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Govardhan Puja 2022 : इंद्र के अहंकार को तोड़ने की कृष्ण लीला से जुड़ी है गोवर्धन पूजा की परंपरा

आज गोवर्धन पूजा का दिन है. आमतौर पर दिवाली के एक दिन बाद ही पूजा होती है लेकिन इस बार आंशिक सूर्यग्रहण के कारण गोवर्धन पूजा 26 अक्टूबर को (Govardhan puja 2022 Date) मनाई जा रही है. आइए जानते हैं कैसे शुरू हुई गोवर्धन पूजा की परंपरा...

Govardhan puja on 26 October
Govardhan puja on 26 October
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Published : Oct 25, 2022, 6:02 AM IST

Updated : Oct 26, 2022, 6:54 AM IST

बीकानेर. कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को गोवर्धन पूजा पर्व मनाया जाता है. हालांकि, आमतौर पर यह पर्व (Govardhan puja 2022 Date) दीपावली के अगले दिन होता है, लेकिन इस बार गोवर्धन पूजा दीपावली के दूसरे दिन न कर आज यानी 26 अक्टूबर को की जा रही है.

पंचांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू कहते हैं कि गोवर्धन पूजा कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को होती है. इस बार 26 अक्टूबर को कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा है. गोवर्धन पूजा को लेकर वे कहते हैं कि इसकी शुरुआत द्वापर युग में कृष्ण अवतार के समय मानी जाती है. वे बताते हैं कि इंद्रदेव के अहंकार को खत्म करने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने अपने कृष्णावतार में गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठा लिया था और ब्रज के लोगों को बचाया था.

गोवर्धन पूजा की परंपरा...

यह है कथा : दरअसल, गोवर्धन पूजा के शुरू होने के पीछे एक कथा है. शास्त्रों के अनुसार (story behind Govardhan puja) कृष्ण ने इंद्र के अभिमान को तोड़ने के लिए ब्रजवासियों को इंद्र की बजाय गोवर्धन पर्वत की पूजा करने की बात कही. कृष्ण ने उन लोगों से कहा कि वर्षा करना तो इंद्रदेव का कर्तव्य लेकिन हमारी गायें तो वहीं चरती हैं और हमें फल-फूल, सब्जियां आदि भी गोवर्धन पर्वत से प्राप्त होती हैं. इसके बाद सभी ब्रजवासी इंद्रदेव की बजाए गोवर्धन पर्वत की पूजा करने लगे.

पढ़ें. गोवर्धन पूजा के दिन क्या करें और क्या नहीं, जानिए खास बातें

इस बात से कुपित होकर इंद्र ने मूसलाधार बारिश कर दिया. भगवान कृष्ण ने इंद्रदेव का (Govardhan puja in Bikaner) अंहकार तोड़ने और सभी ब्रजवासियों की रक्षा करने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठा लिया. सभी ब्रजवासियों ने गोवर्धन पर्वत के नीचे शरण ली. इसके बाद इंद्र ने श्री कृष्ण से क्षमा याचना की. इसी के बाद से गोवर्धन पर्वत के पूजन की परंपरा आरंभ हुई.

गोवर्धन पर्वत मानकर पूजा : पंडित राजेंद्र किराडू कहते हैं कि मथुरा वृंदावन में लोग गोवर्धन पर्वत की साक्षात पूजा करते हैं. अन्य स्थानों के लोग भारतीय संस्कृति में देसी गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाकर उनकी पूजा करते हैं. राजेंद्र किराडू कहते हैं कि इस दिन वैष्णव मंदिरों में अन्नकूट का आयोजन होता है. भगवान को छप्पन भोग अर्पित किया जाता है.

बीकानेर. कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को गोवर्धन पूजा पर्व मनाया जाता है. हालांकि, आमतौर पर यह पर्व (Govardhan puja 2022 Date) दीपावली के अगले दिन होता है, लेकिन इस बार गोवर्धन पूजा दीपावली के दूसरे दिन न कर आज यानी 26 अक्टूबर को की जा रही है.

पंचांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू कहते हैं कि गोवर्धन पूजा कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को होती है. इस बार 26 अक्टूबर को कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा है. गोवर्धन पूजा को लेकर वे कहते हैं कि इसकी शुरुआत द्वापर युग में कृष्ण अवतार के समय मानी जाती है. वे बताते हैं कि इंद्रदेव के अहंकार को खत्म करने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने अपने कृष्णावतार में गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठा लिया था और ब्रज के लोगों को बचाया था.

गोवर्धन पूजा की परंपरा...

यह है कथा : दरअसल, गोवर्धन पूजा के शुरू होने के पीछे एक कथा है. शास्त्रों के अनुसार (story behind Govardhan puja) कृष्ण ने इंद्र के अभिमान को तोड़ने के लिए ब्रजवासियों को इंद्र की बजाय गोवर्धन पर्वत की पूजा करने की बात कही. कृष्ण ने उन लोगों से कहा कि वर्षा करना तो इंद्रदेव का कर्तव्य लेकिन हमारी गायें तो वहीं चरती हैं और हमें फल-फूल, सब्जियां आदि भी गोवर्धन पर्वत से प्राप्त होती हैं. इसके बाद सभी ब्रजवासी इंद्रदेव की बजाए गोवर्धन पर्वत की पूजा करने लगे.

पढ़ें. गोवर्धन पूजा के दिन क्या करें और क्या नहीं, जानिए खास बातें

इस बात से कुपित होकर इंद्र ने मूसलाधार बारिश कर दिया. भगवान कृष्ण ने इंद्रदेव का (Govardhan puja in Bikaner) अंहकार तोड़ने और सभी ब्रजवासियों की रक्षा करने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठा लिया. सभी ब्रजवासियों ने गोवर्धन पर्वत के नीचे शरण ली. इसके बाद इंद्र ने श्री कृष्ण से क्षमा याचना की. इसी के बाद से गोवर्धन पर्वत के पूजन की परंपरा आरंभ हुई.

गोवर्धन पर्वत मानकर पूजा : पंडित राजेंद्र किराडू कहते हैं कि मथुरा वृंदावन में लोग गोवर्धन पर्वत की साक्षात पूजा करते हैं. अन्य स्थानों के लोग भारतीय संस्कृति में देसी गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाकर उनकी पूजा करते हैं. राजेंद्र किराडू कहते हैं कि इस दिन वैष्णव मंदिरों में अन्नकूट का आयोजन होता है. भगवान को छप्पन भोग अर्पित किया जाता है.

Last Updated : Oct 26, 2022, 6:54 AM IST
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