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Holi Time and Date in Rajasthan राजस्थान में 6 मार्च को होलिका दहन 7 मार्च को धूलंडी, पूर्णिमा और सूर्यास्त आधार पर वक्त निर्धारण

इस बार देश में अलग-अलग राज्यों में होलिका दहन को मत अंतर देखने को मिल रहा है और पूर्णिमा तिथि के चलते अपनी गणना के हिसाब से कहीं 6 तो कहीं 7 मार्च को होलिका दहन की तिथि बता रहे हैं. होलिका दहन में भद्रा को टालने के लिए भी समय में परिवर्तन हो रहा है. Bhadra in Holika Dahan

Holika Dahan on March 6 in Rajasthan
राजस्थान में 6 मार्च को होलिका दहन
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Published : Feb 25, 2023, 1:16 PM IST

बीकानेर. होलिका दहन 6 मार्च को होगा और इस बार होलिका दहन के समय एवं तिथि को लेकर भी दुविधा सामने आ रही है. देश में इस बार अलग-अलग राज्यों में होलिका दहन और धुलंडी का पर्व में एक दिन का अंतर देखने को मिल रहा है. राजस्थान सहित अन्य राज्यों में जहां 6 मार्च को प्रदोषकाल में होलिका दहन होगा, वहीं देश के पूर्वोत्तर राज्यों और अन्य राज्यों में एक दिन का अंतर देखने को मिल रहा है. राजस्थान सहित कई अन्य उत्तर भारत राज्यों में जहां होलिका दहन 6 मार्च को 7 मार्च को धूलंडी होगी, वहीं पूर्वोत्तर राज्यों में 7 मार्च को होलिका दहन और 8 मार्च को धुलंडी का पर्व मनाया जाएगा.

ये है तिथि भिन्नता का कारण - उत्तर भारत और पूर्वोत्तर राज्यों में सूर्यास्त और सूर्योदय में अंतर होता है और इसी अंतर के आधार पर दोनों क्षेत्रों में अलग-अलग दिन होलिका दहन होगा. फाल्गुन पूर्णिमा 6 मार्च को शाम 4:18 बजे प्रारंभ होगी, जो 7 मार्च को शाम 6:10 बजे तक रहेगी. जहां सूर्यास्त शाम 6:10 बजे बाद होगा, वहां 6 मार्च को होलिका दहन होगा. जहां सूर्यास्त शाम 6:10 बजे से पहले होगा, वहां होलिका दहन 7 मार्च को होगा. शाम 6:10 बजे के पहले होगा, वहां पूर्णिमा दो दिन प्रदोष व्यापिनी होने से 7 मार्च को प्रदोष काल में होलिका दहन होगा. प्रदेश सहित पश्चिमी भारत में प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा 6 मार्च को ही मिल रही है.

पढ़ें- Holashtak 2023 Katha: 27 फरवरी से शुरु होंगे होलाष्टक, शिव के क्रोध से जुड़ी है कथा

भद्रा को लेकर मत - होलिका दहन, रक्षाबंधन के दिन हमेशा भद्रा होती है और इस बार भद्रा 6 मार्च को शाम 4:18 बजे से दूसरे दिन सुबह 5:14 बजे तक रहेगी, जो होलिका दहन का समय है. शास्त्र अनुसार होलिका दहन में भद्रा को टाला जाता है. ज्योतिषी अविनाश चंद्र व्यास कहते हैं कि भद्रा के समय में प्रदोष काल का महत्व देखा जाता है और इस आधार पर निर्णय किया जाना चाहिए. सूर्यास्त से 45 मिनट पहले और 45 मिनट बाद कुल डेढ़ घण्टे का समय प्रदोष काल है. होलिका दहन प्रदोष काल में होता है तो इस वक्त भद्रा का असर प्रभावित नहीं करता है. वहीं पंडित राजेंद्र किराडू कहते हैं कि शास्त्रों में इस बात का साफ उल्लेख है कि पर्व के दिन या अन्य किसी शुभ कार्य की करने के दिन भद्रा का योग आ रहा है, तो मध्यान्ह के पश्चात उसका शुभ फल शुरू हो जाता है. क्योंकि शास्त्रों में परिहार और अपवाद अध्याय है और उसके मुताबिक मध्यान्ह के बाद भद्रा का शुभ फल प्राप्त होना शुरू हो जाता है. ऐसे में होलिका दहन पर भद्रा का कोई असर नहीं रहता है.

