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भीलवाड़ा शहर में आवारा पशुओं का आतंक, कई लोगों की जा चुकी है जान

भीलवाड़ा शहर में आवारा पशुओं का आतंक लगातार बना हुआ है. कई लोगों को इन आवारा पशुओं के चलते अपनी जान भी गवानी पड़ी है. कई बार लोगों ने नगर परिषद और प्रशासन को मौखिक और लिखित में शिकायत दर्ज कराई है. लेकिन अब तक किसी ने भी इस पर गंभीरता से ध्यान देकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया है.

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Published : Jul 19, 2019, 9:33 PM IST

भीलवाड़ा शहर में आवारा पशुओं का आतंक

भीलवाड़ा. वस्त्रनगरी वैसे तो कपड़ा उद्योग के लिए अपनी पहचान बना चुकी है. वहीं, शहर में आवारा पशुओं की वजह से शहर के नाम पर धब्बा लगा रहा है. अब भीलवाड़ा की पहचान आवारा पशुओं की भरमार से हो रही है. अगर किसी व्यक्ति को शहर के बाजारों में किसी कार्य से जाना हो तो उनको संभलकर जाना पड़ता है. वहीं, इसके चलते भीलवाड़ा में कई लोगों को आवारा पशुओं के चलते अपनी जान भी गवानी पड़ती है.

स्थानीय युवक रवि खटीक का कहना है कि भीलवाड़ा शहर में सड़क हादसे से कई लोगों की जान जा चुकी है और कई लोग घायल भी हुए हैं. इन सड़क हादसों का मुख्य कारण आवारा पशु हैं और इन आवारा पशुओं के चलते आए दिन सड़क हादसे होते रहते हैं. स्थानीय रवि खटीक के मुताबिक कई बार नगर परिषद और प्रशासन को मौखिक और लिखित में शिकायत दर्ज कराई है. लेकिन अब तक किसी ने भी इस पर गंभीरता से ध्यान देकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया है.

वहीं, नगर परिषद आयुक्त नसीम शेख का कहना है कि नगर परिषद द्वारा हर तीन-चार दिनों में पशुधन को पकड़ने की कार्रवाई की जाती है और उन्हें भीलवाड़ा के काईन हाउस भेज दिया जाता है. अब तक भीलवाड़ा काइन हाउस में 400 से अधिक पशु हैं और वहां से उन पशुओं को गौशाला में भेज दिया जाता है. हम पशु चिकित्सक से भी निरंतर बात करते रहते हैं कि वहां पर उनकी देखभाल की जाती रहे और पशु स्वस्थ्य रहे.

साथ ही एम्बुलेंस चालक हरीश राजवाणी का कहना है कि शहर में पशुओं का आतंक है. इन पशुओं के चलते कई एक्सीडेंट हो चुके हैं. अभी कुछ दिन पहले ही एक व्यक्ति को गाय के सिंग मार दिया था, जिसके चलते उसकी मृत्यु हो गई थी. वहीं यह आवारा पशु कहीं भी सड़कों पर बैठे मिल जाते हैं. यही नहीं, भीलवाड़ा शहर के अस्पतालों में भी गुस जाते हैं. इसके चलते कई बच्चे और महिलाएं घायल हो चुके हैं.

भीलवाड़ा शहर में आवारा पशुओं का आतंक

जानकारी के मुताबिक साल 2018 से अब तक शहर में 38 प्रतिशत सड़क हादसे आवारा पशुओं के चलते हुए हैं. ऐसे ही कुछ दिन पहले शहर में सड़क हादसे से एक युवक की मृत्यु हो गई थी. कई हादसे ऐसे ही भी हैं, जो शहर के आवारा पशु के कारण हुए हैं. साथ ही पूर्व नगर परिषद सभापति भगवती लाल बहेड़िया की भी इन आवारा पशुओं के कारण मृत्यु हुई थी. जयपुर से भीलवाड़ा आते समय भीलवाड़ा शहर में ही लावारिस पशु उनकी कार के सामने आ गया था, जिसे सड़क हादसा हुआ था. भगवती लाल के सभापति बनने के 8 दिन बाद ही उनकी मृत्यु हो गयी थी. उसके बाद नगर परिषद भीलवाड़ा के फिर चुनाव हुए, जिसमें भाजपा नेता अनिल बल्दवा ने जीत हासिल की और नगर परिषद सभापति बने.

