवेलियां और गढ़ अपनी स्थापत्य कला के दम पर देसी और विदेशी पर्यटकों को अपनी ओर खींचते हैं. पर्यटन की दृष्टि से बीकानेर में आयोजित होने वाले अंतराष्ट्रीय ऊंट उत्सव की बात हो या फिर खानपान की दृष्टि से पूरी दुनिया में बीकानेर का नाम करने वाले रसगुल्ला और भुजिया की. बीकानेर की पहचान इन सबके कारण अलहदा ही रही है.

event in Bikaner,  What is rammat,  Folk culture repaired in Bikaner
लोक गायन शैली में पेश की जाती हैं रम्मतें

बीकानेर के बारे में कहा जाता है कि यह सिर्फ एक शहर नहीं बल्कि एक जीवन शैली है. यहां के लोगों के दिलों में बीकानेरियत बसती है. हर परिस्थिति में अपने ढंग से जीने का अंदाज यहां के लोगों को बखूबी आता है. होली के मौके पर बीकानेर शहर अलग ही रंग में नजर आता है. होली के मौके पर बीकानेर में खासतौर से आयोजित होने वाली रम्मतों के कारण बीकानेर की पहचान भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर है.

पढ़ें- पाकिस्तान जाने की इच्छा के विरुद्ध भारत में कैसे शामिल हुआ था जोधपुर ? जानें रोचक इतिहास

रम्मत लोक संस्कृति के संवाहक के रूप में बीकानेर में रम्मतों की पहचान है. रम्मतों का शाब्दिक अर्थ है नुक्कड़ नाटक का मंचन. दरअसल पुराने जमाने में जब व्यक्ति के मनोरंजन के लिए मोबाइल लैपटॉप या संचार के दूसरे साधन विकसित नहीं हुए थे तब आज से लगभग 300 साल पहले बीकानेर के लोगों ने होली के मौके पर एक-दूसरे के नजदीक आने और मनोरंजन के दृष्टिकोण से इन रम्मतों को करना शुरू किया. तब मनोरंजन और एक दूसरे के प्रति समभाव और संगठित रहने के उद्देश्य से शुरू हुई यह रम्मतें अब परंपरा बन गई हैं. होली के मौके पर होलाष्टक के लगने के साथ ही करीब 8 दिन तक बीकानेर शहर में अलग-अलग कुल 11 रम्मतों का आयोजन होता है. रम्मत का अपना एक इतिहास है.

event in Bikaner,  What is rammat,  Folk culture repaired in Bikaner
बीकानेर में 300 साल से है यह परंपरा

क्या बच्चे क्या बूढ़े, हर कोई इन रम्मतों में अपनी सहभागिता निभाते हुए नजर आता है. हर आम और खास इन रम्मतों का साक्षी बनता है. इन रम्मतों में सिर्फ मनोरंजन ही नहीं बल्कि एक संदेश भी दिया जाता है. इसके साथ ही समसामयिक घटनाओं पर कटाक्ष भी इन रम्मतों में देखने को मिलता है तो दैनिक जीवन में घटने वाली घटनाओं से सबक लेते हुए सीख भी इन रम्मतों में रहती है. रम्मतों का आयोजन होली के मौके पर होता है लेकिन इसका अभ्यास बसंत पंचमी के बाद शुरू हो जाता है.

event in Bikaner,  What is rammat,  Folk culture repaired in Bikaner
रम्मत एक तरह का नुक्कड़ नाटक होता है

प्रदेश की कला संस्कृति मंत्री बीडी कल्ला ऐसे ही एक रम्मत के अभ्यास को देखने के लिए पहुंचे. इस दौरान उन्होंने कहा कि वाकई यह रम्मत बीकानेर शहर की पहचान है और लोक संस्कृति को बचाने के लिए इस बार कला संस्कृति विभाग ने इन रम्मतों का मंचन तीन दिवसीय समारोह मनाकर किया. वे कहते हैं कि होली के मौके पर चौमासे, ख्याल लावणी सभी रम्मतों में देखने को मिलता है.

