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Glanders Disease in Bikaner: घोड़ी में ग्लैंडर्स रोग की पुष्टि, हरकत में आया प्रशासन, लगाए कई प्रतिबंध - Rajasthan hindi news

बीकानेर जिले में एक घोड़ी में ग्लैंडर्स रोग की पुष्टि (Glanders disease confirmed in mare in Bikaner) हुई है. इसके बाद जिला कलेक्टर ने अश्व वंशीय पशुओं को लेकर नए निर्देश जारी किए हैं.

Glanders Disease in Bikaner
बीकानेर में घोड़ी में ग्लैंडर्स रोग की पुष्टि
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Published : Feb 10, 2023, 10:24 PM IST

बीकानेर. जिले के उपनगर सुजानदेसर में एक घोड़ी में ग्लैंडर्स रोग की पुष्टि हुई है. पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. वीरेंद्र नेत्रा ने बताया कि घोड़ी के बीमार होने पर ग्लैंडर्स रोग की जांच के लिए सैंपल राजूवास की ओर से राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र हिसार भेजे गए जहां जांच में इस रोग की पुष्टि हुई है.

उन्होंने बताया कि रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद जिला कलेक्टर की ओर से अश्व वंशीय पशुओं के आवागमन, खरीद-फरोख्त, मेला प्रदर्शनी और दौड़ पर तुरंत प्रभाव से रोक लगा दी है. साथ ही पुलिस अधीक्षक को समस्त थानों के लिए इस आदेश की पालना सुनिश्चित करवाने के लिए लिखा गया है. उन्होंने बताया कि विभाग की ओर से समस्त पशु चिकित्सालयों के प्रभारियों को अपने क्षेत्र में अश्ववंशीय पशु मालिकों की सूचना क्षेत्रीय पशु रोग निदान केंद्र को भिजवाने के निर्देश दिए गए हैं जिससे अधिक से अधिक सैंपल लिए जा सकें.

पढ़ें. राजस्थान में लम्पी वायरस का कहर, सीएम गहलोत ने लोगों से की ये अपील

डॉ. नेत्रा ने बताया कि ग्लैंडर्स रोग मुख्यतः अश्व वंशीय पशु जैसे घोड़ा, खच्चर और गधे में फैलने वाला जीवाणु जनित रोग होता है. इस बीमारी का फैलाव संपर्क में आने पर अन्य पशु जैसे बकरी और कुत्ते में भी होने की संभावना रहती है. साथ ही यह एक जेनेटिक बीमारी है, जो अश्व वंशीय पशु के संपर्क में आने से मनुष्य में भी हो सकती है. उन्होंने बताया कि यह घातक बीमारी है जिसमें अधिकांशतः अश्ववंशीय पशुओं की मृत्यु तक हो जाती है. इस बीमारी में पशु के फेफड़े खराब होने की स्थिति में नाक से स्त्राव होने लगता है. उन्होंने बताया कि पशुपालक को रोगग्रस्त पशु को अलग स्थान पर रखने के लिए पाबंद कर दिया गया है. साथ ही उसके चारा पानी देने वाले बर्तन आदि अलग करवा दिए गए हैं.

क्या है ग्लैंडर्स बीमारीः ग्लैंडर्स एक संक्रामक रोग है जो बुर्कहोल्डरिया मैलेई नामक जीवाणु से होता है. ग्लैंडर्स मुख्य रूप से घोड़ों को प्रभावित करने वाली बीमारी है. ग्लैंडर्स वायरस जनित बीमारी है, अगर किसी घोड़े को ये बीमारी होती है तो उसके नाक से तेज पानी बहने लगता है. शरीर में फफोले हो जाते हैं. सांस लेने में दिक्कत महसूस होने लगती है साथ ही बुखार आने के कारण घोड़ा सुस्त हो जाता है. यही इस बीमारी के मुख्य लक्षण हैं.

बीकानेर. जिले के उपनगर सुजानदेसर में एक घोड़ी में ग्लैंडर्स रोग की पुष्टि हुई है. पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. वीरेंद्र नेत्रा ने बताया कि घोड़ी के बीमार होने पर ग्लैंडर्स रोग की जांच के लिए सैंपल राजूवास की ओर से राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र हिसार भेजे गए जहां जांच में इस रोग की पुष्टि हुई है.

उन्होंने बताया कि रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद जिला कलेक्टर की ओर से अश्व वंशीय पशुओं के आवागमन, खरीद-फरोख्त, मेला प्रदर्शनी और दौड़ पर तुरंत प्रभाव से रोक लगा दी है. साथ ही पुलिस अधीक्षक को समस्त थानों के लिए इस आदेश की पालना सुनिश्चित करवाने के लिए लिखा गया है. उन्होंने बताया कि विभाग की ओर से समस्त पशु चिकित्सालयों के प्रभारियों को अपने क्षेत्र में अश्ववंशीय पशु मालिकों की सूचना क्षेत्रीय पशु रोग निदान केंद्र को भिजवाने के निर्देश दिए गए हैं जिससे अधिक से अधिक सैंपल लिए जा सकें.

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डॉ. नेत्रा ने बताया कि ग्लैंडर्स रोग मुख्यतः अश्व वंशीय पशु जैसे घोड़ा, खच्चर और गधे में फैलने वाला जीवाणु जनित रोग होता है. इस बीमारी का फैलाव संपर्क में आने पर अन्य पशु जैसे बकरी और कुत्ते में भी होने की संभावना रहती है. साथ ही यह एक जेनेटिक बीमारी है, जो अश्व वंशीय पशु के संपर्क में आने से मनुष्य में भी हो सकती है. उन्होंने बताया कि यह घातक बीमारी है जिसमें अधिकांशतः अश्ववंशीय पशुओं की मृत्यु तक हो जाती है. इस बीमारी में पशु के फेफड़े खराब होने की स्थिति में नाक से स्त्राव होने लगता है. उन्होंने बताया कि पशुपालक को रोगग्रस्त पशु को अलग स्थान पर रखने के लिए पाबंद कर दिया गया है. साथ ही उसके चारा पानी देने वाले बर्तन आदि अलग करवा दिए गए हैं.

क्या है ग्लैंडर्स बीमारीः ग्लैंडर्स एक संक्रामक रोग है जो बुर्कहोल्डरिया मैलेई नामक जीवाणु से होता है. ग्लैंडर्स मुख्य रूप से घोड़ों को प्रभावित करने वाली बीमारी है. ग्लैंडर्स वायरस जनित बीमारी है, अगर किसी घोड़े को ये बीमारी होती है तो उसके नाक से तेज पानी बहने लगता है. शरीर में फफोले हो जाते हैं. सांस लेने में दिक्कत महसूस होने लगती है साथ ही बुखार आने के कारण घोड़ा सुस्त हो जाता है. यही इस बीमारी के मुख्य लक्षण हैं.

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