भीलवाड़ा. वस्त्रनगरी वैसे तो कपड़ा उद्योग के लिए अपनी पहचान बना चुकी है. वहीं, शहर में आवारा पशुओं की वजह से शहर के नाम पर धब्बा लगा रहा है. अब भीलवाड़ा की पहचान आवारा पशुओं की भरमार से हो रही है. अगर किसी व्यक्ति को शहर के बाजारों में किसी कार्य से जाना हो तो उनको संभलकर जाना पड़ता है. वहीं, इसके चलते भीलवाड़ा में कई लोगों को आवारा पशुओं के चलते अपनी जान भी गवानी पड़ती है.

स्थानीय युवक रवि खटीक का कहना है कि भीलवाड़ा शहर में सड़क हादसे से कई लोगों की जान जा चुकी है और कई लोग घायल भी हुए हैं. इन सड़क हादसों का मुख्य कारण आवारा पशु हैं और इन आवारा पशुओं के चलते आए दिन सड़क हादसे होते रहते हैं. स्थानीय रवि खटीक के मुताबिक कई बार नगर परिषद और प्रशासन को मौखिक और लिखित में शिकायत दर्ज कराई है. लेकिन अब तक किसी ने भी इस पर गंभीरता से ध्यान देकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया है.

वहीं, नगर परिषद आयुक्त नसीम शेख का कहना है कि नगर परिषद द्वारा हर तीन-चार दिनों में पशुधन को पकड़ने की कार्रवाई की जाती है और उन्हें भीलवाड़ा के काईन हाउस भेज दिया जाता है. अब तक भीलवाड़ा काइन हाउस में 400 से अधिक पशु हैं और वहां से उन पशुओं को गौशाला में भेज दिया जाता है. हम पशु चिकित्सक से भी निरंतर बात करते रहते हैं कि वहां पर उनकी देखभाल की जाती रहे और पशु स्वस्थ्य रहे.

साथ ही एम्बुलेंस चालक हरीश राजवाणी का कहना है कि शहर में पशुओं का आतंक है. इन पशुओं के चलते कई एक्सीडेंट हो चुके हैं. अभी कुछ दिन पहले ही एक व्यक्ति को गाय के सिंग मार दिया था, जिसके चलते उसकी मृत्यु हो गई थी. वहीं यह आवारा पशु कहीं भी सड़कों पर बैठे मिल जाते हैं. यही नहीं, भीलवाड़ा शहर के अस्पतालों में भी गुस जाते हैं. इसके चलते कई बच्चे और महिलाएं घायल हो चुके हैं.

भीलवाड़ा शहर में आवारा पशुओं का आतंक

जानकारी के मुताबिक साल 2018 से अब तक शहर में 38 प्रतिशत सड़क हादसे आवारा पशुओं के चलते हुए हैं. ऐसे ही कुछ दिन पहले शहर में सड़क हादसे से एक युवक की मृत्यु हो गई थी. कई हादसे ऐसे ही भी हैं, जो शहर के आवारा पशु के कारण हुए हैं. साथ ही पूर्व नगर परिषद सभापति भगवती लाल बहेड़िया की भी इन आवारा पशुओं के कारण मृत्यु हुई थी. जयपुर से भीलवाड़ा आते समय भीलवाड़ा शहर में ही लावारिस पशु उनकी कार के सामने आ गया था, जिसे सड़क हादसा हुआ था. भगवती लाल के सभापति बनने के 8 दिन बाद ही उनकी मृत्यु हो गयी थी. उसके बाद नगर परिषद भीलवाड़ा के फिर चुनाव हुए, जिसमें भाजपा नेता अनिल बल्दवा ने जीत हासिल की और नगर परिषद सभापति बने.

Intro:( नोट - खबर में संसोदन कर दोबारा भेजा गया है ) शहर में घूमते हुए आवारा पशु बन रहे हैं शहर के लोगों के लिए मुसीबत , आवारा पशुओं के चलते कई लोगों को अपनी जान से हाथ भी धोना पड़ता है भीलवाड़ा - वस्त्रनगरी वैसे तो कपड़ा उद्योग के लिए अपनी पहचान बना चुका है। वहीं शहर में आवारा पशुओं की वजह से अपने नाम पर धब्बा लगा रहा है। अब भीलवाड़ा की पहचान आवारा पशुओं की भरमार से हो रही है । अगर किसी व्यक्ति को शहर के बाजारों में किसी कार्य से जाना हो तो उनको संभल कर जाना पड़ता । वहीं इसके चलते भीलवाड़ा में कई लोगों को आवारा पशुओं के चलते अपनी जान भी गवानी पड़ती है


