बीकानेर. मार्गशीष अष्टमी को भैरवनाथ का अवतरण हुआ था (Bhairava Ashtami 2022). काल को हरने वाले भैरवनाथ को काल भैरव भी कहा जाता है और इस दिन को भैरव अष्टमी भी कहा जाता है. इसे काल भैरव अष्टमी के रूप में भी जाना जाता है. इनका वाहन श्वान होता है.
भगवान भैरवनाथ की दो स्वरूप में पूजा होती है जिन्हें काला भैरव और गोरा भैरव के नाम से पुकारा जाता है. मान्यता है कि गोरा भैरव स्वर्णाकर्षण भैरव नाथ की पूजा अर्चना करने से हर प्रकार की बाधा दूर हो जाती है.
रुद्र और विष्णु अवतार : पंचांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू कहते हैं कि भगवान भैरव नाथ की दो स्वरुप में पूजा होती है उन्हें काला भैरव और गोरा भैरव रुप में पूजा जाता है. काला भैरव भगवान शिव यानी कि रुद्र का अवतार है और स्वर्ण भैरव यानी कि गोरा भैरव को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है.
क्या है विधि और समस्या हरण के उपाय:
- भगवान भैरवनाथ को तेल से अभिषेक करना चाहिए.अभिषेक करने से कई संकटों से मुक्ति मिलती है.
- भगवान को अलग-अलग भोग अर्पित किए जाते हैं लेकिन उड़द से बनी खाद्यान्न का भोग लगाना श्रेष्ठ रहता है.
- भैरव अष्टमी के दिन शष्टोत्तर नाम का जाप करना चाहिए और बीजमंत्र का भी जाप करना चाहिए.
- कार्यसिद्धि के कामना के अनुसार बीजमंत्र का जाप होता है.
- भगवान भैरवनाथ के गोरा भैरव यानी कि स्वर्णाकर्षण भैरव की पूजा लक्ष्मी प्राप्ति के लिए भी की जाती है.
दोषों से मुक्ति का सार: भैरवनाथ को भगवान शंकर के पांचवें अवतार रूद्रावतार के रूप में पूजा जाता है. मान्यता है कि भैरव बाबा की पूजा-अर्चना से कालसर्प दोष, मांगलिक दोष, शनि, मंगल, राहु ग्रहों के कुप्रभाव से मुक्ति मिलती है. कहा जाता है कि राजकीय बाधाओं से पीड़ित व्यक्ति को भगवान भैरवनाथ की पूजा अर्चना करनी चाहिए इससे उसके रुके हुए काम पूरे होते हैं और समस्त प्रकार की बाधाएं दूर होती है.