भीलवाड़ा. जिले में जैसे-जैसे सर्दी का प्रकोप बढ़ता जा रहा है. वैसे-वैसे सरसों की फसल में मोईले का प्रकोप और चने की फसल में सुंडी का प्रकोप बढ़ता जा रहा है. जिससे भीलवाड़ा के किसान चिंतित दिखाई दे रहे हैं.
सर्दी का सितम बढ़ने की साथ ही रबी की बोई गई फसलों में भी कीटों का प्रकोप दिनों दिन बढ़ता जा रहा है. जिले में बोई गई रबी की फसल के तहत चना और सरसों की फसल में कीटों का प्रकोप बढ़ने से किसान चिंतित दिखाई दे रहे हैं. भीलवाड़ा कृषि विभाग के अनुसार जिले में 45 हजार हेक्टेयर भूमि में चने की फसल बोई गई है.
वहीं 15 हजार हेक्टियर भूमि में सरसों की फसल बो रखी है. सर्दी ज्यादा बढ़ने के कारण सरसों की फसल में मोईले का प्रकोप और चने की फसल में सुंडी का प्रकोप बढ़ता जा रहा है. जिससे किसान चिंतित नजर आ रहे हैं. ईटीवी भारत ने जिले के किसानों से बातचीत की तो किसान चिंतित नजर आए.
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जिले के कृषि उपनिदेशक रामपाल खटीक ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि सर्दी बढ़ने के साथ ही चने की फसल में कीटों का प्रकोप बढ़ता जा रहा है. वहीं सरसों की फसल में भी मोईले का प्रकोप बढ़ रहा है. जिससे किसान चिंतित नजर आ रहे हैं.
वहीं अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं, कि वे फील्ड विजिट कर किसानों को इस बीमारी से रोकथाम के लिए आवश्यक उपाय बताएं. चने की फसल में कीटों की रोकथाम के लिए किसानों को प्रोफेनोफॉस दवाई छिड़काव करने की सलाह दी जा रही है.
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वहीं सरसों की फसल में मोईले के प्रकोप को रोकने के लिए डाईमेथा ऐट या इमिडाक्लोप्रिड दवाई छिड़काव करने के निर्देश दिए गए हैं. राज्य सरकार द्वारा इन दवाइयों पर अनुदान नहीं दिया जाता है, लेकिन मार्केट से खरीद कर इन दवाइयों को अगर फसल में छिड़काव करें तो निश्चित रूप से रोग पर काबू पाया जा सकता है.