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भीलवाड़ा ने ऑक्सीजन मैनेजमेंट में भी की जीत हासिल...जिले में नहीं है ऑक्सीजन की कमी

कोरोना महामारी के दौरान भीलवाड़ा मॉडल की तरह अब भीलवाड़ा ने ऑक्सीजन मैनेजमेंट में भी जीत हासिल की है. महात्मा गांधी चिकित्सालय में सभी मरीजों को ऑक्सीजन सप्लाई की जा रही है.

Corona case in Bhilwara,  Corona epidemic
भीलवाड़ा में नहीं है ऑक्सीजन की कमी
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Published : Apr 29, 2021, 7:33 PM IST

भीलवाड़ा. प्रदेश में कोरोना के मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच प्रदेश में ऑक्सीजन की भी कमी है. इसी बीच ऑक्सीजन मैनेजमेंट को लेकर भीलवाड़ा ने एक बार फिर बाजी मार ली है. भीलवाड़ा के महात्मा गांधी चिकित्सालय में सभी मरीजों को ऑक्सीजन सप्लाई की जा रही है. ऑक्सीजन सप्लाई को लेकर अस्पताल प्रशासन ने 3 कमेटियों का गठन किया है.

भीलवाड़ा में नहीं है ऑक्सीजन की कमी

पढ़ें- Vaccine की कीमतों को लेकर राजस्थान हाईकोर्ट ने केंद्र-राज्य सरकार सहित वैक्सीन कंपनियों को जारी किए नोटिस

3 कमेटियों का गठन

बता दें, अस्पताल अधीक्षक अरुण गौड़ के नेतृत्व में इस 3 कमेटियों का गठन किया गया है. ये कमेटी ऑक्सीजन की सप्लाई और खर्च को लेकर पूरी मॉनिटरिंग कर रहे हैं. ऑक्सीजन सिलेंडर खाली होने के बाद भी दोबारा काम लेकर दूसरे मरीजों को डेढ-ढाई घंटे तक ऑक्सीजन उपयोग योग्य बनाया जाता है.

अस्पताल अधीक्षक डॉ. अरुण गौड़ ने कहा कि महात्मा गांधी चिकित्सालय में हमारे पास 205 ऑक्सीजन सपोर्टेड बेड है. उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास है कि जो गंभीर मरीज है उसे तुरंत ऑक्सीजन सप्लाई किया जाए. उन्होंने कहा कि ऑक्सीजन को लेकर हो रही किल्लत के बीच एक प्लान तैयार किया गया है. इस प्लान के तहत सप्लाई और प्रोवाइडर के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए 3 कमेटी का गठन किया गया है.

कमेटी कर रही ऑक्सीजन की मॉनिटरिंग

गौड़ ने कहा कि ये कमेटी 8 घंटे ड्यूटी पर रहती है. इस दौरान टीम ऑक्सीजन को लेकर पूरी मॉनिटरिंग करती है. उन्होंने कहा कि जो ऑक्सीजन सिलेंडर खाली हो जाता है, उसे दोबारा काम में लिया जाता है. यह ऑक्सीजन सिलेंडर भी डेढ़ से ढाई घंटे तक इस्तेमाल करने योग्य होते हैं. इससे हम ऑक्सीजन की बचत कर सकते हैं.

अरुण गौड़ ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा की ओर से 100 सिलेंडर की क्षमता वाले एक ऑक्सीजन प्लांट को लेकर सूचित किया गया है. उन्होंने कहा कि अगले 45 दिनों में वह भी शुरू कर दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधि भी आगे आ रहे हैं, ऐसे में वे भी ऑक्सीजन सिलेंडर मुहैया करवा रहे हैं.

पढ़ें- राजस्थान में 10 हजार होमगार्ड उतरेंगे सड़क पर, बेवजह घर से निकलने वालों को सिखाएंगे सबक

अस्पताल अधीक्षक का कहना है कि राजस्थान सरकार ने समय रहते नीति से जुड़े कुछ अच्छे फैसले लिए हैं. कोरोना के पहले लहर में जिस प्रकार से भीलवाड़ा मॉडल बना, उस समय हमारे पास ऑक्सीजन के केवल 80 बेड थे. ऑक्सीजन की कमी को लेकर 4 महीने पहले ही भीलवाड़ा के महात्मा गांधी चिकित्सालय में 61 लाख से निर्मित वातावरण से हवा सोककर ऑक्सीजन को फिल्टर करने वाला ऑक्सीजन प्लांट की शुरुआत कर दी गई थी.

रोजाना तैयार हो सकते हैं 94 ऑक्सीजन सिलेंडर

यह प्लांट पूरी तरह से ऑटोमेटिक है. यह हवा से ऑक्सीजन को अलग कर देता है. इससे रोजाना 94 सिलेंडर ऑक्सीजन गैस तैयार हो सकते हैं. यह प्लांट आज के समय में कोरोना मरीजों के लिए वरदान साबित हो रहा है. यही कारण रहा है कि दूसरे राज्यों की तुलना के मामले में राजस्थान अभी तक अच्छा प्रबंधन कर रहा है.

