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भीलवाड़ा : ड्रिप सिस्टम से कपास की फसल की बुवाई शुरू

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पूर्ववर्ती कार्यकाल में प्रदेश में पानी बचाओ, बिजली बचाओ, सबको पढ़ाओ का स्लोगन दिया था. वह स्लोगन अब धरातल पर धीरे-धीरे साकार होने लग गया है. किसान अब पानी बचाने की जुगत में जुट गए हैं.

ड्रिप सिस्टम से कपास की फसल की बुवाई शुरू
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Published : Jun 14, 2019, 1:25 PM IST

भीलवाड़ा. ग्रामीण क्षेत्र में इस बार सभी किसान बूंद बूंद सिंचाई योजना के तहत कपास की फसल की बंपर बुवाई कर रहे हैं. इस बार किसान हाइब्रिड कपास, बीटी कपास ज्यादा लगा रहे हैं क्योकिं बीटी कपास में रोग प्रतिरोधक क्षमता ज्यादा होती है. जिससे अधिक उपज हो सकती है. भीलवाड़ा कृषि उपनिदेशक डॉ. जीएल चावला ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि भीलवाड़ा जिले में 35 से 40 हजार हेक्टेयर भूमि में कपास की फसल की बुवाई का लक्ष्य रखा गया है.

ड्रिप सिस्टम से कपास की फसल की बुवाई शुरू

इस बार अभी मानसून में देरी है लेकिन जिले में जहां भी किसान के पास नलकूप, ट्यूबवेल और कुए में संरक्षित पानी है वहां बूंद बूंद सिंचाई योजना के तहत कपास की फसल की बुवाई कर रहे है. वहीं जिले में पर्याप्त मात्रा में आदान उपलब्ध है. जिले की सभी सहकारी समिति और निजी दुकानों पर बीटी कॉटन यानी हाइब्रिड कपास का बीज उपलब्ध है. हाइब्रिड कपास बीटी कपास के लिए हमने पूरे जिले से 40 से 50 सैंपल लिए हैं.

इसके लिए क्वालिटी कंट्रोल के तहत सैंपल लेकर निगरानी रखी जा रही है. जिससे किसानों को गुणवतापूर्ण बीज उपलब्ध हो सके. साथ ही जिले में प्रत्येक कृषि पर्यवेक्षक को निर्देश दिए कि वह अपने क्षेत्र में किसानों के लिए हर संभव मदद करें और उनको फसल के बारे में समझाएं. वहीं किसान ओमप्रकाश ने कहा कि इस बार पानी की कमी होने के कारण मैंने तीन बीघा कपास की फसल बोई है. पुरी फसल में ड्रिप सिस्टम के जरिए सिंचाई योजना के तहत फसल बोई है. अब हमें उम्मीद सिर्फ बरसात से हैं अगर समय पर बरसात हो जाए तो हमारी फसल अच्छी होगी और हमें अच्छी उपज मिल सकेगी.

भीलवाड़ा. ग्रामीण क्षेत्र में इस बार सभी किसान बूंद बूंद सिंचाई योजना के तहत कपास की फसल की बंपर बुवाई कर रहे हैं. इस बार किसान हाइब्रिड कपास, बीटी कपास ज्यादा लगा रहे हैं क्योकिं बीटी कपास में रोग प्रतिरोधक क्षमता ज्यादा होती है. जिससे अधिक उपज हो सकती है. भीलवाड़ा कृषि उपनिदेशक डॉ. जीएल चावला ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि भीलवाड़ा जिले में 35 से 40 हजार हेक्टेयर भूमि में कपास की फसल की बुवाई का लक्ष्य रखा गया है.

ड्रिप सिस्टम से कपास की फसल की बुवाई शुरू

इस बार अभी मानसून में देरी है लेकिन जिले में जहां भी किसान के पास नलकूप, ट्यूबवेल और कुए में संरक्षित पानी है वहां बूंद बूंद सिंचाई योजना के तहत कपास की फसल की बुवाई कर रहे है. वहीं जिले में पर्याप्त मात्रा में आदान उपलब्ध है. जिले की सभी सहकारी समिति और निजी दुकानों पर बीटी कॉटन यानी हाइब्रिड कपास का बीज उपलब्ध है. हाइब्रिड कपास बीटी कपास के लिए हमने पूरे जिले से 40 से 50 सैंपल लिए हैं.