पढ़ें -राजस्थान की वो लोक कलाएं और परंपराएं, जिन्होंने विश्व में पेश की अद्भुत परिकल्पना

पिछले 300 साल से भी ज्यादा समय से बीकानेर के बिस्सों के चौक में आयोजित होने वाली शहजादी नौटंकी रम्मत में अपनी प्रमुख भूमिका निभाने वाले किशन कुमार बिस्सा कहते हैं कि रम्मत हमारी जीवन शैली का एक अंग है और पारंपरिक रूप से वे इससे जुड़े हुए हैं. वे कहते है कि वह अपने परिवार की पांचवीं पीढ़ी है जो लगातार हर साल रम्मत में भाग लेते हैं. करीब 50 साल से वह इस रम्मत में भाग ले रहे हैं. वे कहते हैं कि आज की युवा पीढ़ी के लिए यह रम्मत बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि हर रम्मत में एक संदेश छिपा होता है.

event in Bikaner,  What is rammat,  Folk culture repaired in Bikaner
हर मोहल्ले में होता है रम्मतों का आयोजन

युवा श्याम नारायण रंगा कहते हैं कि वाकई बीकानेर की पहचान इन रम्मतों से है तो कहना गलत नहीं होगा. वे कहते हैं कि जब संचार क्रांति के साधन नहीं तब होली के मौके पर मनोरंजन के नाम पर इन रम्मतों का आयोजन शुरू हुआ. लेकिन आज यह जीवन शैली का हिस्सा बनते हुए बीकानेर में होली की पहचान बन गई हैं. यही कारण है कि बीकानेर का रहने वाला शख्स चाहे देश के किसी भी कोने में रहे लेकिन होली के मौके पर अपने शहर की ओर लौटना चाहता है. ताकि अपनी संस्कृति और उसके इतिहास से रूबरू होता रहे.

बीकानेर में आयोजित होने वाली प्रमुख रम्मत

event in Bikaner,  What is rammat,  Folk culture repaired in Bikaner
बीकानेर की प्रमुख रम्मतें

बीकानेर. राजस्थान के ऐतिहासिक शहरों में शुमार बीकानेर 5 शताब्दी पुराना वह शहर है जिसकी अपनी अलग पहचान है. अपनी स्थापत्य कला की संस्कृति और खान-पान के चलते देश ही नहीं बल्कि दुनिया भर में बीकानेर की एक खास पहचान है. त्यौहारों के मौके पर लोक संस्कृति की अलग छटा बीकानेर में देखने को मिलती है. ऐसी ही एक लोक संस्कृति है रम्मत. अगर यह कहा जाए कि बीकानेर की पहचान इन रम्मतों से है, तो गलत नहीं होगा. देखें ये खास रिपोर्ट...

बीकानेर की पहचान हैं रम्मतें

बीकानेर के बारे में कहा जाता है कि यह हजार हवेलियों का शहर है. यहां की हवेलियां और गढ़ अपनी स्थापत्य कला के दम पर देसी और विदेशी पर्यटकों को अपनी ओर खींचते हैं. पर्यटन की दृष्टि से बीकानेर में आयोजित होने वाले अंतराष्ट्रीय ऊंट उत्सव की बात हो या फिर खानपान की दृष्टि से पूरी दुनिया में बीकानेर का नाम करने वाले रसगुल्ला और भुजिया की. बीकानेर की पहचान इन सबके कारण अलहदा ही रही है.

event in Bikaner,  What is rammat,  Folk culture repaired in Bikaner
लोक गायन शैली में पेश की जाती हैं रम्मतें

बीकानेर के बारे में कहा जाता है कि यह सिर्फ एक शहर नहीं बल्कि एक जीवन शैली है. यहां के लोगों के दिलों में बीकानेरियत बसती है. हर परिस्थिति में अपने ढंग से जीने का अंदाज यहां के लोगों को बखूबी आता है. होली के मौके पर बीकानेर शहर अलग ही रंग में नजर आता है. होली के मौके पर बीकानेर में खासतौर से आयोजित होने वाली रम्मतों के कारण बीकानेर की पहचान भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर है.

