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Holi 2023 : धुलंडी के दिन निभाई गई तणी काटने की परंपरा, जानें क्या है खास

होली के अवसर पर बीकानेर में तणी काटने की परंपरा रियासतकाल से चली आ (Holi Festival in Bikaner) रही है. इस साल भी धुलंडी पर इस परंपरा का आयोजन किया गया.

Holi Festival in Bikaner
बीकानेर में तणी काटने की परंपरा
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Published : Mar 7, 2023, 9:24 PM IST

धुलंडी के दिन निभाई गई तणी काटने की परंपरा

बीकानेर. धुलंडी के दिन बीकानेर के परकोटा क्षेत्र में नत्थूसर गेट पर तणी काटने की परंपरा निभाई गई. रियासतकाल से चली आ रही परंपरा का आयोजन पहले बारह गुवाड़ चौक स्थित सूरदासाणी मोहल्ले में होता था. वर्ष 1993 से नत्थूसर गेट के बाहर इसका आयोजन हो रहा है. बीकानेर के पुष्करणा समाज के सूरदासाणी पुरोहित जाति की ओर से तणी बांधी जाती है.

आज भी निभाई जाती है परंपरा : स्थानीय निवासियों ने बताया कि तणी काटने की यह परंपरा कब और कैसे शुरू हुई, इसको लेकर कोई सटिक जानकारी नहीं है. लेकिन साल दर साल परंपरा को निभाया जा रहा है. इसको तैयार करने, बांधने के साथ इसे काटने का अपना एक नियम है. हर साल आज के दिन नत्थूसर गेट के बाहर इसका आयोजन होता है. पुष्करणा समाज की विभिन्न जातियों की गेवर परंपरा के साथ ही यह आयोजित होता है. परम्परागत रूप से जोशी जाति के पुरुष की ओर से तणी को काटा जाता है. तणी कटने के दौरान वहां मौजूद लोग हवा में गुलाल उड़ालकर तणी काटने वाले युवक का ध्यान भटकाने की भी कोशिश करते हैं.

पढ़ें. मंडावा की सूखी होली ने बनाई खास पहचान, 125 साल से निभा रहे परंपरा

ऐसे बनती है तणी : तणी को तैयार करने में सात आठ किलो मूंझ का उपयोग होता है. मूंझ को बटते हुए 20 फीट लंबाई में तणी तैयार की जाती है. कई घंटों तक पानी में डुबोकर मेहनत के साथ तैयार होने वाली तणी को दो छोर पर बांधा जाता है.

जोशी जाति का युवक काटता है तणी : पुष्करणा समाज के जोशी जाति का युवक इस तणी को काटता है. किराडू जाति के पुरुषों के कंधों पर खड़े होकर युवक तणी काटते हैं. इस दौरान ओझा, छंगाणी, सूरदासाणी, किराडू, जोशी सहित समाज की जाति गेवर पहुंचने के बाद तणी काटने की रस्म प्रारंभ होती है.

पढ़ें. Holi 2023: होली खेलन समारोह में विधायक दानिश अबरार ने लगाए ठुमके, देखें VIDEO

कोटा में भी कोड़ा और डोलची मार होली : राज परिवार की तरफ से मंगलवार को होली के अवसर पर रियासत कालीन कोड़ा व डोलची मार होली का आयोजन सिविल लाइंस स्थित राजभवन के बगीचे में किया गया. इसमें शामिल हुए विदेशी पर्यटकों ने भी कोड़ा मार होली का लुत्फ उठाया. इसमें महिलाएं रंग लगाने आने वाले युवाओं को कोड़े मारती हैं. आदमी डोलची से पानी महिलाओं पर फेंकते हैं.

