भीलवाड़ा. भले ही दीपावली में 20 दिन बाकी है, लेकिन अभी से तैयारियां शुरू हो गई हैं. भीलवाड़ा शहर के गो भक्त राजेंद्र पुरोहित इस बार गाय के गोबर से दीपक का निर्माण कर रहे हैं, जिनके दीपक राजस्थान सहित अन्य प्रदेश में बिकने के लिए जा रहे हैं. जहां गो भक्तों ने 50 हजार दीपक बनाने का लक्ष्य रखा है. वहीं, अब तक 20 हजार दीपक का निर्माण हो चुका है. प्रत्येक दीपक दो रुपए में बेचे जा रहे हैं और दीपक बनाने की विधि लोगों को निशुल्क सिखा रहे हैं.
गो भक्त राजेंद्र पुरोहित ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि मैं भीलवाड़ा जिले सहित राजस्थान की तमाम जनता को ईटीवी भारत के माध्यम से अपील करना चाहता हूं कि चीन ने भारत में कोरोना का कहर दिया. उस देश की चाइनीज वस्तुएं इस दीपावली पर न खरीदें. पुरोहित ने कहा कि हम इस कार्य को करके आत्मनिर्भर बनने का सपना साकार कर सकेंगे. पर्यावरण को शुद्ध रखने के लिए गाय के गोबर से बने दीपक का उपयोग करेंगे.
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उन्होंने कहा कि हमारा उद्देश्य है 'गाय को बचाना और देश को बचाना'. क्योंकि हम विचार करें तो आज जिस कंडीशन में हमारा देश है. आर्थिक दृष्टि से हमारे नागरिक जूझ रहे हैं. पुरोहित ने कहा कि इस दीपावली पर मैं आपके ईटीवी भारत के माध्यम से अपील करना चाहता हूं कि चाइनीज आइटम का उपयोग न करना और न ही किसी प्रकार के दीपक और कोई वस्तु खरीदना, यदि हम देशभक्त हैं तो मैं यहां प्रतिदिन दीपक का निर्माण कर रहा हूं. गाय को गोशाला में चारा डालने वाले नहीं बचा सकते हैं. इससे गाय को बचाने के लिए सभी को एकजुट होना होगा. मैं गौशाला वालों को धन्यवाद देना चाहूंगा कि गौशाला वाला कम से कम विकट परिस्थितियों में गाय का सहयोग तो कर रहे हैं. जब तक गाय के गोबर और गोमूत्र बाजार में नहीं बिकेगा, तब तक गाय बचाना संभव नहीं है.
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वर्तमान में गोवंश की नस्लें खराब होती जा रही हैं. खराब होने से उनको सुधारने में कई साल का समय लगेगा. हम दीपावली से पहले गाय के गोबर से दीपक का निर्माण कर रहे हैं. यह गाय का गोबर जब घर-घर में पहुंचेगा तो इनकी पहचान हर घर में जाएगी और 'गौ मय लक्ष्मी' जो हम कहते हैं कि गोबर में लक्ष्मी का निवास है. इससे सकारात्मक ऊर्जा आती है. हम एक किलो गोबर में 200 ग्राम मिट्टी मिलाकर दीपक बनाते हैं. साथ ही उनकी पत्नी ने कहा कि मैं प्रतिदिन 500 दीपक तैयार करती हूं. ऐसा विचार मुझे को गाय बचाने के लिए आया है.
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गो भक्त राजेंद्र पुरोहित ने कहा कि मैं प्रतिदिन यहां एक हजार दीपक का निर्माण करता हूं और 20 हजार दीपक अब तक बना लिए हैं, जिसमें से 12 से 13 हजार दीपक बिक गए हैं. हमारे दीपक अहमदाबाद, सूरत और प्रदेश के बांसवाड़ा, अलवर और भरतपुर सहित कई अन्य जिलों में बिकने के लिए जा रहे हैं. वर्तमान में सैंपल भेजे जा रहे हैं. एक दीपक के निर्माण करने में एक रुपए का खर्चा आ रहा है और हम दो रुपए प्रति दीपक के हिसाब से बेच रहे हैं.