बीकानेर. भगवान शिव को देवादिदेव कहा जाता है. मान्यता है कि सारे देवता भगवान शिव की पूजा आराधना करते हैं. सनातन धर्म में हर तिथि, वार व दिन का अपना विशेष महत्व होता है. सोमवार का दिन भगवान शिव की पूजा पाठ का दिन है और कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को भी भगवान शिव की आराधना का महत्व शास्त्रों में भी बताया गया है. आज के दिन एक विशेष संयोग है कि चतुर्दशी तिथि और सोमवार एक साथ पड़ा है. ऐसे में आज भगवान शिव की पूजा अर्चना करने से जातक के जीवन में भगवान महादेव की विशेष कृपा प्राप्त होगा.
इसलिये शिव हैं चंद्रमौलेश्वर
सोमवार वैसे तो चंद्रमा का नाम है और यह दिन चंद्रमा के नाम से भी जाना जाता है. सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा इसलिए की जाती है कि चंद्रमा को श्राप से मुक्ति भगवान शिव ने दिलाई थी. इसलिए चंद्रमा के आराध्य भगवान शिव कहलाए. भगवान शिव का चंद्रमौलेश्वर नाम भी चंद्रमा और शिव से जुड़कर ही बना है. जिसकी मौली पर चंद्रमा हो वह ईश्वर चंद्रमौलेश्वर यानी कि खुद भगवान शिव हैं.
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इस तरह करें पूजा
भगवान शिव को महादेव व भोलेनाथ भी कहा जाता है. दरअसल ऐसा इसलिए कहा जाता है कि भगवान शिव अपने भक्तों पर जल्दी प्रसन्न होते हैं. एक लोटा जल चढ़ाने से भी भगवान शिव मनोकामना पूरी करते हैं. भगवान शिव की पूजा करने के लिए सर्वप्रथम गणेश का ध्यान करना चाहिए और तत्पश्चात शिव परिवार और नंदी का पूजन करते हुए शिवलिंग पर जल, गंगाजल, दूध, पंचामृत से अभिषेक करना चाहिए. भगवान शिव को पूजा आराधना की पूजा में भांग, बिल्वपत्र अर्थात बेल पत्र, धतूरा का फल और फूल अर्पण करना चाहिए.
व्रत करने का महत्व
सोमवार के दिन भगवान शिव की आराधना और व्रत करने का विशेष महत्त्व शास्त्रों में भी लिखा है. सोमवार प्रदोष तिथि चतुर्दशी तिथि के दिन भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए रखे गए व्रत में शाम को प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा आराधना के बाद ही पारण अर्थात भोजन करना चाहिए.