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कोरोना काल में प्राकृतिक सौंदर्य को कैनवास पर उकेर रहीं रिया, 9वीं की छात्रा राष्ट्रीय स्तर पर हो चुकी हैं पुरस्कृत - Riya is awarded at national level

हुनर किसी चीज का मोहताज नहीं होता, बस जज्बा होना चाहिए. भीलवाड़ा की रहने वाली नौंवी कक्षी की छात्रा रिया अपनी चित्रकारिता के जरिए प्रकृति की खूबसूरती को कैनवास पर उतार रही हैं. पढ़ें पूरी खबर.

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भीलवाड़ा की रिया वैष्णव की पेंटिंग
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Published : May 27, 2021, 12:11 PM IST

भीलवाड़ा. लॉकडाउन में एक और बालक-बालिकाएं टीवी और एंड्रॉयड फोन पर समय गुजार रहे हैं तो वहीं शाहपुरा क्षेत्र की बालिका समय का सदुपयोग कर अपनी पेंटिंग के जरिए प्रकृति प्रेम की अलख जगा रही है. जिले की रिया वैष्णव आर्ट राष्ट्रीय स्तर आयोजित चित्रकला प्रतियोगिता में द्वितीय स्थान पर रहीं थीं.

भीलवाड़ा की रिया वैष्णव की पेंटिंग

आईएमएस (इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज) व बीएचयू (बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी) कल्चरल कमेटी की तरफ से आयोजित टेलेंटोपीडिया-1 राष्ट्रीय कला स्पर्धा में महाराणा मेवाड़ पब्लिक स्कूल उदयपुर की 9वीं कक्षा की छात्रा रिया वैष्णव ने द्वितीय स्थान प्राप्त किया था. रिया लॉकडाउन के चलते लंबे समय से जिले के शाहपुरा क्षेत्र के तस्वारिया बासां गांव में ननिहाल में रह रहीं हैं.

पढ़ें: SPECIAL : कालाबाजारी से आहत युवक ने जुगाड़ कर बना दिया ऑक्सीजन सिलेंडर का रेगुलेटर, लागत आई 100 रुपए

अंतरराष्ट्रीय एग्जीबिशन में ईरान भी पेंटिंग चयनित

इस प्रतियगिता में पूरे देश के कॉलेज स्तर के कलाकारों ने भाग लिया जिसमें श्रेष्ठ 4- कलाकृतियां निर्णायक मंडल की ओऱ से चुनी गई. बाद में इन चार कृतियों में प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान के लिए वोटिंग के दो दौर करवाए गए जिसमें रिया को द्वितीय स्थान मिला था. रिया ने लॉकडाउन के दौरान अपने कौशल पर लगातार काम किया और दो साल में कई संभाग स्तरीय, राज्य स्तरीय व राष्ट्रीय स्तरीय कला प्रतियोगिताएं अपने नाम की. इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय एग्जीबिशन में ईरान में भी उनकी कलाकृति चयनित हुई.

रिया अपनी माता ममता वैरागी जो ब्यूटीशियन हैं व पिता धर्मेश वैष्णव जो एक दवा कंपनी में प्रतिनिधि हैं, की इकलौती संतान हैं. रिया उदयपुर जैसे बड़े शहर में रहती हैं लेकिन गांवों का प्राकृतिक सौंदर्य उन्हें बहुत अच्छा लगता है. इसलिए मौका मिलते ही वह अपने ननिहाल तस्वारिया बांसा आ जाती है.

पढ़ें: वंदना के जज्बे की कहानी : पैरों से लाचार हुई तो हाथों के हुनर से भरी हौसलों की उड़ान

आजकल रिया अपने नाना रतन लाल वैष्णव जो कि सेवानिवृत्त अध्यापक है, के साथ है. यहां बाड़े जाना, खेतों में घूमना, पुराने घरों-मंदिरों व इमारतों को अपने केनवास पर उतारना उन्हें बेहद पसंद है. रिया वैष्णव 3 साल की उम्र से ही आर्ट में दिलचस्पी रखने लगीं थीं. उसके बाद 10 वर्ष से लगातार वह आर्ट बना रहीं हैं. रिया की बहुत सारी पेंटिंग लोग खरीदते भी हैं. सोशल मीडिया के जरिए रिया को फोन कर करते हैं. खास बात ये है कि कुछ पेंटिंग तो रिया की 25,000 रुपये से अधिक मूल्य पर भी बिक चुकी है.

