भीलवाड़ा. कारगिल दिवस पर जहां एक ओर भारत की जनता बड़े जोश और जूनुन से शहीदों को पुष्पांजलि अर्पित कर रही है. वहीं आज रणबांकुरों के शहीद होने पर उनके सम्मान में जगह-जगह मार्च पास्ट, रैलियां एवं पुष्पांजलि कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं.
कारगिल में वीर योद्धा रहे पूर्व कर्नल उदयसिंह ने ईटीवी भारत पर अपने संस्मरण को याद करते हुए कहा कि आज जब कारगिल विजय दिवस मनाया जा रहा है तब हमारे को उस दिन की याद आते ही आज भी हमारी बाहों में खून खोलने लग जाता है. इस दौरान कर्नल उदय सिंह ने कहा कि उनकी कारगिल युद्ध प्रारंभ होने से पहले पोस्ट सिक्किम क्षेत्र में थी. युद्ध शुरू होने पर अच्छी सेवा देने वाले सैनिकों को युद्ध क्षेत्र में बुलाया गया. इसीलिए उनको सिक्किम से कारगिल बुलाया गया और वो तमाम मंजर उनकी आंखों के सामने हुआ.
वो कहते हैं कि आज वर्तमान देश में व्यवस्था देख कर मन में दुख होता है कि शहीद को सम्मान देते हैं लेकिन जो जिंदा सैनिक है उनको सम्मान नहीं मिलता है. उनको भी सम्मान मिलना चाहिए. उन्होंने कारगिल में 150 सैनिकों का नेतृत्व करते हुए समुन्द्र तल से 11,000 मीटर ऊंचाई पर लेह लद्दाख में दुश्मनों के छक्के छुड़ाए. उनको टास्क मिली जहां उनके पूरे सैन्य बल में एक अधिकारी और 10 जवान दुश्मनों के बारूदी हमले से कारण शहीद हो गए लेकिन उनके बटालियन ने कभी हिम्मत नहीं हारी और आगे बढ़ते हुए दुश्मनों को नाको तले उंगली दबाने को मजबूर करते हुए पाकिस्तान की सीमा में 48 घंटे रहे. जिससे दुश्मन को घर में घेरते हुऐ दुश्मन की तीन पोस्टों को खत्म किया.
तीन पोस्टों को बिल्कुल खत्म करने के साथ ही सिंह की टीम ने दुश्मन देश के कई सैनिको मार गिराए. साथ ही कहा कि आज जो वर्तमान देश में शहीद होते हैं तो उनके मन में एक भावना जागती है और वो मन में तभी प्रश्न उठता है कि तुरंत सीमा पर जाए और दुश्मनों को हमारे आज जो जवान शहीद हुआ उसका बदला लें.
सिंह ने बताया कि साथ ही सबसे ज्यादा वो जम्मू कश्मीर क्षेत्र में 15 आतंकवादियों को मारा और दस आतकंवादी को सरेंडर करवाया. सबसे ज्यादा सरेंडर करवाने में दिक्कत आती है जहां दुश्मन को मारने के बजाय सरेंडर कराने समय उनके अकेले जाना पड़ता है और उनको मोटिवेट करके सरेंडर करवाना पड़ता है जिससे वह तमाम विरोधी देश की सूचनाएं हमारे को बता सके और हम आसानी से उनका मुंह तोड़ जवाब दे सकें.
आज कारगिल विजय दिवस है हमारी आंखों के सामने वह मंजर देखते ही हमारा खून खोलने लगता है और आज जब भी भारत-पाकिस्तान की सीमा हो या अन्य सीमा पर जब भी कोई आतंकवादी घटना या देश विरोधी ताकतें हमला करती है तो उनकी बाजुओं में खून खोलने लगता है और आज भी वो भले ही रिटायर हो गए हैं लेकिन वो देश सेवा के लिए वापिस सीमा पर जाकर दुश्मनों का बदला लेना चाहते हैं.
साथ ही कारगिल युद्ध में जो जवान शहीद हुए हैं उनके परिवार के प्रति आज भी संवेदनाएं हैं और जहां भी उनकी लड़के लड़की की शादी विवाह हो या कोई भी प्रोग्राम हो तो वो निश्चित रूप से उनके घर शरीक होते हैं साथ ही उनको पढ़ाई लिखाई के लिए भी मोटिवेट करते हैं.