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Struggle Of Bikaner Actor: मुंबई में किया संघर्ष, अब गांधी गोडसे फिल्म में निभा रहे अहम किरदार - Gandhi Godse Film

26 जनवरी को रिलीज हो रही फिल्म गांधी गोडसे (Gandhi Godse Film) का इंतजार बीकानेर बेसब्री से कर रहा है. वजह है संदीप. जिन्होंने बड़े बजट की बड़ी फिल्म में एक अहम किरदार अदा किया है. जिस भी मुकाम पर आज वो हैं इसका श्रेय वो अपने अपनों को देते हैं.

Struggle Of Bikaner Actor
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Published : Jan 24, 2023, 4:54 PM IST

Updated : Jan 24, 2023, 5:23 PM IST

संघर्ष भरे सफर में अब जाकर मिला फल, खुश हैं गांधी गोडसे फिल्म के संदीप

बीकानेर. कभी दिल्ली में जूतों के शोरूम में सेल्समैन की नौकरी करने वाले संदीप हमेशा से एक एक्टर बनना चाहते थे. बड़े स्क्रीन पर अपना नाम स्क्रॉल होते देखना चाहते थे. यही वजह थी कि शादी के बाद पत्नी और पिता से पैसे लेकर मुंबई रवाना हो गए एक्टिंग का सपना संजोए! सपने को हासिल करना आसान भी नहीं था. पूरा करने के लिए सालों तक संघर्ष किया. 2 साल तक मायानगरी में डटे हाथ कुछ नहीं लगा तो घर लौट आए. लगा सपना अधूरा रह जाएगा. दिल के किसी कोने में एक टीस बाकी थी. तक़दीर फिर उन्हें सपनों की नगरी में ले आई और इस बार मुंबई से खाली हाथ नहीं लौटे.

कैसा रहा सफर?- बीकानेर के संदीप भोजक की कहानी किसी बड़े परदे पर दिखने वाली फिल्म से कम नहीं है. बस फर्क ये है कि संदीप इसकी पटकथा खुद लिख रहे हैं. मुंबई सिने जगत के सितारे के तौर पर खुद को स्थापित कर लिया है. संदीप कहते हैं कि रेतीले धोरों के शहर बीकानेर से माया नगरी तक का यह सफर आसान नहीं रहा लेकिन बीते कुछ सालों ने बहुत कुछ सीखा दिया. बीकानेर में नाटकों में काम करने से पहले संदीप स्कूल में नाटकों का स्क्रीनप्ले और डायलॉग लिखकर देते थे. अपने साथी किरदारों को नाटक में किस भूमिका में क्या करना है इसका निर्णय करते थे.

Struggle Of Bikaner Actor
फिल्म के सेट से

दिल्ली में बेचते थे जूते- संदीप बताते हैं कि उन्होंने जूतों की दुकान पर बतौर सेल्समैन सेवाएं दी. चाचा की दुकान पर खूब मेहनत की. फिर 2010 में शादी के बाद बीकानेर में खुद का जूतों का शोरूम शुरू किया. सब कुछ चल रहा था लेकिन लगा सपना दम तोड़ रहा है. एक दिन अचानक फैसला किया कि उनकी मंजिल तो मुंबई है. बस वहीं से सारा काम एक दिन में समेट कर मुंबई पहुंच गए.

Struggle Of Bikaner Actor
गांधी गोडसे में निभा रहे हैं जेलर का कैरेक्टर

पढ़ें- Special : दोनों हाथ गंवाने वाले पंकज के लिए तैराकी बना जुनून, अब देश के लिए मेडल जीतने की चाहत

पता नहीं कहां जाना है- संदीप कहते हैं कि जिस दिन मुंबई के लिए रवाना हुए जानते नहीं थे कि जाना कहां हैं. हिम्मत की और बचपन में थिएटर में साथ काम करने वाले एक दोस्त को मुंबई पहुंच कर फोन किया. वो उसे अपने साथ ले गया लेकिन कुछ दिन बाद वहां से दूसरी जगह पर शिफ्ट होना पड़ा. इस दौरान कई स्टूडियो, फिल्म प्रोडक्शन हाउस के चक्कर काटे लेकिन सफलता नहीं मिली. दोस्तों ने सलाह दी कि गुजर बसर के लिए फिल्म लाइन के दूसरे काम कर लो लेकिन संदीप का मन नहीं माना. सोचा वही काम करना है जो करने आया हूं.

