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भाई दूज आज, जानें कैसे पड़ा यम द्वितीया नाम!

कार्तिक शुक्ल द्वितीया को 5 दिवसीय दीपोत्सव की पूर्णाहुति होती है और इसी दिन भाई दूज का पर्व मनाया (Bhai Dooj 2022) जाता है. भाई दूज के त्यौहार की परंपरा की कथा भी बड़ी रोचक है, जो यमुना जी और उनके भाई यमराज से जुड़ी है.

Know how Bhai Dooj started
जानें कैसे हुई भाई दूज की शुरुआत
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Published : Oct 26, 2022, 12:42 PM IST

Updated : Oct 27, 2022, 10:55 AM IST

बीकानेर. कार्तिक शुक्ल द्वितीया को 5 दिवसीय दीपोत्सव की पूर्णाहुति होती है और इसी दिन भाई दूज का पर्व मनाया (Bhai Dooj 2022) जाता है. धनतेरस से शुरू हुआ दीपोत्सव का क्रम पांचवें दिन भाई दूज तक चलता है और आखिरी दिन यानी भाई दूज को बहनें अपने भाई के दीर्घायु होने की (sister wishes for brother long life) कामना करती हैं.

यम द्वितीया स्नान का महत्व: पंचांगकर्ता पं. राजेंद्र किराडू बताते हैं कि भाई दूज के दिन यमुना नदी में स्नान करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है और इसे यम द्वितीया स्नान कहते हैं. कथाओं में इस बात का जिक्र मिलता है कि भाई दूज के दिन यमुना जी के घर आए उनके भाई यमराज भी यमुना नदी में स्नान किए थे. इसी कारण इस दिन यमुना नदी में स्नान का विशेष महत्व है और मान्यता है कि इस दिन यमुना नदी में स्नान करने से भाई की उम्र बढ़ती है.

ऐसे हुई भाई दूज की शुरुआत

ऐसे बनी बहन के यहां भोजन करने की परंपरा: पं. राजेंद्र किराडू बताते हैं कि वैसे तो शास्त्रों में बहन के यहां भोजन करने की भाइयों को मनाही है, लेकिन यमुना जी के निमंत्रण पर भाई यम उनके घर गए थे. बहन के घर उन्होंने भोजन किया और तभी से ये परंपरा चली आ रही है. ऐसी मान्यता है कि भाई दूज के दिन दीपदान करने से यमराज और यमुना जी प्रसन्न होते हैं.

इसे भी पढ़ें - Govardhan Puja 2022: 102 साल पुरानी पोशाक धारण करेंगे गोविंद देव जी, अक्षरधाम में 1111 व्यंजनों की झांकी

क्या है कथा: कहते हैं कि भगवान यमराज और यमुना जी भाई-बहन थे और यमुना जी अक्सर उन्हें अपने घर आने के लिए कहती थी. एक दिन कार्तिक शुक्ल द्वितीया को यमुना जी ने अपने भाई यमराज जी को निमंत्रण दिया, जिसे उनके भाई ने स्वीकार कर लिया. साथ ही इस दिन बहन के घर जाते समय उन्होंने नरक में निवास करने वाले जीवों को मुक्त कर दिया.

इस दिन यमराज जी ने अपनी बहन यमुना को इस बात का भी वचन दिया था कि जो भी भाई आज के दिन अपनी बहन के घर जाकर इस परंपरा का निर्वहन करेगा. उसको कभी उनका भय नहीं होगा. तभी से भाई दूज के दिन बहन के घर जाकर तिलक लगवाने व भोजन करने की परंपरा शुरू हुई.

बीकानेर. कार्तिक शुक्ल द्वितीया को 5 दिवसीय दीपोत्सव की पूर्णाहुति होती है और इसी दिन भाई दूज का पर्व मनाया (Bhai Dooj 2022) जाता है. धनतेरस से शुरू हुआ दीपोत्सव का क्रम पांचवें दिन भाई दूज तक चलता है और आखिरी दिन यानी भाई दूज को बहनें अपने भाई के दीर्घायु होने की (sister wishes for brother long life) कामना करती हैं.

यम द्वितीया स्नान का महत्व: पंचांगकर्ता पं. राजेंद्र किराडू बताते हैं कि भाई दूज के दिन यमुना नदी में स्नान करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है और इसे यम द्वितीया स्नान कहते हैं. कथाओं में इस बात का जिक्र मिलता है कि भाई दूज के दिन यमुना जी के घर आए उनके भाई यमराज भी यमुना नदी में स्नान किए थे. इसी कारण इस दिन यमुना नदी में स्नान का विशेष महत्व है और मान्यता है कि इस दिन यमुना नदी में स्नान करने से भाई की उम्र बढ़ती है.

ऐसे हुई भाई दूज की शुरुआत

ऐसे बनी बहन के यहां भोजन करने की परंपरा: पं. राजेंद्र किराडू बताते हैं कि वैसे तो शास्त्रों में बहन के यहां भोजन करने की भाइयों को मनाही है, लेकिन यमुना जी के निमंत्रण पर भाई यम उनके घर गए थे. बहन के घर उन्होंने भोजन किया और तभी से ये परंपरा चली आ रही है. ऐसी मान्यता है कि भाई दूज के दिन दीपदान करने से यमराज और यमुना जी प्रसन्न होते हैं.

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क्या है कथा: कहते हैं कि भगवान यमराज और यमुना जी भाई-बहन थे और यमुना जी अक्सर उन्हें अपने घर आने के लिए कहती थी. एक दिन कार्तिक शुक्ल द्वितीया को यमुना जी ने अपने भाई यमराज जी को निमंत्रण दिया, जिसे उनके भाई ने स्वीकार कर लिया. साथ ही इस दिन बहन के घर जाते समय उन्होंने नरक में निवास करने वाले जीवों को मुक्त कर दिया.

इस दिन यमराज जी ने अपनी बहन यमुना को इस बात का भी वचन दिया था कि जो भी भाई आज के दिन अपनी बहन के घर जाकर इस परंपरा का निर्वहन करेगा. उसको कभी उनका भय नहीं होगा. तभी से भाई दूज के दिन बहन के घर जाकर तिलक लगवाने व भोजन करने की परंपरा शुरू हुई.

Last Updated : Oct 27, 2022, 10:55 AM IST
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