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एक शव यात्रा ऐसी भी ... जिंदा व्यक्ति को अर्थी पर लेटाकर शहर के बीच से निकाली जाती है अर्थी

भीलवाड़ा में शहरवासियों की ओर से जिंदा व्यक्ति की अनोखी शव यात्रा निकाली जाती है. इस शव यात्रा को देखने के भारी संख्या में भीड़ उमड़ती है. शव यात्रा में महिलाओं का प्रवेश वर्जित रहता है.

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Published : Mar 27, 2019, 8:44 PM IST

Updated : Mar 27, 2019, 11:31 PM IST

जिंदा व्यक्ति की शव यात्रा


भीलवाड़ा. क्या आपने कभी जिंदा व्यक्ति की शव यात्रा देखी है. जी हां, ऐसा भी होता है. शहर में लगभग एक सदी से यह प्रथा चली आ रही है जिसको देखने के लिए भारी संख्या में भीड़ उमड़ती है.

जिले में लगभग एक सदी से होली के 7 दिन बाद शीतला सप्तमी के अवसर पर शहर में जिंदा व्यक्ति की शव यात्रा निकाली जाती है. इस शव यात्रा को देखने के लिए भारी संख्या में भीड़ उमड़ती है. जिसकी व्यवस्था को बनाए रखने के लिए पुलिस प्रशासन ने पुख्ता इंतजाम कि. जिसमें पैरामिलिट्री फोर्स का भी सहयोग लिया गया था.

जिंदा व्यक्ति की शव यात्रा

मनोरंजन के उद्देश्य से निकाली जाने वाली इस शव यात्रा में एक जिंदा व्यक्ति को अर्थी पर लेटा कर यह शव यात्रा निकाली जाती है. चार कंधों के सहारे चित्तौड़ वाली हवेली से शुरू होकर शहर के मुख्य मार्गो से होती हुई बड़े मंदिर के पास जाकर समाप्त होती है. इस शव यात्रा में लोग अर्थी के आगे ढोल नगाड़ों के साथ नाचते गाते और हंसी के गुब्बारे छोड़ते हुए और अश्लील फब्तियां कसते हुए चलते हैं.

वहीं गुलाल के बादलों से पूरा शहर अट जाता है. इस यात्रा में विशेष बात यह है कि जिन मार्गो से होती हुई यह शव यात्रा निकलती है उन मार्गों पर महिलाओं का प्रवेश बिल्कुल वर्जित होता है. अंतिम संस्कार से पहले जिंदा व्यक्ति अर्थी से उठ कर चला जाता है उसके बाद अर्थी का अंतिम संस्कार कर दिया जाता है. पूरे राजस्थान में भीलवाड़ा एक इकलौता ऐसा शहर है जहां यह शव यात्रा निकाली जाती है.


भीलवाड़ा. क्या आपने कभी जिंदा व्यक्ति की शव यात्रा देखी है. जी हां, ऐसा भी होता है. शहर में लगभग एक सदी से यह प्रथा चली आ रही है जिसको देखने के लिए भारी संख्या में भीड़ उमड़ती है.

जिले में लगभग एक सदी से होली के 7 दिन बाद शीतला सप्तमी के अवसर पर शहर में जिंदा व्यक्ति की शव यात्रा निकाली जाती है. इस शव यात्रा को देखने के लिए भारी संख्या में भीड़ उमड़ती है. जिसकी व्यवस्था को बनाए रखने के लिए पुलिस प्रशासन ने पुख्ता इंतजाम कि. जिसमें पैरामिलिट्री फोर्स का भी सहयोग लिया गया था.

जिंदा व्यक्ति की शव यात्रा

मनोरंजन के उद्देश्य से निकाली जाने वाली इस शव यात्रा में एक जिंदा व्यक्ति को अर्थी पर लेटा कर यह शव यात्रा निकाली जाती है. चार कंधों के सहारे चित्तौड़ वाली हवेली से शुरू होकर शहर के मुख्य मार्गो से होती हुई बड़े मंदिर के पास जाकर समाप्त होती है. इस शव यात्रा में लोग अर्थी के आगे ढोल नगाड़ों के साथ नाचते गाते और हंसी के गुब्बारे छोड़ते हुए और अश्लील फब्तियां कसते हुए चलते हैं.

वहीं गुलाल के बादलों से पूरा शहर अट जाता है. इस यात्रा में विशेष बात यह है कि जिन मार्गो से होती हुई यह शव यात्रा निकलती है उन मार्गों पर महिलाओं का प्रवेश बिल्कुल वर्जित होता है. अंतिम संस्कार से पहले जिंदा व्यक्ति अर्थी से उठ कर चला जाता है उसके बाद अर्थी का अंतिम संस्कार कर दिया जाता है. पूरे राजस्थान में भीलवाड़ा एक इकलौता ऐसा शहर है जहां यह शव यात्रा निकाली जाती है.

Intro:
भीलवाड़ा में लगभग एक सदी से होली के 7 दिवस के बाद शीतला सप्तमी के अवसर पर शहर में जिंदा व्यक्ति की शव यात्रा निकाली जाती है। इस शव यात्रा को देखने के लिए भारी संख्या में भीड़ उमड़ती है। जिसकी व्यवस्था को बनाए रखने के लिए पुलिस प्रशासन ने पुख्ता इंतजाम किए। जिसमें पैरामिलिट्री फोर्स का भी सहयोग लिया गया।


Body:
मनोरंजन के उद्देश्य से निकाली जाने वाली इस शव यात्रा में एक जिंदा व्यक्ति को अर्थी पर लेटा कर चार कंधों के सहारे चित्तौड़ वाली हवेली से शुरू होकर शहर के मुख्य मार्गो से होती हुई बड़े मंदिर के पास जाकर समाप्त होती है। इस शव यात्रा में लोग अर्थी के आगे ढोल नगाड़ों के साथ नाचते गाते और हंसी के गुब्बारे छोड़ते हुए और अश्लील फब्तियां कसते हुए चलते हैं । वही गुलाल के बादलों से पूरा शहर अट जाता है। इस यात्रा विशेष बात यह है कि जिन मार्गो से होती हुई यह शव यात्रा निकलती है उन मार्गों पर महिलाओं का प्रवेश बिल्कुल वर्जित होता है । इस यात्रा को अंतिम संस्कार के लिए बड़े मंदिर के पास बाहला में ले जाकर अर्थी को चिता पर लेटाने से कुछ क्षण पहले जिंदा व्यक्ति अर्थी से उठ कर खड़ा हो जाता है और अर्थी का अंतिम संस्कार कर दिया जाता है। पूरे राजस्थान में भीलवाड़ा एक इकलौता ऐसा शहर है जहां यह शव यात्रा निकाली जाती है


Conclusion:
Last Updated : Mar 27, 2019, 11:31 PM IST
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