Struggle Of Bikaner Actor
अभिषेक बच्चन के साथ संदीप
पिता-पत्नी से भी लेता रहा पैसे- कोई और काम न करने की जिद्द के चलते धीरे धीरे पैसों की किल्लत शुरू हो गई. संदीप कहते है कि संघर्ष के उस दौर में पिता और पत्नी से भी मुंबई में गुजर-बसर करने के लिए रुपए लेता रहा. उन दोनों ने भी कभी निराश नहीं किया. हौसला भी बढ़ाया और साथ खड़े रहने का विश्वास भी दिलाया. आज उनके सहयोग से ही मैं वो मुकाम हासिल कर पाया जिसकी तमन्ना थी.अब सावरकर के किरदार में आएंगे नजर- संदीप कहते हैं कि इस दौरान कई सीरियल में छोटा-मोटा किरदार निभाया और अब फिल्मों में अभिनय का दौर जारी है. उन्होंने बताया कि मिथुन चक्रवर्ती के बेटे नमोसा चक्रवर्ती के साथ बैड बॉय फिल्म में विलेन और कॉमेडियन की भूमिका का लीड रोल है. जिसमें एटम बॉम के नाम से किरदार निभा रहा हूं. सनी मंडवारा की फिल्म हेडेग्वार में वीर सावरकर की मुख्य भूमिका का किरदार निभा रहा हूं.

शिवजी की पूजा का प्रतिफल- धार्मिक प्रवृत्ति के संदीप हर रोज हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं और भगवान शिव भक्त भी हैं. कहते हैं कि बिना भगवान की पूजा किए मैं घर से नहीं निकलता हालांकि फिल्मों की शूटिंग के शेड्यूल में बदलाव होता है लेकिन भगवान की पूजा हर दिन करता हूं. एक किस्सा सुनाते हैं. कहते हैं- 2017 में मैं मुंबई से वापस बीकानेर निराश होकर आ गया और करीब डेढ़ साल तक बीकानेर रहा. इस दौरान केवल जिम जाने के अलावा कोई काम नहीं था और इस चक्कर में घरवाले भी पूरी तरह से निराश हो गए. मैं भी अंदरखाने इस बात को लेकर टूट रहा था कि अब जिंदगी में आगे क्या होगा? न तो मेरे पास काम था और ना ही आर्थिक हालात इतने अच्छे थे लेकिन एक दिन पैतृक गांव पड़िहारा में अपने पिता पर्यटन व्यवसायी विनोद भोजक के साथ पारिवारिक शादी में गया. वहां एक मंदिर के पंडित जी ने मुझे नासिक में जाकर भगवान त्रंबकेश्वर में पूजा का सुझाव दिया. मैं तत्काल वहां गया और दस दिन बाद मेरे अकाउंट में पैसे भी थे और काम भी. संदीप को लगता है ये सब भोलेनाथ के चमत्कार की वजह से संभव हुआ.

संघर्ष भरे सफर में अब जाकर मिला फल, खुश हैं गांधी गोडसे फिल्म के संदीप

बीकानेर. कभी दिल्ली में जूतों के शोरूम में सेल्समैन की नौकरी करने वाले संदीप हमेशा से एक एक्टर बनना चाहते थे. बड़े स्क्रीन पर अपना नाम स्क्रॉल होते देखना चाहते थे. यही वजह थी कि शादी के बाद पत्नी और पिता से पैसे लेकर मुंबई रवाना हो गए एक्टिंग का सपना संजोए! सपने को हासिल करना आसान भी नहीं था. पूरा करने के लिए सालों तक संघर्ष किया. 2 साल तक मायानगरी में डटे हाथ कुछ नहीं लगा तो घर लौट आए. लगा सपना अधूरा रह जाएगा. दिल के किसी कोने में एक टीस बाकी थी. तक़दीर फिर उन्हें सपनों की नगरी में ले आई और इस बार मुंबई से खाली हाथ नहीं लौटे.

कैसा रहा सफर?- बीकानेर के संदीप भोजक की कहानी किसी बड़े परदे पर दिखने वाली फिल्म से कम नहीं है. बस फर्क ये है कि संदीप इसकी पटकथा खुद लिख रहे हैं. मुंबई सिने जगत के सितारे के तौर पर खुद को स्थापित कर लिया है. संदीप कहते हैं कि रेतीले धोरों के शहर बीकानेर से माया नगरी तक का यह सफर आसान नहीं रहा लेकिन बीते कुछ सालों ने बहुत कुछ सीखा दिया. बीकानेर में नाटकों में काम करने से पहले संदीप स्कूल में नाटकों का स्क्रीनप्ले और डायलॉग लिखकर देते थे. अपने साथी किरदारों को नाटक में किस भूमिका में क्या करना है इसका निर्णय करते थे.

