भरतपुर. ये कहानी राजस्थान और उत्तर प्रदेश की दो बेटियों की है. दोनों ही बेटियां पहलवान हैं लेकिन पहलवानी शुरू करने से पहले एक बेटी को उसकी मां का सहयोग मिला, तो दूसरी को उसके पिता का. राजस्थान के जयपुर क्षेत्र की बेटी सुमन शर्मा को पहलवानी कराने के लिए उसकी मां ने अपने गहने तक बेच दिए (Women wrestling competition in Bharatpur). वहीं उत्तर प्रदेश के आगरा क्षेत्र निवासी एक पिता ने अपने बेटे की पहलवानी बंद कराकर बेटी को कुश्ती लड़ाना शुरू कर दिया.आज एक मां और एक पिता की त्याग व तपस्या से दोनों ही बेटियां राष्ट्रीय स्तर पर कुश्ती में परचम फहरा रही हैं.
सुमन के पिता को कुश्ती थी नामंजूर- जयपुर के पास बेगस फतेहपुरा गांव निवासी सुमन शर्मा तीन बहनें हैं. सुमन सबसे बड़ी है. पिता व्यवसाई हैं. सुमन अब तक राज्य स्तरीय और राष्ट्रीय स्तरीय कुश्ती में 20 मेडल जीत चुकी हैं. नेशनल में वर्ष 2022 में सिल्वर मेडल जीत चुकी हैं लेकिन उनकी पहलवानी का ये सफर आसान नहीं था. सुमन को पहलवानी का शौक था. कॉलेज, यूनिवर्सिटी में कुश्ती में भाग लेने लगीं. पिता रामनिवास इस बात से खुश नहीं थे. वो चाहते थे कि उनकी बेटी पढ़ाई पर ज्यादा ध्यान दे. उनका मानना था कि कुश्ती लड़कों का खेल है.
और मां ने बेच दिए गहने- सुमन पहलवानी की प्रैक्टिस करने के लिए हरियाणा के रोहतक जाना चाहती थी लेकिन पिता नाखुश थे. ऐसे में सुमन की मां विमला ने उसका साथ दिया. बेटी को रोहतक जाने के लिए तैयार किया और खर्चे के लिए पैसे दिए. घर की बात शर्माते हुए बताती हैं. कहती हैं मां ने अपने गहने बेचकर पैसे जुटाए. जब सुमन शर्मा पहली बार कुश्ती में मेडल जीतकर आई तो उसके गांव में गर्मजोशी से स्वागत हुआ. इसके साथ ही पिता की नाराजगी भी जाती रही. अब शर्मा जी अपनी बेटी सुमन को भरपूर सहयोग दे रहे हैं. भरतपुर में आयोजित महारानी किशोरी भारत केसरी दंगल में सुमन शर्मा ने लगातार दूसरी बार राजस्थान केसरी खिताब जीता.
बेटे ने तोड़ा गामिनी ने जोड़ा- उत्तर प्रदेश के आगरा स्थित गांव गामरी निवासी तेजपाल सिंह की बेटी गामिनी चाहर की कहानी भी प्रेरणास्पद है. उन्होंने महिला दंगल में भारत केसरी खिताबी मुकाबला जीता. बेटी की जीत पर पिता तेजपाल बहुत खुश थे. पिता तेजपाल ने बताया कि उनके तीन बेटी और एक बेटा है. पहले वो अपने बेटा को पहलवानी कराते थे लेकिन वो रास्ता भटक गया और गुंडागर्दी में पड़ गया. बेटे के रास्ता भटकने से पिता तेजपाल बहुत मायूस थे.
गामिनी के स्किल्स पर था भरोसा- तेजपाल बताते हैं कि एक दिन सबसे छोटी बेटी गामिनी और उसके चचेरे भाई के बीच झगड़ा हो रहा था. गामिनी ने अपने भाई को पीट दिया. यह वाकया उसके पिता तेजपाल ने देख लिया. तभी से उन्होंने ठान लिया कि अब वो अपनी बेटी से पहलवानी कराएंगे. बेटे की पहलवानी पर विराम लगाकर उन्होंने अपनी सबसे छोटी बेटी गामिनी चाहर की पहलवानी शुरू कराई. बेटी ने भी निराश नहीं किया. 15 साल 3 माह की उम्र में ही गामिनी राज्यस्तर पर तीन गोल्ड और राष्ट्रीय स्तर पर एक ब्रॉन्ज मेडल जीत चुकी है.