Body: यह नजारा भीलवाड़ा के रेलवे स्टेशन का है जहां यात्रियों की भरमार रहती है वही आने वाले यात्रियों को पहले पशुओं से अपनी जान बचाने पड़ती है ऐसे में बस गए तो यात्री भगवान का शुक्रिया अदा करते हैं बाइट - रवि खटीक शहर के आम युवक का कहना है कि भीलवाड़ा शहर में सड़क हादसे से कई लोगों की जान जा चुकी है और कहीं लोग घायल भी हुए हैं और इन सड़क हादसों का मुख्य कारण आवारा पशु है और इन आवारा पशुओं के चलते आए दिन सड़क हादसे होते रहते हैं हमने कहीं बाहर नगर परिषद और प्रशासन को मौखिक और लिखित में शिकायत दर्ज कराई है लेकिन अब तक किसी ने भी इस पर गंभीरता से ध्यान देकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। शहर के बाजारों में भी यह सांड ऐसे अकड़ कर खड़े हो जाते हैं जैसे कि वह दंगल में खड़े हो और राहगीरों पर अपना निशाना साध कर उन्हें हॉस्पिटल पहुंचाने की पूरी जिम्मेदारी निभाते हैं बाइट - नसीम शेख वही नगर परिषद आयुक्त नसीम शेख का कहना है कि नगर परिषद द्वारा हर 3-4 दिनों में पशु धन को पकड़ने की कार्यवाही की जाती है और उन्हें भीलवाड़ा के काईन हाउस भेज दिया जाता है अब तक भीलवाड़ा काइन हाउस में 400 से अधिक पशु है और वहां से उन पशुओं को गौशाला में भेज दिया जाता है हम पशु चिकित्सक से भी निरंतर बात करते रहते है वहां पर उनकी देखभाल की जाती है ताकि पशु स्वस्थ्य रहे । बाइट - हरीश राजवानी वही एम्बुलेंस चालक हरीश राजवाणी का कहना है कि शहर में पशुओं का आतंक इस प्रकार है कि इन पशुओं के चलते कई एक्सीडेंट हो चुके हैं अभी कुछ दिन पहले ही एक व्यक्ति को गाय के सिंग मार दिया था जिसके चलते उसकी मृत्यु हो गई वहीं यह आवारा पशु कहि भी सड़कों पर बैठ मिल जाते हैं यही नहीं भीलवाड़ा शहर के अस्पताल में भी गुस जाते है इसके चलते कई बच्चे बहु घायल हुए है जानकारी के अनुसार वर्ष 2018 से अब तक शहर में 38 प्रतिशत सड़क हादसे आवारा पशुओं के चलते हुए है ऐसे ही कुछ दिन पूर्व शहर में सड़क हादसे से एक युवक की मृत्यु हो गई थी वहीं से ही कई हादसे ऐसे ही भी है जो शहर के आवारा पशु के कारण हुए हैं कुछ दिन पहले ही शरह के समीप पशु के कारण हुए सड़क हादसे में एक व्यक्ति को अपनी जान गवानी पड़ी इसके साथ ही देखा जाए तो पूर्व नगर परिषद सभापति भगवती लाल बहेडीया की भी इन आवारा पशुओं के कारण उमकी मृत्यु हो गयी। उनके जयपुर से भीलवाड़ा आते समय भीलवाड़ा शहर में अंदर आते ही लावारिस पशु के उनकी कार के सामने आने के कारण उनका सड़क हादसा हुआ उसके पश्चात मौके पर ही उनकी मृत्यु हो गई । भगवती लाल के सभापति बनने के 8 दिन बाद ही उनकी मृत्यु हो गयी थी । उसके बाद नगर परिषद भीलवाड़ा के वापस चुनाव हुए जिसमे भाजपा अनिल बल्दवा ने जीत हासिल कर नगर परिषद सभापति बने । इसी के साथ ही शहर में आये दिन हादसे होते रहते है जिनके कारण आम नागरिकों के हाथ-पेर टूट जाते है और उन्हें निजी अस्पताल में उनका इलाज करवाना पड़ता है


Conclusion: अव देखना यह है कि नगर परिषद कब भीलवाड़ा शहर को इन आवारा पशुओं से निजात दिला पाती है बाइट - रवि खटीक , आम नागरिक नसीम शेख , आयुक्त नगर परिषद हरीश राजवामी , एम्बुलेंस चालक
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