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बीकानेर में 1930 से 1950 तक बनी फिल्म के फ्लेक्स पोस्टर की अनूठी प्रदर्शनी - Bikaner news

बीकानेर में महारानी सुदर्शना कला दीर्घा में रविवार को पुरानी फिल्म पोस्टर की प्रदर्शनी आयोजित की गई. जिसमें वर्ष 1930 से 1950 तक बनी फिल्मों के फ्लेक्स पोस्टर, वर्ष 1951 से लेकर 2000 तक बनी हिंदी फिल्मों के पोस्टर प्रदर्शित किए गए हैं.

बीकानेर पोस्टर प्रदर्शनी,  Bikaner news
बीकानेर में फिल्म पोस्टर प्रदर्शनी का आयोजन
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Published : Dec 29, 2019, 11:02 PM IST

बीकानेर. जिले में नौशाद एकेडमी ऑफ हिंदुस्तान सिनेमा और अमन कला केंद्र के तत्वावधान में रविवार को महारानी सुदर्शना कला दीर्घा में पोस्टर प्रदर्शनी की आयोजन किया गया. जिसमें वर्ष 1930 से 1950 तक बनी फिल्मों के फ्लेक्स पोस्टर, वर्ष 1951 से लेकर 2000 तक बनी हिंदी फिल्मों के पोस्टर प्रदर्शित किए गए हैं.

बीकानेर में फिल्म पोस्टर प्रदर्शनी का आयोजन

वहीं इस प्रदर्शनी में इस बार जिले के उन स्थानों के पोस्टर और फोटो को भी प्रदर्शित किया गया है. जहां पर हिंदी फिल्मों के सीन फिल्माया गए थे. इस प्रदर्शनी को देखने वाले दर्शकों का कहना है कि आधुनिक युग में ऐसे पोस्टरों को देखना अपने आप में अनूठा अनुभव है और युवा पीढ़ी के लिए उस दौर से रूबरू होने का अवसर देता है.

पढ़ें: खाली पव्वे में भरकर बेच रहे थे नकली शराब, 2 आरोपी गिरफ्तार

संस्था के एम रफीक ने बताया कि 1972 से किसी ना किसी रूप में फिल्मी दुनिया से जुड़े रहे हैं, उस दौर में लोग सिर्फ फिल्मों के पोस्टर देखने के लिए सिनेमा हाल तक पंहुचते थे, लेकिन आज के जमाने में जहां फिल्मों के प्रमोशन के लिए लाखों रुपए खर्च किए जा रहे हैं.

वहीं उस दौर में फिल्मों के प्रचार के लिए बनाए जाने वाले पोस्टरों में कलाकार अपनी कला से अदाकारों का चित्रण कर लोगों को फिल्मों के लिए आकर्षित करते थे, लेकिन समय के तकनीकी में आए बदलाव के चलते अब यह पोस्टर केवल प्रदर्शनीयों की शोभा बढ़ा रहा है.

बीकानेर. जिले में नौशाद एकेडमी ऑफ हिंदुस्तान सिनेमा और अमन कला केंद्र के तत्वावधान में रविवार को महारानी सुदर्शना कला दीर्घा में पोस्टर प्रदर्शनी की आयोजन किया गया. जिसमें वर्ष 1930 से 1950 तक बनी फिल्मों के फ्लेक्स पोस्टर, वर्ष 1951 से लेकर 2000 तक बनी हिंदी फिल्मों के पोस्टर प्रदर्शित किए गए हैं.

बीकानेर में फिल्म पोस्टर प्रदर्शनी का आयोजन

वहीं इस प्रदर्शनी में इस बार जिले के उन स्थानों के पोस्टर और फोटो को भी प्रदर्शित किया गया है. जहां पर हिंदी फिल्मों के सीन फिल्माया गए थे. इस प्रदर्शनी को देखने वाले दर्शकों का कहना है कि आधुनिक युग में ऐसे पोस्टरों को देखना अपने आप में अनूठा अनुभव है और युवा पीढ़ी के लिए उस दौर से रूबरू होने का अवसर देता है.