पूर्व सांसद पर भी बरसाए कोड़े : इस दौरान कोटा के पूर्व महाराव व पूर्व सांसद इज्यराज सिंह और उनकी पत्नी पूर्व महारानी लाडपुरा विधायक कल्पना देवी ने भी होली का जमकर आनंद लिया. कल्पना देवी ने भी इज्यराज सिंह और अन्य उपस्थित लोगों पर जमकर कोड़े बरसाए. पूर्व महाराव इज्यराज सिंह ने कहा कि कोड़ा और डोलची मार होली सदियों से खेली जा रही है. इसमें सबको खूब मजा आता है. विदेशी मेहमान भी हमारे साथ होली खेल रहे हैं.

धुलंडी के दिन निभाई गई तणी काटने की परंपरा

बीकानेर. धुलंडी के दिन बीकानेर के परकोटा क्षेत्र में नत्थूसर गेट पर तणी काटने की परंपरा निभाई गई. रियासतकाल से चली आ रही परंपरा का आयोजन पहले बारह गुवाड़ चौक स्थित सूरदासाणी मोहल्ले में होता था. वर्ष 1993 से नत्थूसर गेट के बाहर इसका आयोजन हो रहा है. बीकानेर के पुष्करणा समाज के सूरदासाणी पुरोहित जाति की ओर से तणी बांधी जाती है.

आज भी निभाई जाती है परंपरा : स्थानीय निवासियों ने बताया कि तणी काटने की यह परंपरा कब और कैसे शुरू हुई, इसको लेकर कोई सटिक जानकारी नहीं है. लेकिन साल दर साल परंपरा को निभाया जा रहा है. इसको तैयार करने, बांधने के साथ इसे काटने का अपना एक नियम है. हर साल आज के दिन नत्थूसर गेट के बाहर इसका आयोजन होता है. पुष्करणा समाज की विभिन्न जातियों की गेवर परंपरा के साथ ही यह आयोजित होता है. परम्परागत रूप से जोशी जाति के पुरुष की ओर से तणी को काटा जाता है. तणी कटने के दौरान वहां मौजूद लोग हवा में गुलाल उड़ालकर तणी काटने वाले युवक का ध्यान भटकाने की भी कोशिश करते हैं.

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ऐसे बनती है तणी : तणी को तैयार करने में सात आठ किलो मूंझ का उपयोग होता है. मूंझ को बटते हुए 20 फीट लंबाई में तणी तैयार की जाती है. कई घंटों तक पानी में डुबोकर मेहनत के साथ तैयार होने वाली तणी को दो छोर पर बांधा जाता है.

जोशी जाति का युवक काटता है तणी : पुष्करणा समाज के जोशी जाति का युवक इस तणी को काटता है. किराडू जाति के पुरुषों के कंधों पर खड़े होकर युवक तणी काटते हैं. इस दौरान ओझा, छंगाणी, सूरदासाणी, किराडू, जोशी सहित समाज की जाति गेवर पहुंचने के बाद तणी काटने की रस्म प्रारंभ होती है.

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कोटा में भी कोड़ा और डोलची मार होली : राज परिवार की तरफ से मंगलवार को होली के अवसर पर रियासत कालीन कोड़ा व डोलची मार होली का आयोजन सिविल लाइंस स्थित राजभवन के बगीचे में किया गया. इसमें शामिल हुए विदेशी पर्यटकों ने भी कोड़ा मार होली का लुत्फ उठाया. इसमें महिलाएं रंग लगाने आने वाले युवाओं को कोड़े मारती हैं. आदमी डोलची से पानी महिलाओं पर फेंकते हैं.

पूर्व सांसद पर भी बरसाए कोड़े : इस दौरान कोटा के पूर्व महाराव व पूर्व सांसद इज्यराज सिंह और उनकी पत्नी पूर्व महारानी लाडपुरा विधायक कल्पना देवी ने भी होली का जमकर आनंद लिया. कल्पना देवी ने भी इज्यराज सिंह और अन्य उपस्थित लोगों पर जमकर कोड़े बरसाए. पूर्व महाराव इज्यराज सिंह ने कहा कि कोड़ा और डोलची मार होली सदियों से खेली जा रही है. इसमें सबको खूब मजा आता है. विदेशी मेहमान भी हमारे साथ होली खेल रहे हैं.

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