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शुक्ल पक्ष की मासिक चतुर्दशी आज, भगवान शिव की आराधना से मिलता है मनवांछित फल - Paush Shukla Paksha Chaturdarshi

एक वर्ष में 24 चतुर्दशी होती है (Shukla Paksha Chaturdarshi). मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव का व्रत और पूजन करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. जीवन में आने वाले बुरे समय और विपत्तियों को भी यह दूर करता है.

Shukla Paksha Chaturdarshi
शुक्ल पक्ष की मासिक चतुर्दशी आज
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Published : Jan 5, 2023, 7:17 AM IST

बीकानेर. चतुर्दशी के देवता भोले भंडारी हैं. इस तिथि में भगवान शंकर की पूजा करने और व्रत रखने से मनुष्य समस्त ऐश्वर्यों को प्राप्त कर बहुत से पुत्रों एवं अकूत धन से संपन्न हो जाता है. माना जाता है, कि चतुर्दशी की चन्द्र कला का अमृत भगवान शिव स्वयं पीते है इसलिए इस दिन इनका ध्यान करना शुभ होता है. इस तिथि में रात्रि जागरण और शिव मंत्र जाप कार्य भी किये जाते हैं. यह उग्र अर्थात आक्रामकता देने वाली तिथि हैं. चतुर्दशी को चौदस भी कहते हैं. यह रिक्ता संज्ञक है एवं इसे क्रूरा भी कहते हैं. इसीलिए इसमें समस्त शुभ कार्य वर्जित है. इसकी दिशा पश्‍चिम है.

करें ये काम- चतुर्दशी तिथि को कठोर और क्रूर काम करने के लिए उपयुक्त कहा जाता है (Shukla Paksha Chaturdarshi). इसमें ऎसे काम जिनमें मेहनत और बहुत अधिक जोश उत्साह की स्थिति रहती है किए जा सकते हैं. किसी प्रकार के हथियारों का निर्माण अथवा उनका परिक्षण भी इस तिथि में कर सकते हैं. इस तिथि पर किसी स्थान की यात्रा करना अनुकूल नहीं माना जाता है.

जपे भोले बाबा का महामृत्युंजय मंत्र- ॐ त्र्यम्‍बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्‍योर्मुक्षीय मामृतात्" मंत्र का जाप जीवन में उत्पन्न संकट को समाप्त कर देता है. इस दिन भगवान शिव का पूजन करते वक्त 'ॐ नम: शिवाय का जाप करें. इस मंत्र का मतलब है कि हम भगवान शिव की पूजा करते हैं, जिनके तीन नेत्र हैं, जो हर श्वास में जीवन शक्ति का संचार करते हैं और पूरे जगत का पालन-पोषण करते हैं.

चतुर्दशी तिथि में मनाए जाने वाले पर्व- चतुर्दशी तिथि के दौरान जहां विशेष रुप से भगवान शिव की पूजा का विधान है. वहीं एक अन्य रुप में इस तिथि पर अन्य उत्सव एवं पर्व भी मनाए जाते हैं. मूलत: तीन चतुर्दशियों का महत्व है. बाकी मासिक चतुर्दशी का अपना महत्व है.भादो मास में अनंत चतुर्दशी मनाई जाती है. इस दिन भगवान अनंत (विष्णु) की पूजा का विधान होता है. इस दिन अनंत सूत्र बांधने का विशेष महत्व होता है. तो नरक चतुर्दशी कार्तिक के कृष्ण चतुर्दशी के दिन मनाई जाती है. इसे नरक चौदस या नर्क चतुर्दशी भी कहते हैं. इस दिन यमदेव की पूजा का विधान है.

तीसरी अहम चतुर्दशी बैकुण्ठ चतुर्दशी है. कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को बैकुण्ठ चतुर्दशी कहते हैं. इस दिन भगवान शिव और विष्णु की पूजा का विधान है. इस दिन पूजा, पाठ जप, एवं व्रत करने से श्रद्धालु को बैकुंठ की प्राप्ति होती है.

पढ़ें-Daily Rashifal 5 January : कैसा बीतेगा आज का दिन, जानिए अपना आज का राशिफल

बीकानेर. चतुर्दशी के देवता भोले भंडारी हैं. इस तिथि में भगवान शंकर की पूजा करने और व्रत रखने से मनुष्य समस्त ऐश्वर्यों को प्राप्त कर बहुत से पुत्रों एवं अकूत धन से संपन्न हो जाता है. माना जाता है, कि चतुर्दशी की चन्द्र कला का अमृत भगवान शिव स्वयं पीते है इसलिए इस दिन इनका ध्यान करना शुभ होता है. इस तिथि में रात्रि जागरण और शिव मंत्र जाप कार्य भी किये जाते हैं. यह उग्र अर्थात आक्रामकता देने वाली तिथि हैं. चतुर्दशी को चौदस भी कहते हैं. यह रिक्ता संज्ञक है एवं इसे क्रूरा भी कहते हैं. इसीलिए इसमें समस्त शुभ कार्य वर्जित है. इसकी दिशा पश्‍चिम है.

करें ये काम- चतुर्दशी तिथि को कठोर और क्रूर काम करने के लिए उपयुक्त कहा जाता है (Shukla Paksha Chaturdarshi). इसमें ऎसे काम जिनमें मेहनत और बहुत अधिक जोश उत्साह की स्थिति रहती है किए जा सकते हैं. किसी प्रकार के हथियारों का निर्माण अथवा उनका परिक्षण भी इस तिथि में कर सकते हैं. इस तिथि पर किसी स्थान की यात्रा करना अनुकूल नहीं माना जाता है.

जपे भोले बाबा का महामृत्युंजय मंत्र- ॐ त्र्यम्‍बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्‍योर्मुक्षीय मामृतात्" मंत्र का जाप जीवन में उत्पन्न संकट को समाप्त कर देता है. इस दिन भगवान शिव का पूजन करते वक्त 'ॐ नम: शिवाय का जाप करें. इस मंत्र का मतलब है कि हम भगवान शिव की पूजा करते हैं, जिनके तीन नेत्र हैं, जो हर श्वास में जीवन शक्ति का संचार करते हैं और पूरे जगत का पालन-पोषण करते हैं.

चतुर्दशी तिथि में मनाए जाने वाले पर्व- चतुर्दशी तिथि के दौरान जहां विशेष रुप से भगवान शिव की पूजा का विधान है. वहीं एक अन्य रुप में इस तिथि पर अन्य उत्सव एवं पर्व भी मनाए जाते हैं. मूलत: तीन चतुर्दशियों का महत्व है. बाकी मासिक चतुर्दशी का अपना महत्व है.भादो मास में अनंत चतुर्दशी मनाई जाती है. इस दिन भगवान अनंत (विष्णु) की पूजा का विधान होता है. इस दिन अनंत सूत्र बांधने का विशेष महत्व होता है. तो नरक चतुर्दशी कार्तिक के कृष्ण चतुर्दशी के दिन मनाई जाती है. इसे नरक चौदस या नर्क चतुर्दशी भी कहते हैं. इस दिन यमदेव की पूजा का विधान है.

तीसरी अहम चतुर्दशी बैकुण्ठ चतुर्दशी है. कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को बैकुण्ठ चतुर्दशी कहते हैं. इस दिन भगवान शिव और विष्णु की पूजा का विधान है. इस दिन पूजा, पाठ जप, एवं व्रत करने से श्रद्धालु को बैकुंठ की प्राप्ति होती है.

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