बीकानेर. हिन्दू सनातन धर्म में भगवान शिवजी की महिमा अनन्त है. प्रदोष व्रत के उपास्य देवता भगवान शिव ही हैं. भगवान शिव की विशेष अनुकम्पा प्राप्ति के लिए शिवपुराण में विविध व्रतों का उल्लेख मिलता है. इसमें प्रदोष व्रत अत्यंत प्रभावशाली और शीघ्र फलदायी माना गया है. प्रदोष व्रत प्रतिवर्ष 24 बार आता है. यह व्रत हर महीने में दो बार आता है. प्रत्येक मास के शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन प्रदोष व्रत (Budh Pradosh Vrat 2023) का पालन किया जाता है. प्रदोष व्रत को त्रयोदशी व्रत के नाम से भी जाना जाता है. यह व्रत माता पार्वती और भगवान शिव को समर्पित है.
प्रदोष व्रत का फल- प्रदोष व्रत (Budh Pradosh Vrat 2023) करने से व्यक्ति को आरोग्य, धन, संपत्ति, पुत्र आदि की प्राप्ति होती है. प्रदोष का अर्थ संध्या काल से है. अगर कोई बुधवार और प्रदोष दोनों व्रत करता है तो इस दिन व्रत और पूजा करने से दोनो व्रतों का पुण्य फल प्राप्त होगा. बुधवार के दिन आने वाले प्रदोष व्रत को सौम्य प्रदोष, सौम्यवारा प्रदोष, बुध प्रदोष कहा जाता है. इस दिन व्रत करने से बौद्धिकता में वृद्धि होती है.
पढ़ें- बुधवार के दिन विघ्न हर्ता की पूजा का है विधान, जानें कथा जिसमें है कष्ट निवारण का सार
बुधवार को प्रदोष व्रत करने से वाणी में शुभता आती है. जिन जातकों की कुंडली में बुध गृह के कारण परेशानी है या वाणी दोष इत्यादि कोई विकार परेशान करता है तो उसके लिए बुध प्रदोष व्रत (Budh Pradosh Vrat 2023) से, बुध की शुभता प्राप्त होती है. छोटे बच्चों का मन अगर पढ़ाई में नहीं लग रहा होता है तो माता-पिता को चाहिए कि बुध प्रदोष व्रत का पालन करें इससे लाभ प्राप्त होगा.
शिव पूजा से संकट होते हैं दूर- प्रदोष व्रत को करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं. भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए प्रत्येक मास की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत (Budh Pradosh Vrat 2023) किया जाता है. कहा जाता है कि इस दिन भगवान शिव की आराधना (worship of lord shiva) करने से सभी तरह के कष्ट दूर हो जाते हैं. प्रदोष व्रत के दिन विधि-विधान के साथ भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए.
कैसे करें प्रदोष व्रत की पूजा- ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान-ध्यान, पूजा-अर्चना करनी चाहिए. दिनभर निराहार रहकर सायंकाल पुनः स्नान करके प्रदोष काल में भगवान शिवजी की विधि-विधान पूर्वक पंचोपचार, दशोपचार अथवा षोडशोपचार पूजा-अर्चना करनी चाहिए. स्कन्दपुराण में वर्णित प्रदोषव्रत कथा का पठन या श्रवण करना चाहिए. प्रदोष व्रत से जीवन के समस्त दोषों का शमन होता है. साथ ही सुख सौभाग्य में अभिवृद्धि होती है. प्रदोष व्रत से शिवजी की अपार अनुकम्पा मिलती है. प्रदोष व्रत महिलाएं और पुरुष दोनों के लिए समानरूप से पुण्य फलदायी है.