भीलवाड़ा. जिले के मांडलगढ़ में ट्रैप की कार्रवाई के लिए रिश्वत राशि देने परिवादी सोमवार शाम को एसडीएम ऑफिस गया था, जहां पर एसडीएम और तहसीलदार दोनों को कार्रवाई की भनक पहले ही लग गई. जिसके बाद उन्होंने परिवादी से मारपीट कर उसका मोबाइल छीन लिया और रिश्वत की राशि भी नहीं ली है.
दरअसल, भीलवाड़ा जिले के मांडलगढ़ एसडीएम और तहसीलदार के विवादित भूमि के रास्ते के मामले में कार्रवाई करने की एवरेज में लाखों रुपए की रिश्वत मांगे जाने का मामला सामने आया है. इस मामले में परिवादी ने कोटा भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो में शिकायत दी थी. इसका सत्यापन भी हो गया था और ट्रैप की कार्रवाई के लिए रिश्वत राशि देने परिवादी सोमवार शाम को एसडीएम ऑफिस गया था. जहां पर एसडीएम और तहसीलदार दोनों को कार्रवाई की भनक पहले ही लग गई.
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जिसके बाद उन्होंने परिवादी से मारपीट कर उसका मोबाइल छीन लिया और रिश्वत की राशि भी नहीं ली. इसके बाद मौके पर पहुंची एसीबी की टीम से भी अभद्रता की. इस मामले में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की टीम ने रिश्वत मांग का प्रकरण दर्ज किया है, साथ ही मोबाइल छीनने और परिवादी से मारपीट के मामले में भी अलग मुकदमा मांडलगढ़ थाने में दर्ज करवाया है. जिस पर स्थानीय पुलिस कार्रवाई करेगी.
भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो कोटा के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक विजय स्वर्णकार ने बताया कि परिवादी किसान ने कोटा एसीबी को एक परिवाद दिया था कि जिसमें बताया था कि उनका एक भूमि का विवाद का मामला उपखंड न्यायालय मांडलगढ़ में लंबित है. इसमें स्टे को स्थाई करवाने के एसडीएम महेश गगोरिया ने तहसीलदार राहुल धाकड़ के माध्यम से डेढ़ लाख की मांग की है. रिश्वत नहीं देने पर उसका काम नहीं कर उसे परेशान किया जा रहा है. शिकायत के सत्यापन में 50 हजार रुपए पर बनी, जिसकी पहली किस्त लेने के लिए दोनों अधिकारी तैयार हुए थे.
इस मामले में कोटा एसीबी के पुलिस निरीक्षक देशराज गुर्जर को मांडलगढ़ कार्रवाई के लिए भेजा गया था. हालांकि, इस मामले में एसडीएम महेश गागोरिया और तहसीलदार राहुल धाकड़ को मानक लग गई. उन्होंने परिवादी से मारपीट की और उसका मोबाइल भी छीन लिया, साथ ही भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की टीम से भी अभद्रता की. इस मामले में राजसमंद जिले के शास्त्री नगर शिव कुटीर निवासी महेश गागोरिया पुत्र भैरूलाल रैगर हाल एसडीएम मांडलगढ़ और मांडलगढ़ तहसीलदार राहुल धाकड़ के खिलाफ रिश्वत मांग का प्रकरण दर्ज कर जांच शुरू की गई है. साथ ही स्थानीय मांडलगढ़ थाने में भी दोनों के खिलाफ राज कार्य में बाधा, परिवादी से मारपीट, मोबाइल छीनना और अभद्रता का मुकदमा दर्ज करवाया है.
भनक नहीं लगती तो दोनों अधिकारी होते एसीबी के शिकंजे में : पुलिस निरीक्षक देशराज गुर्जर ने बताया कि एसीबी टीम जब मांडलगढ़ उपखंड कार्यालय पहुंची तो उसकी भनक मांडलगढ़ उपखंड अधिकारी व तहसीलदार को लग गई. एसडीएम व तहसीलदार को एसीबी टीम मांडलगढ़ में होने की भनक नहीं लगती तो दोनों अधिकारी एसीबी के शिकंजे में होते. अब लोगों के जहन में एक ही सवाल है कि आखिर दोनों अधिकारियों को एसीबी टीम मांडलगढ़ में होने की सूचना किसने दी ?