बीकानेर. बीकानेर रियासत के दूरदर्शी राजा के रूप में महाराजा गंगा सिंह (Ganga Singh established railway factory in Bikaner ) का नाम आज भी बड़ी इज्जत और सम्मान से लिया जाता है. बीकानेर में विकास की गंगा बहाने वाले राजा गंगा सिंह को यहां का भगीरथ भी कहा जाता है. ऐसे ही दूरदर्शी महाराजा गंगा सिंह ने साल 1926 में यहां के लोगों को रोजगार मुहैया कराने और रेल संसाधनों को बढ़ाने के लिए एक कारखाने की स्थापना की, जो आज भारतीय रेलवे में अमूल्य योगदान दे रहा है.
महाराजा गंगा सिंह ने बीकानेर में आज से करीब 97 साल पहले 1926 में बीकानेर (Indian Railways) के लोगों को रोजगार मुहैया कराने और बीकानेर में रेल संसाधन को बढ़ाने के उद्देश्य से रेलवे का एक कारखाना स्थापित किया गया था. इस कारखाने में रेल कोच की मरम्मत का काम शुरू किया गया.
गिने चुने कारखानों में शामिल - बीकानेर में उत्तर पश्चिम रेलवे के लालगढ़ वर्कशॉप देश (Lalgarh Railway Workshop of Bikaner) के उन गिने-चुने रेल कारखानों में शामिल है, जिसे अंग्रेजों ने नहीं, बल्कि तत्कालीन महाराजा की ओर से स्थापित किया गया था. हालांकि, पता करने पर ऐसा दूसरा उदाहरण नहीं मिलता है. दरअसल, साल 1926 में तत्कालीन महाराजा ने इस कारखाने को स्थापना के लिए रियासत की ओर से न सिर्फ सैकड़ों बीघा जमीन दी, बल्कि संसाधन भी उपलब्ध कराए और यहां के लोगों को रोजगार दी.
आजादी के बाद भारतीय रेलवे के अधीन - इस रेलवे वर्कशॉप का महत्व इस बात से ही समझा जा सकता है कि इसकी स्थापना आजादी से करीब 21 साल पहले हुआ था. जिसे आजादी के बाद (Ganga Singh established railway factory in Bikaner ) भारतीय रेलवे ने अपने अधीन कर लिया और आज भी करीब 700 से ज्यादा रेल कर्मचारी इस कारखाने में काम करते हैं. समय के साथ धीरे-धीरे कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति और नए कर्मचारियों की उस अनुपात में नियुक्ति नहीं होने से यहां कर्मचारियों की संख्या घट गई है. लेकिन एक समय ऐसा भी था, जब यहां दो हजार से ज्यादा रेल कर्मचारी हुआ करते थे.
देश में ऐसे केवल दो ही कारखानेंः मुख्य कारखाना प्रबंधक विकास अग्रवाल कहते हैं कि इस वर्कशॉप में पहले मीटर गेज का काम होता था, लेकिन अब धीरे-धीरे यहां मीटर गेज का काम कम हो रहा है. फिर भी यह पूरी तरह से बंद नहीं हुआ है और देश में दो ही कारखाने ऐसे हैं, जहां मीटर गेज के वैगन की मरम्मत और रखरखाव का काम होता है. उनमें से पहला बीकानेर का यह कारखाना है और दूसरा उत्तर प्रदेश के इज्जतनगर का कारखाना है.
जोन का एक मात्र कारखानाः उत्तर पश्चिम रेलवे जोन जिसमें तीन राज्यों का क्षेत्राधिकार शामिल है. इस वर्कशॉप के मुख्य कारखाना प्रबंधक विकास अग्रवाल कहते हैं कि IOH ICF कोरिडोर वैगन की नई टेक्नोलॉजी के रेल की ओर से बनाए जा रहे वैगन की मरम्मत के मामले में पूरे जोन का ये एक मात्र वर्कशॉप है, जहां यह काम होता है.
आउट टर्न बढ़ाः विकास अग्रवाल बताते हैं कि समय के साथ इस कारखाने ने भी खुद को अपग्रेड किया है. अब जिस तरह से नए टेक्नोलॉजी के वैगन भारतीय रेलवे में काम में लिए जा रहे हैं, उनकी मरम्मत और रखरखाव का काम यहां होता है. परफॉर्मेंस के लिहाज से बात की जाए तो यहां हर महीने 105 वैगन दुरस्त होते हैं.
भारतीय रेलवे को आज देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ कहा जाता है, लेकिन यह महाराजा गंगा सिंह की दूरदर्शी सोच ही थी कि उन्होंने उस वक्त इस बात को समझ लिया और बीकानेर रियासत की अर्थव्यवस्था को रेल से जोड़ते हुए यहां कारखाने की स्थापना कराई थी.