टीबी अस्पताल में 24 बेड का वार्ड

कोरोना मरीजों के बढ़ते संख्या को देखते हुए महात्मा गांधी अस्पताल के टीबी अस्पताल में 24 ऑक्सीजन बेड लगाए गए हैं. जिन मरीजों को लो-फ्लोर ऑक्सीजन लेवल की जरूरत है उनको यहां पर रखा जाएगा. उन्होंने कहा कि लो-फ्लोर ऑक्सीजन वाले मरीजों को टीबी अस्पताल में रखा जाएगा.

भीलवाड़ा. प्रदेश में कोरोना के मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच प्रदेश में ऑक्सीजन की भी कमी है. इसी बीच ऑक्सीजन मैनेजमेंट को लेकर भीलवाड़ा ने एक बार फिर बाजी मार ली है. भीलवाड़ा के महात्मा गांधी चिकित्सालय में सभी मरीजों को ऑक्सीजन सप्लाई की जा रही है. ऑक्सीजन सप्लाई को लेकर अस्पताल प्रशासन ने 3 कमेटियों का गठन किया है.

भीलवाड़ा में नहीं है ऑक्सीजन की कमी

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3 कमेटियों का गठन

बता दें, अस्पताल अधीक्षक अरुण गौड़ के नेतृत्व में इस 3 कमेटियों का गठन किया गया है. ये कमेटी ऑक्सीजन की सप्लाई और खर्च को लेकर पूरी मॉनिटरिंग कर रहे हैं. ऑक्सीजन सिलेंडर खाली होने के बाद भी दोबारा काम लेकर दूसरे मरीजों को डेढ-ढाई घंटे तक ऑक्सीजन उपयोग योग्य बनाया जाता है.

अस्पताल अधीक्षक डॉ. अरुण गौड़ ने कहा कि महात्मा गांधी चिकित्सालय में हमारे पास 205 ऑक्सीजन सपोर्टेड बेड है. उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास है कि जो गंभीर मरीज है उसे तुरंत ऑक्सीजन सप्लाई किया जाए. उन्होंने कहा कि ऑक्सीजन को लेकर हो रही किल्लत के बीच एक प्लान तैयार किया गया है. इस प्लान के तहत सप्लाई और प्रोवाइडर के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए 3 कमेटी का गठन किया गया है.

कमेटी कर रही ऑक्सीजन की मॉनिटरिंग

गौड़ ने कहा कि ये कमेटी 8 घंटे ड्यूटी पर रहती है. इस दौरान टीम ऑक्सीजन को लेकर पूरी मॉनिटरिंग करती है. उन्होंने कहा कि जो ऑक्सीजन सिलेंडर खाली हो जाता है, उसे दोबारा काम में लिया जाता है. यह ऑक्सीजन सिलेंडर भी डेढ़ से ढाई घंटे तक इस्तेमाल करने योग्य होते हैं. इससे हम ऑक्सीजन की बचत कर सकते हैं.

अरुण गौड़ ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा की ओर से 100 सिलेंडर की क्षमता वाले एक ऑक्सीजन प्लांट को लेकर सूचित किया गया है. उन्होंने कहा कि अगले 45 दिनों में वह भी शुरू कर दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधि भी आगे आ रहे हैं, ऐसे में वे भी ऑक्सीजन सिलेंडर मुहैया करवा रहे हैं.

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अस्पताल अधीक्षक का कहना है कि राजस्थान सरकार ने समय रहते नीति से जुड़े कुछ अच्छे फैसले लिए हैं. कोरोना के पहले लहर में जिस प्रकार से भीलवाड़ा मॉडल बना, उस समय हमारे पास ऑक्सीजन के केवल 80 बेड थे. ऑक्सीजन की कमी को लेकर 4 महीने पहले ही भीलवाड़ा के महात्मा गांधी चिकित्सालय में 61 लाख से निर्मित वातावरण से हवा सोककर ऑक्सीजन को फिल्टर करने वाला ऑक्सीजन प्लांट की शुरुआत कर दी गई थी.

रोजाना तैयार हो सकते हैं 94 ऑक्सीजन सिलेंडर

यह प्लांट पूरी तरह से ऑटोमेटिक है. यह हवा से ऑक्सीजन को अलग कर देता है. इससे रोजाना 94 सिलेंडर ऑक्सीजन गैस तैयार हो सकते हैं. यह प्लांट आज के समय में कोरोना मरीजों के लिए वरदान साबित हो रहा है. यही कारण रहा है कि दूसरे राज्यों की तुलना के मामले में राजस्थान अभी तक अच्छा प्रबंधन कर रहा है.

टीबी अस्पताल में 24 बेड का वार्ड

कोरोना मरीजों के बढ़ते संख्या को देखते हुए महात्मा गांधी अस्पताल के टीबी अस्पताल में 24 ऑक्सीजन बेड लगाए गए हैं. जिन मरीजों को लो-फ्लोर ऑक्सीजन लेवल की जरूरत है उनको यहां पर रखा जाएगा. उन्होंने कहा कि लो-फ्लोर ऑक्सीजन वाले मरीजों को टीबी अस्पताल में रखा जाएगा.

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