Struggle Of Bikaner Actor
फिल्म के सेट से

दिल्ली में बेचते थे जूते- संदीप बताते हैं कि उन्होंने जूतों की दुकान पर बतौर सेल्समैन सेवाएं दी. चाचा की दुकान पर खूब मेहनत की. फिर 2010 में शादी के बाद बीकानेर में खुद का जूतों का शोरूम शुरू किया. सब कुछ चल रहा था लेकिन लगा सपना दम तोड़ रहा है. एक दिन अचानक फैसला किया कि उनकी मंजिल तो मुंबई है. बस वहीं से सारा काम एक दिन में समेट कर मुंबई पहुंच गए.

Struggle Of Bikaner Actor
गांधी गोडसे में निभा रहे हैं जेलर का कैरेक्टर

पढ़ें- Special : दोनों हाथ गंवाने वाले पंकज के लिए तैराकी बना जुनून, अब देश के लिए मेडल जीतने की चाहत

पता नहीं कहां जाना है- संदीप कहते हैं कि जिस दिन मुंबई के लिए रवाना हुए जानते नहीं थे कि जाना कहां हैं. हिम्मत की और बचपन में थिएटर में साथ काम करने वाले एक दोस्त को मुंबई पहुंच कर फोन किया. वो उसे अपने साथ ले गया लेकिन कुछ दिन बाद वहां से दूसरी जगह पर शिफ्ट होना पड़ा. इस दौरान कई स्टूडियो, फिल्म प्रोडक्शन हाउस के चक्कर काटे लेकिन सफलता नहीं मिली. दोस्तों ने सलाह दी कि गुजर बसर के लिए फिल्म लाइन के दूसरे काम कर लो लेकिन संदीप का मन नहीं माना. सोचा वही काम करना है जो करने आया हूं.

Struggle Of Bikaner Actor
अभिषेक बच्चन के साथ संदीप
पिता-पत्नी से भी लेता रहा पैसे- कोई और काम न करने की जिद्द के चलते धीरे धीरे पैसों की किल्लत शुरू हो गई. संदीप कहते है कि संघर्ष के उस दौर में पिता और पत्नी से भी मुंबई में गुजर-बसर करने के लिए रुपए लेता रहा. उन दोनों ने भी कभी निराश नहीं किया. हौसला भी बढ़ाया और साथ खड़े रहने का विश्वास भी दिलाया. आज उनके सहयोग से ही मैं वो मुकाम हासिल कर पाया जिसकी तमन्ना थी.अब सावरकर के किरदार में आएंगे नजर- संदीप कहते हैं कि इस दौरान कई सीरियल में छोटा-मोटा किरदार निभाया और अब फिल्मों में अभिनय का दौर जारी है. उन्होंने बताया कि मिथुन चक्रवर्ती के बेटे नमोसा चक्रवर्ती के साथ बैड बॉय फिल्म में विलेन और कॉमेडियन की भूमिका का लीड रोल है. जिसमें एटम बॉम के नाम से किरदार निभा रहा हूं. सनी मंडवारा की फिल्म हेडेग्वार में वीर सावरकर की मुख्य भूमिका का किरदार निभा रहा हूं.

शिवजी की पूजा का प्रतिफल- धार्मिक प्रवृत्ति के संदीप हर रोज हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं और भगवान शिव भक्त भी हैं. कहते हैं कि बिना भगवान की पूजा किए मैं घर से नहीं निकलता हालांकि फिल्मों की शूटिंग के शेड्यूल में बदलाव होता है लेकिन भगवान की पूजा हर दिन करता हूं. एक किस्सा सुनाते हैं. कहते हैं- 2017 में मैं मुंबई से वापस बीकानेर निराश होकर आ गया और करीब डेढ़ साल तक बीकानेर रहा. इस दौरान केवल जिम जाने के अलावा कोई काम नहीं था और इस चक्कर में घरवाले भी पूरी तरह से निराश हो गए. मैं भी अंदरखाने इस बात को लेकर टूट रहा था कि अब जिंदगी में आगे क्या होगा? न तो मेरे पास काम था और ना ही आर्थिक हालात इतने अच्छे थे लेकिन एक दिन पैतृक गांव पड़िहारा में अपने पिता पर्यटन व्यवसायी विनोद भोजक के साथ पारिवारिक शादी में गया. वहां एक मंदिर के पंडित जी ने मुझे नासिक में जाकर भगवान त्रंबकेश्वर में पूजा का सुझाव दिया. मैं तत्काल वहां गया और दस दिन बाद मेरे अकाउंट में पैसे भी थे और काम भी. संदीप को लगता है ये सब भोलेनाथ के चमत्कार की वजह से संभव हुआ.

Last Updated : Jan 24, 2023, 5:23 PM IST
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