रिया का कहना है कि पेंटिंग करना उन्हें बेहद पसंद है और इसे इंज्वॉय भी करती हैं. कॉरिअर बनाने के लिहाज से भी वह इस बारे में और आगे सोच सकती हैं. उनका कहना है कि उनके इस काम में माता-पिता का मेंटल सपोर्ट उनकी मदद करता है.

भीलवाड़ा. लॉकडाउन में एक और बालक-बालिकाएं टीवी और एंड्रॉयड फोन पर समय गुजार रहे हैं तो वहीं शाहपुरा क्षेत्र की बालिका समय का सदुपयोग कर अपनी पेंटिंग के जरिए प्रकृति प्रेम की अलख जगा रही है. जिले की रिया वैष्णव आर्ट राष्ट्रीय स्तर आयोजित चित्रकला प्रतियोगिता में द्वितीय स्थान पर रहीं थीं.

भीलवाड़ा की रिया वैष्णव की पेंटिंग

आईएमएस (इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज) व बीएचयू (बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी) कल्चरल कमेटी की तरफ से आयोजित टेलेंटोपीडिया-1 राष्ट्रीय कला स्पर्धा में महाराणा मेवाड़ पब्लिक स्कूल उदयपुर की 9वीं कक्षा की छात्रा रिया वैष्णव ने द्वितीय स्थान प्राप्त किया था. रिया लॉकडाउन के चलते लंबे समय से जिले के शाहपुरा क्षेत्र के तस्वारिया बासां गांव में ननिहाल में रह रहीं हैं.

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अंतरराष्ट्रीय एग्जीबिशन में ईरान भी पेंटिंग चयनित

इस प्रतियगिता में पूरे देश के कॉलेज स्तर के कलाकारों ने भाग लिया जिसमें श्रेष्ठ 4- कलाकृतियां निर्णायक मंडल की ओऱ से चुनी गई. बाद में इन चार कृतियों में प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान के लिए वोटिंग के दो दौर करवाए गए जिसमें रिया को द्वितीय स्थान मिला था. रिया ने लॉकडाउन के दौरान अपने कौशल पर लगातार काम किया और दो साल में कई संभाग स्तरीय, राज्य स्तरीय व राष्ट्रीय स्तरीय कला प्रतियोगिताएं अपने नाम की. इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय एग्जीबिशन में ईरान में भी उनकी कलाकृति चयनित हुई.

रिया अपनी माता ममता वैरागी जो ब्यूटीशियन हैं व पिता धर्मेश वैष्णव जो एक दवा कंपनी में प्रतिनिधि हैं, की इकलौती संतान हैं. रिया उदयपुर जैसे बड़े शहर में रहती हैं लेकिन गांवों का प्राकृतिक सौंदर्य उन्हें बहुत अच्छा लगता है. इसलिए मौका मिलते ही वह अपने ननिहाल तस्वारिया बांसा आ जाती है.

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आजकल रिया अपने नाना रतन लाल वैष्णव जो कि सेवानिवृत्त अध्यापक है, के साथ है. यहां बाड़े जाना, खेतों में घूमना, पुराने घरों-मंदिरों व इमारतों को अपने केनवास पर उतारना उन्हें बेहद पसंद है. रिया वैष्णव 3 साल की उम्र से ही आर्ट में दिलचस्पी रखने लगीं थीं. उसके बाद 10 वर्ष से लगातार वह आर्ट बना रहीं हैं. रिया की बहुत सारी पेंटिंग लोग खरीदते भी हैं. सोशल मीडिया के जरिए रिया को फोन कर करते हैं. खास बात ये है कि कुछ पेंटिंग तो रिया की 25,000 रुपये से अधिक मूल्य पर भी बिक चुकी है.

रिया का कहना है कि पेंटिंग करना उन्हें बेहद पसंद है और इसे इंज्वॉय भी करती हैं. कॉरिअर बनाने के लिहाज से भी वह इस बारे में और आगे सोच सकती हैं. उनका कहना है कि उनके इस काम में माता-पिता का मेंटल सपोर्ट उनकी मदद करता है.

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