भीलवाड़ा. जिला पुलिस अधीक्षक विकास शर्मा ने बताया कि 26 फरवरी को उमरी ग्राम पंचायत एवं रायपुर थाना सर्कल के जगदीश ग्राम में स्थित प्रसिद्ध जगदीश मंदिर में पुजारी को बंधक बनाकर मारपीट कर करीब 30 किलो चांदी एवं 38 ग्राम सोने के आभूषण मंदिर से चुरा कर ले गए. इस पर रायपुर पुलिस ने टीम गठित कर अनुसंधान किया.
जिला पुलिस अधीक्षक ने खुलासे के लिए अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सहाड़ा चंचल मिश्रा के नेतृत्व में गंगापुर पुलिस अधीक्षक गोपीचंद मीणा, रायपुर थानाधिकारी प्रेम सिंह, सहायक थानाधिकारी इंद्रजीत सिंह, साइबर सेल के आशीष कुमार, सत्यनारायण तथा रायपुर थाने के रज्जाक मोहम्मद, मनीराम और संजीव सहित 12 पुलिसकर्मियों की टीम गठित कर वारदात का वैज्ञानिक तरीके से खुलासा करते हुए पूर्व की घटनाओं से प्रेरित होकर विशेष टीम द्वारा ग्रामीणों के सहयोग से मंदिर के आसपास के विस्तृत वन क्षेत्र की सघन तलाशी अभियान में घटना में चुराए आभूषण सुनसान जंगल में प्राप्त हुए थे. अपराधियों द्वारा घटना के पूर्व एवं उपरांत शराब का सेवन कर छोड़े गए खाली पव्वो के बेच नंबर एवं ब्रांड द्वारा बेचने वाले शराब के ठेके का पता लगाकर खरीदने वाले अज्ञात बदमाशों का हुलिया एवं घटना में प्रयुक्त वाहन व बदमाशों के संबंधित क्षेत्र का निर्धारण किया और जाकर आसूचनाएं संकलित की गई. घटनास्थल के चारों और गुजरने वाले रास्तों के 150 से अधिक सीसीटीवी कैमरों का डेटा लिया और उनका विश्लेषण किया गया.
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10 दिन से अधिक टोल प्लाजा के सीसी कैमरे भी चेक किए गए. साइबर सेल भीलवाड़ा द्वारा घटनास्थल पर संभावित रास्तों से बीटीएस संकलित किए, तब जाकर विश्लेषण किया. संदिग्धों की पहचान एवं रूट के संबंध में आसूचना संकलन किया गया. संदिग्धों के संभावित रूट का निर्धारण किया. अपराधी शातिर प्रवृत्ति के हार्डकोर अपराधी थे. विशेष टीम द्वारा अपराधियों को पकड़ने के लिए सिरोही, राजसमंद, पाली और उदयपुर के कई स्थानों पर लगातार विशेष टीम द्वारा चिन्हित अपराधियों को पकड़कर सरगना सहित दो शातिर बदमाशों को गिरफ्तार किया तथा एक विधि के विरुद्ध संघर्षरत बालक को निरुद्ध किया गया. गिरफ्तार आरोपी पाली जिले के नाना थाना अंतर्गत कोलवाव पाटरिया की ढाणी निवासी आसाराम पुत्र लालाराम गरासिया तथा कलाराम पुत्र नेनाराम गरासिया को गिरफ्तार किया तथा एक विधि विरुद्ध संघर्षरत बालक को निरुद्ध किया गया.
राजस्थान के कई जिलों में मंदिरों में चोरियां कर चुके शातिर
अपराधियों द्वारा पूर्व में राजस्थान के कई जिलों के मंदिरों में चोरीयां की जा चुकी है, घटना कारित करने हेतु मंदिर में निर्माण कार्य करने या निर्माण में कार्य करने वाले मजदूरों के सहयोग से लंबे समय तक मंदिर की पूरी रेकी करके प्लान बनाया जाता है. उक्त रेकी में अपराधियों द्वारा मंदिर में प्रवेश करने सीसीटीवी कैमरों के कवरेज क्षेत्र घटना के बाद स्वयं के छुपने माल छुपाने पुलिस से बच निकलने के कच्चे रास्तों का निर्धारण आदि बिंदुओं पर विस्तृत रूप से तैयारी की जाकर घटना को अंजाम देने से पूर्व अपराधी काफी मात्रा में मदिरा का सेवन कर देर रात्रि होने का इंतजार करते हैं. वारदात को अंजाम देने के पश्चात मंदिर में लगे सीसीटीवी कैमरों को रिकॉर्डिंग बॉक्स को साथ ले जाकर क्षतिग्रस्त कर देते हैं और घटना घटनास्थल से रवाना होकर के सामान को जगह पर छुपा देते हैं तथा कुछ दिन रुक कर सामान को ले जाकर सुनार को बेंच देते हैं.
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उक्त प्रकरण में गिरफ्तार मुख्य सरगना आसाराम पुत्र लालाराम जाति गरासिया काफी शातिर हैं, जिसके विरुद्ध कई जिलों के थानों में 20 से अधिक मुकदमे दर्ज हैं. इनमें से अधिकतर प्रकरण मंदिर में चोरी के हैं. घटना कारित करने के लिए एक माह पूर्व से निरंतर उक्त मंदिर की रेकी कर रहा था और उनके द्वारा घटना करने के लिए छुपने का स्थान मंदिर में प्रवेश करने एवं घटना के उपरांत निकलने का मार्ग चोरी किए गए आभूषण को छुपाने की जगह पूर्व में ही निर्धारित कर ली गई थी. आसाराम द्वारा घटना के उपरांत निकलने हेतु जिन-जिन मार्गों पर पुलिस नाकाबंदी की जा सकती है. उसका भली-भांति अध्ययन करने हेतु पूर्व में ही तय कर लिया गया था.
पाली से एक ही मोटरसाइकिल पर तीनों आरोपी पहुंचे
घटना कारित करने हेतु तीनों एक ही मोटरसाइकिल पर पाली से रवाना होकर दिवेर थाना क्षेत्र जिला राजसमंद पहुंचे. जहां रास्ते के ठेके से शराब एवं पानी की बोतल खरीदकर रात होने तक मंदिर के आसपास रुककर शराब का सेवन करने के उपरांत घटना कारित करने के लिए सही समय का इंतजार करते रहे रात्रि करीब 2:30 बजे पीछे के रास्ते से मंदिर की छत पर पहुंचे और छत से बांस के सहारे मंदिर के चौक में उतर कर पुजारी को बांधकर घटना कारित की. घटना के पश्चात लगभग 3 घंटों में चुराए हुए सामान को भरकर निकट ही जंगल में छुप गए. संपूर्ण सामान को एक ही कट्टे में भरने का प्रयास किया, क्योंकि एक मोटरसाइकिल पर तीन व्यक्तियों के साथ होने से इतने सामान को ले जाना संभव नहीं था. रास्ते में पुलिस नाकाबंदी का भी डर था, इसलिए एक कट्टे में सामान को भरकर छुपा दिया एवं बचे हुए सामान को जंगल में ही छोड़कर भाग गए. यह लोग टीम बनाकर राजस्थान के बाहर भी नकबजनी और लूट करते हैं.