भीलवाड़ा. जिले में जल ग्रहण विभाग की ओर से चारागाह डवलप किए जा रहे हैं. बंजर भूमि पर भी औषधीय, फलदार व छायादार पौधे लहलहा रहे हैं. ऐसा ही नजारा देखने को मिल रहा है भीलवाड़ा जिले की सुवाणा पंचायत समिति की दुडिया ग्राम पंचायत मुख्यालय पर. जहां ग्राम पंचायत मुख्यालय पर स्थित 30 बीघा बंजर भूमि में चारागाह डवलप किया (pasture developed on barren land in Bhilwara) गया, जिससे वहां के किसान मोटिवेट होकर परंपरागत खेती छोड़ अपने खलियान में औषधीय व फलदार पौधे लगा रहे हैं. चारागाह डवलप करने से वहां का पारिस्थितिक तंत्र भी बदल गया है.
ईटीवी भारत की टीम सुवाणा पंचायत समिति की दुडियां ग्राम पंचायत मुख्यालय पर स्थित चारागाह पहुंची. जहां आसपास अभी भी बंजर भूमि है, लेकिन जहां चारागाह डवलप किया है, उस भूमि पर पौधे लहला रहे हैं. जल ग्रहण विभाग के सहायक अभियंता गोपाल लाल टेलर ने बताया कि हमने पर्यावरण को बढ़ावा देने के लिए बंजर भूमि को सही कर चारागाह जल ग्रहण विकास परियोजना के तहत डवलप किया गया है. यहां पहले चरण में 3000 फलदार ,छायादार व औषधीय पौधे लगाए थे. इनमें से 90 प्रतिशत पौधे लहलहा रहे हैं. वर्ष 2018 में पौधे लगाने के बाद महज 4 वर्ष में ही इनके फल आने लगे हैं. वहीं चारागाह क्षेत्र में तितलियां, पक्षी व जंगली जानवर जैसे सियार, खरगोश आकर रहने लग गए हैं.
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वहीं दुडियां ग्राम पंचायत के सरपंच मांगीलाल गाडरी ने बताया कि मैं एक किसान परिवार से हूं. मैं भी परंपरागत खेती करता हूं, लेकिन संरपच बनने के बाद मेरे जेहन में यहां चारागाह डवलप कर पौधे लगाने का विचार आया. यहां जल ग्रहण विकास योजना के तहत चारागाह डवलप किया गया. इस चारागाह में फलदार, छायादार और औषधीय पौधे लहला रहे हैं. इस डवलप चारागाह को देखकर हमारी पंचायत क्षेत्र के किसान मोटिवेट हो रहे हैं. गाडरी ने कहा कि हमारे क्षेत्र में किसान परंपरागत खेती करते हैं जिससे किसानो को कम मेहनताना मिलता है. अगर किसान फलदार पौधों की खेती करेंगे तो उनको अच्छा मेहनताना मिलेगा.
वहीं जलग्रहण विभाग के एआईएन राजेंद्र सिंह मीणा ने कहा कि यहां 7.30 हेक्टेयर भूमि में चारागाह डवलप किया गया. जहां वर्ष 2019 में जल ग्रहण विकास की ओर से 1400 अमरुद, 14 नींबू, कंरन्ज, नीम, गुल्मोर व शीशम के पौधे लगाए गए जो वर्तमान में बहुत ही अच्छे हैं. चारागाह डवलप करने से क्षेत्र का पारिस्थितिकी तंत्र भी बदल गया है. पानी बचाने के लिए यहां बूंद-बूंद सिंचाई अपनाई गई है और सोलर पंप सिस्टम लगाया गया है.