पढ़ें- Holashtak 2023 Beliefs : जानिए होलाष्टक की ज्योतिषीय व उससे जुड़ी अन्य मान्यताएं

बीकानेर. होलिका दहन 6 मार्च को होगा और इस बार होलिका दहन के समय एवं तिथि को लेकर भी दुविधा सामने आ रही है. देश में इस बार अलग-अलग राज्यों में होलिका दहन और धुलंडी का पर्व में एक दिन का अंतर देखने को मिल रहा है. राजस्थान सहित अन्य राज्यों में जहां 6 मार्च को प्रदोषकाल में होलिका दहन होगा, वहीं देश के पूर्वोत्तर राज्यों और अन्य राज्यों में एक दिन का अंतर देखने को मिल रहा है. राजस्थान सहित कई अन्य उत्तर भारत राज्यों में जहां होलिका दहन 6 मार्च को 7 मार्च को धूलंडी होगी, वहीं पूर्वोत्तर राज्यों में 7 मार्च को होलिका दहन और 8 मार्च को धुलंडी का पर्व मनाया जाएगा.

ये है तिथि भिन्नता का कारण - उत्तर भारत और पूर्वोत्तर राज्यों में सूर्यास्त और सूर्योदय में अंतर होता है और इसी अंतर के आधार पर दोनों क्षेत्रों में अलग-अलग दिन होलिका दहन होगा. फाल्गुन पूर्णिमा 6 मार्च को शाम 4:18 बजे प्रारंभ होगी, जो 7 मार्च को शाम 6:10 बजे तक रहेगी. जहां सूर्यास्त शाम 6:10 बजे बाद होगा, वहां 6 मार्च को होलिका दहन होगा. जहां सूर्यास्त शाम 6:10 बजे से पहले होगा, वहां होलिका दहन 7 मार्च को होगा. शाम 6:10 बजे के पहले होगा, वहां पूर्णिमा दो दिन प्रदोष व्यापिनी होने से 7 मार्च को प्रदोष काल में होलिका दहन होगा. प्रदेश सहित पश्चिमी भारत में प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा 6 मार्च को ही मिल रही है.

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भद्रा को लेकर मत - होलिका दहन, रक्षाबंधन के दिन हमेशा भद्रा होती है और इस बार भद्रा 6 मार्च को शाम 4:18 बजे से दूसरे दिन सुबह 5:14 बजे तक रहेगी, जो होलिका दहन का समय है. शास्त्र अनुसार होलिका दहन में भद्रा को टाला जाता है. ज्योतिषी अविनाश चंद्र व्यास कहते हैं कि भद्रा के समय में प्रदोष काल का महत्व देखा जाता है और इस आधार पर निर्णय किया जाना चाहिए. सूर्यास्त से 45 मिनट पहले और 45 मिनट बाद कुल डेढ़ घण्टे का समय प्रदोष काल है. होलिका दहन प्रदोष काल में होता है तो इस वक्त भद्रा का असर प्रभावित नहीं करता है. वहीं पंडित राजेंद्र किराडू कहते हैं कि शास्त्रों में इस बात का साफ उल्लेख है कि पर्व के दिन या अन्य किसी शुभ कार्य की करने के दिन भद्रा का योग आ रहा है, तो मध्यान्ह के पश्चात उसका शुभ फल शुरू हो जाता है. क्योंकि शास्त्रों में परिहार और अपवाद अध्याय है और उसके मुताबिक मध्यान्ह के बाद भद्रा का शुभ फल प्राप्त होना शुरू हो जाता है. ऐसे में होलिका दहन पर भद्रा का कोई असर नहीं रहता है.

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