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Bhairav Ashtami 2023 : भगवान रुद्र के अवतार भगवान भैरव की उपासना से टल जाते हैं संकट - काल भैरव अष्टमी का महत्व

Bhairav Ashtami 2023, आज भैरवाष्टमी है. भगवान रुद्र के अवतार भगवान भैरव की उपासना से सभी संकट टल जाते हैं. यहां जानिए पूजा का शुभ मुहूर्त और काल भैरव अष्टमी का महत्व.

Bhairav Ashtami 2023
Bhairav Ashtami 2023
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Dec 5, 2023, 6:54 AM IST

बीकानेर. मार्गशीर्ष माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को काल भैरव अष्टमी मनाई जाती है. हिंदू मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव के रौद्र स्वरूप के चलते काल भैरव की उत्पत्ति हुई थी. हालांकि, इनका बटुक यानी बालक रूप सौम्य माना जाता है. काल भैरव अष्टमी के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त मंगलवार देर रात 12 बजकर 39 मिनट तक है. काल भैरव की पूजा निशिता मुहूर्त में करते हैं.

हिंदू पञ्चांग के मुताबिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी को कालाष्टमी व्रत रखा जाता है. मार्गशीष माह की अष्टमी को काल भैरव की पूजा की जाती है. मान्यता है कि जो लोग काल भैरव अष्टमी के दिन व्रत रखते हैं और विधिपूर्वक पूजा करते हैं, उनको रोग, दोष, अकाल मृत्यु के भय, तंत्र-मंत्र की बाधा से मुक्ति मिलती है.

पढ़ें : Rashifal : दैनिक राशिफल में जानिए आज का दिन कैसा बीतेगा

काल भैरव अष्टमी का महत्व : तंत्र और मंत्र की सिद्धि के लिए काल भैरव की पूजा करते हैं. जिन लोगों को नकारात्मक शक्तियों या अकाल मुत्यु का डर रहता है, वे काल भैरव की पूजा करते हैं. स्कंदपुराण के मुताबिक काल भैरव भगवान शिव के रौद्र रूप के चलते उत्पन हुए. काल भैरव के नाम में काल है और स्वयं काल यानि यमराज भी इनके भय से कांपते हैं. इस वजह से वह महाकाल कहलाते हैं. उनकी कृपा से नकारात्मकता और बुरी शक्तियों का अंत हो जाता है.

भैरव मंदिरों में विशेष अभिषेक पूजा : काल भैरव अष्टमी के दिन भैरव मंदिर में भगवान भैरव की विशेष पूजा-अर्चना और तेल से अभिषेक किया जाएगा. महाआरती और भंडारा प्रसाद का आयोजन भी किया जाता है.

काल भैरव की पूजा मुहूर्त : काल भैरव अष्टमी को प्रीति योग रात 10 बजकर 42 मिनट से अगले दिन रात 11 बजकर 30 मिनट तक है. काल भैरव की निशिता पूजा के समय प्रीति योग बना है.

बीकानेर. मार्गशीर्ष माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को काल भैरव अष्टमी मनाई जाती है. हिंदू मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव के रौद्र स्वरूप के चलते काल भैरव की उत्पत्ति हुई थी. हालांकि, इनका बटुक यानी बालक रूप सौम्य माना जाता है. काल भैरव अष्टमी के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त मंगलवार देर रात 12 बजकर 39 मिनट तक है. काल भैरव की पूजा निशिता मुहूर्त में करते हैं.

हिंदू पञ्चांग के मुताबिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी को कालाष्टमी व्रत रखा जाता है. मार्गशीष माह की अष्टमी को काल भैरव की पूजा की जाती है. मान्यता है कि जो लोग काल भैरव अष्टमी के दिन व्रत रखते हैं और विधिपूर्वक पूजा करते हैं, उनको रोग, दोष, अकाल मृत्यु के भय, तंत्र-मंत्र की बाधा से मुक्ति मिलती है.

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काल भैरव अष्टमी का महत्व : तंत्र और मंत्र की सिद्धि के लिए काल भैरव की पूजा करते हैं. जिन लोगों को नकारात्मक शक्तियों या अकाल मुत्यु का डर रहता है, वे काल भैरव की पूजा करते हैं. स्कंदपुराण के मुताबिक काल भैरव भगवान शिव के रौद्र रूप के चलते उत्पन हुए. काल भैरव के नाम में काल है और स्वयं काल यानि यमराज भी इनके भय से कांपते हैं. इस वजह से वह महाकाल कहलाते हैं. उनकी कृपा से नकारात्मकता और बुरी शक्तियों का अंत हो जाता है.

भैरव मंदिरों में विशेष अभिषेक पूजा : काल भैरव अष्टमी के दिन भैरव मंदिर में भगवान भैरव की विशेष पूजा-अर्चना और तेल से अभिषेक किया जाएगा. महाआरती और भंडारा प्रसाद का आयोजन भी किया जाता है.

काल भैरव की पूजा मुहूर्त : काल भैरव अष्टमी को प्रीति योग रात 10 बजकर 42 मिनट से अगले दिन रात 11 बजकर 30 मिनट तक है. काल भैरव की निशिता पूजा के समय प्रीति योग बना है.

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