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Shardiya Navratri 2023 : नवरात्रि के छठे दिन मां दुर्गा के कात्यायनी स्वरूप की होती है पूजा, जानें पूजन विधि - Katyayani form of Maa Durga

शक्ति की आराधना के महापर्व शारदीय नवरात्र के छठे दिन यानी आज (शुक्रवार) मां दुर्गा के कात्यायनी स्वरूप की पूजा होती है. मान्यता है कि आज के दिन जो भी भक्त सच्चे मन से देवी की आराधना करता है उसकी माता रानी सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं.

Shardiya Navratri 2023
Shardiya Navratri 2023
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Oct 20, 2023, 7:07 AM IST

बीकानेर. शारदीय नवरात्रि के छठे दिन मां दुर्गा के कात्यायनी स्वरूप की उपासना की होती है. मां कात्यायनी स्वरूप की पूजा करने से भक्तों को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. वहीं, माता के इस स्वरूप की पूजा करने से कुंवारी कन्या को विशेष लाभ होता है. पंडित राजेंद्र किराडू ने बताते हैं कि मां कात्यायनी सिंह पर आरूढ़ है और हाथ में कमल का पुष्प व त्रिशूल धारण करती हैं. देवी के इस स्वरूप की षोडशोपचार विधि से पूजा करने से भक्तों को सुफल की प्राप्ति होती है.

मां कात्यायनी की पूजा करने से दूर होती हैं अड़चन - धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां कात्यायनी की पूजा-अर्चना करने से विवाह में आ रही परेशानियां दूर हो जाती हैं. कुंडली में बृहस्पति मजबूत होता है. वहीं, मां कात्यायनी को शहद का भोग लगाने से सुंदर रूप की प्राप्ति होती है. साथ ही शत्रुओं का भय भी समाप्त हो जाता है.

इसे भी पढ़ें - राजस्थान के इस देवी मंदिर के पट नवरात्रि में 7 दिन रहते हैं बंद, भक्तों को अष्टमी का रहता है इंतजार

इसलिए पड़ा कात्यायनी नाम - पञ्चांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू ने बताया कि जिस तरह प्रथम दिन मां शैलपुत्री की पूजा होती है और शैलपुत्री का मतलब हिमालय की पुत्री से है. ठीक उसी तरह कात्यायनी ऋषि ने भी भगवती मां दुर्गा की आराधना की थी और मां दुर्गा के पुत्री स्वरूप में उनके घर उत्पन्न होने की कामना की थी. ऋषि की तपस्या से प्रसन्न होकर मां दुर्गा ने उन्हें मनोवांछित वर भेंट की और उनके घर पुत्री स्वरूप आई थीं.

मिलता मनपसंद जीवनसाथी - पंडित किराडू ने बताते हैं कि यदि कुंवारी कन्या मां कात्यायनी की पूजा आराधना पूरे विधि विधान से करें उसके विवाह में आ रही सभी रूकावटें दूर हो जाती हैं. साथ ही कन्या का शीघ्र विवाह होता है और उसे मनवांछित जीवनसाथी की प्राप्ति होती है. उन्होंने बताया कि शास्त्रों में नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा में तगर के पुष्प अर्पण करने का उल्लेख है. उन्होंने कहा कि वैसे तो देवी को सभी प्रकार के पुष्प प्रिय हैं, लेकिन अगर देवी को आज के दिन तगर के पुष्प चढ़ाए जाए तो वो विशेष रूप से प्रसन्न होती हैं.

बीकानेर. शारदीय नवरात्रि के छठे दिन मां दुर्गा के कात्यायनी स्वरूप की उपासना की होती है. मां कात्यायनी स्वरूप की पूजा करने से भक्तों को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. वहीं, माता के इस स्वरूप की पूजा करने से कुंवारी कन्या को विशेष लाभ होता है. पंडित राजेंद्र किराडू ने बताते हैं कि मां कात्यायनी सिंह पर आरूढ़ है और हाथ में कमल का पुष्प व त्रिशूल धारण करती हैं. देवी के इस स्वरूप की षोडशोपचार विधि से पूजा करने से भक्तों को सुफल की प्राप्ति होती है.

मां कात्यायनी की पूजा करने से दूर होती हैं अड़चन - धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां कात्यायनी की पूजा-अर्चना करने से विवाह में आ रही परेशानियां दूर हो जाती हैं. कुंडली में बृहस्पति मजबूत होता है. वहीं, मां कात्यायनी को शहद का भोग लगाने से सुंदर रूप की प्राप्ति होती है. साथ ही शत्रुओं का भय भी समाप्त हो जाता है.

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इसलिए पड़ा कात्यायनी नाम - पञ्चांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू ने बताया कि जिस तरह प्रथम दिन मां शैलपुत्री की पूजा होती है और शैलपुत्री का मतलब हिमालय की पुत्री से है. ठीक उसी तरह कात्यायनी ऋषि ने भी भगवती मां दुर्गा की आराधना की थी और मां दुर्गा के पुत्री स्वरूप में उनके घर उत्पन्न होने की कामना की थी. ऋषि की तपस्या से प्रसन्न होकर मां दुर्गा ने उन्हें मनोवांछित वर भेंट की और उनके घर पुत्री स्वरूप आई थीं.

मिलता मनपसंद जीवनसाथी - पंडित किराडू ने बताते हैं कि यदि कुंवारी कन्या मां कात्यायनी की पूजा आराधना पूरे विधि विधान से करें उसके विवाह में आ रही सभी रूकावटें दूर हो जाती हैं. साथ ही कन्या का शीघ्र विवाह होता है और उसे मनवांछित जीवनसाथी की प्राप्ति होती है. उन्होंने बताया कि शास्त्रों में नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा में तगर के पुष्प अर्पण करने का उल्लेख है. उन्होंने कहा कि वैसे तो देवी को सभी प्रकार के पुष्प प्रिय हैं, लेकिन अगर देवी को आज के दिन तगर के पुष्प चढ़ाए जाए तो वो विशेष रूप से प्रसन्न होती हैं.

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