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संस्था के एम रफीक ने बताया कि 1972 से किसी ना किसी रूप में फिल्मी दुनिया से जुड़े रहे हैं, उस दौर में लोग सिर्फ फिल्मों के पोस्टर देखने के लिए सिनेमा हाल तक पंहुचते थे, लेकिन आज के जमाने में जहां फिल्मों के प्रमोशन के लिए लाखों रुपए खर्च किए जा रहे हैं.

वहीं उस दौर में फिल्मों के प्रचार के लिए बनाए जाने वाले पोस्टरों में कलाकार अपनी कला से अदाकारों का चित्रण कर लोगों को फिल्मों के लिए आकर्षित करते थे, लेकिन समय के तकनीकी में आए बदलाव के चलते अब यह पोस्टर केवल प्रदर्शनीयों की शोभा बढ़ा रहा है.

Intro:गुजरात हुआ जमाना आया नहीं दोबारा भले ही बीता हुआ जमाना वापिस नहीं आता है लेकिन पुरानी फिल्मों के प्रति बीकानेर में प्रशंशको की दीवानगी कभी भी सर चढ़कर बोल रही है और उन्हें पुराने जमाने की याद दिला रहा है। यहां महारानी सुदर्शना कला दीर्घा में लगी पुरानी फिल्मों के पोस्टरों की प्रदर्शनी में पुरानी फिल्मों के विधानों की भीड़ जुटी हुई हैंBody:नौशाद एकेडमी ऑफ हिंदुस्तान सिनेमा एवं अमन कला केंद्र के तत्वावधान में लगी पोस्टर में वर्ष 1930से 1950तक बनी फिल्मों के फ्लेक्स पोस्टर,वर्ष 1951से लेकर 2000तक बनी हिंदी फिल्मों के पोस्टर प्रदर्शित किए गए हैं जो यहां पंहुचने वाले लोगों को पुरानी फिल्मों के सीन याद करवा रहे हैं वहीं इस प्रदर्शनी में इस बार बीकानेर जिले के उन स्थानों के पोस्टरऔर फोटो को भी प्रदर्शित किया गया है जहां पर हिंदी फिल्मों के सीन फिल्माया गए थे वहीं इस प्रदर्शनी को देखने वाले दर्शकों का कहना है कि आज के आधुनिक युग में ऐसे पोस्टरों को देखना अपने आप में अनूठा अनुभव है और युवा पीढ़ी के लिए उस दौर से रूबरू होने का अवसर देता है।
बाइट पूनम मोदी,दर्शक।
बाइट साधना गोस्वामी,दर्शक।Conclusion:संस्था के एम रफीक ने बताया कि वे 1972से किसी ना किसी रूप में फिल्मी दुनिया से जुड़े रहे हैं।उस दौर में लोग सिर्फ फिल्मों के पोस्टर देखने के लीज सिनेमा हाल तक पंहुचते थे।वे जब उस समय फिल्म का प्रचार करने के लिए तांगे पर निकलते थे तो लोग उत्सुकता के साथ उन्हें और फिल्मों के पोस्टर देखते थे। बीकानेर में अपनी तरह की लगने वाली पुरानी हिंदी फिल्मों के पोस्टरो की प्रदर्शनी लोगों को खास पसंद आ रही है।
बाइट एम रफीक, आयोजक।
आज के जमाने में जहां फिल्मों के प्रमोशन के लिए लाखों रुपए खर्च किए जा रहे हैं वहीं उस दौर में फिल्मो के प्रचार के लिए बनाए जाने वाले पोस्टरों में कलाकार अपनी कला से अदाकारों का चित्रण कर लोगों को फिल्मों के लिए आकर्षित करते थे लेकिन समय के तकनीकी में आए बदलाव के चलते अब यह पोस्टर केवल प्रदर्शनीयो की शोभा बढ़ा रहा है।
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