पढ़ें- पाकिस्तान जाने की इच्छा के विरुद्ध भारत में कैसे शामिल हुआ था जोधपुर ? जानें रोचक इतिहास

रम्मत लोक संस्कृति के संवाहक के रूप में बीकानेर में रम्मतों की पहचान है. रम्मतों का शाब्दिक अर्थ है नुक्कड़ नाटक का मंचन. दरअसल पुराने जमाने में जब व्यक्ति के मनोरंजन के लिए मोबाइल लैपटॉप या संचार के दूसरे साधन विकसित नहीं हुए थे तब आज से लगभग 300 साल पहले बीकानेर के लोगों ने होली के मौके पर एक-दूसरे के नजदीक आने और मनोरंजन के दृष्टिकोण से इन रम्मतों को करना शुरू किया. तब मनोरंजन और एक दूसरे के प्रति समभाव और संगठित रहने के उद्देश्य से शुरू हुई यह रम्मतें अब परंपरा बन गई हैं. होली के मौके पर होलाष्टक के लगने के साथ ही करीब 8 दिन तक बीकानेर शहर में अलग-अलग कुल 11 रम्मतों का आयोजन होता है. रम्मत का अपना एक इतिहास है.

event in Bikaner,  What is rammat,  Folk culture repaired in Bikaner
बीकानेर में 300 साल से है यह परंपरा

क्या बच्चे क्या बूढ़े, हर कोई इन रम्मतों में अपनी सहभागिता निभाते हुए नजर आता है. हर आम और खास इन रम्मतों का साक्षी बनता है. इन रम्मतों में सिर्फ मनोरंजन ही नहीं बल्कि एक संदेश भी दिया जाता है. इसके साथ ही समसामयिक घटनाओं पर कटाक्ष भी इन रम्मतों में देखने को मिलता है तो दैनिक जीवन में घटने वाली घटनाओं से सबक लेते हुए सीख भी इन रम्मतों में रहती है. रम्मतों का आयोजन होली के मौके पर होता है लेकिन इसका अभ्यास बसंत पंचमी के बाद शुरू हो जाता है.

event in Bikaner,  What is rammat,  Folk culture repaired in Bikaner
रम्मत एक तरह का नुक्कड़ नाटक होता है

प्रदेश की कला संस्कृति मंत्री बीडी कल्ला ऐसे ही एक रम्मत के अभ्यास को देखने के लिए पहुंचे. इस दौरान उन्होंने कहा कि वाकई यह रम्मत बीकानेर शहर की पहचान है और लोक संस्कृति को बचाने के लिए इस बार कला संस्कृति विभाग ने इन रम्मतों का मंचन तीन दिवसीय समारोह मनाकर किया. वे कहते हैं कि होली के मौके पर चौमासे, ख्याल लावणी सभी रम्मतों में देखने को मिलता है.

पढ़ें -राजस्थान की वो लोक कलाएं और परंपराएं, जिन्होंने विश्व में पेश की अद्भुत परिकल्पना

पिछले 300 साल से भी ज्यादा समय से बीकानेर के बिस्सों के चौक में आयोजित होने वाली शहजादी नौटंकी रम्मत में अपनी प्रमुख भूमिका निभाने वाले किशन कुमार बिस्सा कहते हैं कि रम्मत हमारी जीवन शैली का एक अंग है और पारंपरिक रूप से वे इससे जुड़े हुए हैं. वे कहते है कि वह अपने परिवार की पांचवीं पीढ़ी है जो लगातार हर साल रम्मत में भाग लेते हैं. करीब 50 साल से वह इस रम्मत में भाग ले रहे हैं. वे कहते हैं कि आज की युवा पीढ़ी के लिए यह रम्मत बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि हर रम्मत में एक संदेश छिपा होता है.

event in Bikaner,  What is rammat,  Folk culture repaired in Bikaner
हर मोहल्ले में होता है रम्मतों का आयोजन

युवा श्याम नारायण रंगा कहते हैं कि वाकई बीकानेर की पहचान इन रम्मतों से है तो कहना गलत नहीं होगा. वे कहते हैं कि जब संचार क्रांति के साधन नहीं तब होली के मौके पर मनोरंजन के नाम पर इन रम्मतों का आयोजन शुरू हुआ. लेकिन आज यह जीवन शैली का हिस्सा बनते हुए बीकानेर में होली की पहचान बन गई हैं. यही कारण है कि बीकानेर का रहने वाला शख्स चाहे देश के किसी भी कोने में रहे लेकिन होली के मौके पर अपने शहर की ओर लौटना चाहता है. ताकि अपनी संस्कृति और उसके इतिहास से रूबरू होता रहे.

बीकानेर में आयोजित होने वाली प्रमुख रम्मत

event in Bikaner,  What is rammat,  Folk culture repaired in Bikaner
बीकानेर की प्रमुख रम्मतें
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.