इसके लिए क्वालिटी कंट्रोल के तहत सैंपल लेकर निगरानी रखी जा रही है. जिससे किसानों को गुणवतापूर्ण बीज उपलब्ध हो सके. साथ ही जिले में प्रत्येक कृषि पर्यवेक्षक को निर्देश दिए कि वह अपने क्षेत्र में किसानों के लिए हर संभव मदद करें और उनको फसल के बारे में समझाएं. वहीं किसान ओमप्रकाश ने कहा कि इस बार पानी की कमी होने के कारण मैंने तीन बीघा कपास की फसल बोई है. पुरी फसल में ड्रिप सिस्टम के जरिए सिंचाई योजना के तहत फसल बोई है. अब हमें उम्मीद सिर्फ बरसात से हैं अगर समय पर बरसात हो जाए तो हमारी फसल अच्छी होगी और हमें अच्छी उपज मिल सकेगी.

Intro:ड्रिप सिस्टम से कपास की फसल की बुवाई शुरू, जिले में 35,000 हेक्टेयर भूमि में हो सकती है कपास की फसल की बुवाई।

भीलवाड़ा - मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पूर्ववर्ती कार्यकाल में प्रदेश में पानी बचाओ, बिजली बचाओ, सबको पढ़ाओ का स्लोगन दिया था वह स्लोगन अब धरातल पर धीरे-धीरे साकार होने लग गया है और किसान भी पानी बचाने की जुगत में जुट गए हैं । जहां किसान इस बार खरीफ की फसल के तहत कपास की फसल की बुवाई में बूंद-बूंद सिंचाई योजना से फसल बो रहे हैं। जिससे पानी बेकार नहीं हो और कम पानी में अधिक एरिया में फसल की बुवाई हो सके।


Body:भीषण गर्मी में जिले में जहां भी किसानों के कुएं में थोड़ा बहुत पानी है वहां किसान ड्रिप सिस्टम यानी बूंद बूंद सिंचाई योजना के तहत अपने खेत में कपास की फसल की बुवाई की जा रही है।

भीलवाड़ा जिले के ग्रामीण क्षेत्र में इस बार सभी किसान बूंद बूंद सिंचाई योजना के तहत कपास की फसल की बंपर बुवाई कर रहे हैं । इस बार किसान हाइब्रिड कपास बीटी कपास ज्यादा लगा रहे हैं जिससे बीटी कपास में रोग प्रतिरोधक क्षमता ज्यादा होती है व अधिक उपज हो सके ।
भीलवाड़ा कृषि उपनिदेशक डॉ जीएल चावला ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि भीलवाड़ा जिले में 35 से 40 हजार हेक्टेयर भूमि में कपास की फसल की बुवाई का लक्ष्य रखा गया है। इस बार अभी मानसून में देरी है लेकिन जिले में जिस मे जहा भी किसान के पास नलकूप, ट्यूबवेल व कुए में संरक्षित पानी है वहा बूंद बूंद सिंचाई योजना के तहत कपास की फसल की बुवाई कर रहे है । वहीं जिले में पर्याप्त मात्रा में आदान उपलब्ध है । जिले की सभी सहकारी समिति व निजी दुकानों पर बीटी कॉटन यानी हाइब्रिड कपास का बीज उपलब्ध है । हाइब्रिड कपास बीटी कपास के लिए हमने पूरे जिले से 40 से 50 सैंपल लिए हैं इसके लिए क्वालिटी कंट्रोल के तहत सैंपल लेकर निगरानी रखी जा रही है । जिससे किसानों को गुणवतापूर्ण बीज उपलब्ध हो सके । साथ ही जिले में प्रत्येक कृषि पर्यवेक्षक को निर्देश दिए कि वह अपने क्षेत्र में किसानों के लिए हर संभव मदद करें और उनको फसल के बारे में समझाएं।
वहीं किसान ओमप्रकाश ने कहा कि इस बार पानी की कमी होने के कारण मैंने तीन बीघा कपास की फसल बोई है । पुरी फसल में ड्रिप सिस्टम के जरिए सिंचाई योजना के तहत फसल बोई है। अब हमारे को उम्मीद सिर्फ बरसात से हैं अगर समय पर बरसात हो जाए तो हमारी फसल अच्छी हो और हमारे को अच्छी उपज मिल सके।
अब देखना यह होगा कि भीलवाड़ा जिले में गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष कपास की फसल की बुवाई ज्यादा होती है या नहीं। सोमदत्त त्रिपाठी ईटीवी भारत भीलवाड़ा

बाईट- डां. जी. एल. चावल
कृषि उपनिदेशक , भीलवाड़ा

ओमप्रकाश
किसान, जेतगढ


Conclusion:
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