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Keoladeo National Park: घना के बाहर एक दर्जन से अधिक प्रजाति के सैकड़ों पक्षियों ने की नेस्टिंग...नवजात पक्षियों की चहचहाट से गूंजा क्षेत्र

केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में जल संकट के चलते इस बार हर बार की तरह पक्षियों का प्रवास बेहद कम रहा है. हालांकि उद्यान के बाहर के जंगल में अलग ही नजारा देखने को मिल रहा है. यहां एक दर्जन से अधिक प्रजाति के ​पक्षियों ने नेस्टिंग की है और नई कॉलोनी बना ली (Birds nesting near Keoladeo National Park) है. इनमें पेंटेड स्टार्क, ब्लैक हेडेड आईबिस और कैटल ईग्रेट जैसे पक्षी हैं.

Keoladeo National Park
घना के बाहर एक दर्जन से अधिक प्रजाति के सैकड़ों पक्षियों ने की नेस्टिंग...नवजात पक्षियों की चहचहाट से गूंजा क्षेत्र
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Published : Jul 30, 2022, 5:14 PM IST

Updated : Jul 30, 2022, 7:14 PM IST

भरतपुर. इस बार भले ही पक्षियों का स्वर्ग कहा जाने वाला केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान जल संकट का सामना कर रहा है, लेकिन उद्यान के बाहर के जंगल पक्षियों से आबाद हो रहे हैं. उद्यान के आसपास के जंगल और दूरदराज के जलाशय वाले क्षेत्रों में एक दर्जन से अधिक प्रजाति के पक्षियों ने नेस्टिंग की (Birds nesting near Keoladeo National Park) है. पक्षियों की नई कॉलोनी बस कर तैयार हो गई है. इतना ही नहीं अब ये कॉलोनियां नवजात पक्षियों की चहचहाहट से गूंज रही हैं.

पक्षियों की कॉलोनी: नेचर गाइड नवीन करौला ने बताया कि केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के बाहर पंछी का नगला क्षेत्र में 1 दर्जन से अधिक प्रजाति के पक्षियों ने नेस्टिंग की है. इसके अलावा इस बार अटल बंध के जलभराव क्षेत्र में भी 30 से अधिक पेंटेड स्टार्क ने डेरा डाल रखा है. लुधावई क्षेत्र में भी सैकड़ों पक्षियों ने नेस्टिंग की है.

घना के बाहर एक दर्जन से अधिक प्रजाति के सैकड़ों पक्षियों ने की नेस्टिंग...नवजात पक्षियों की चहचहाट से गूंजा क्षेत्र

पढ़ें: keoladeo National Park: पक्षियों को पांचना बांध का पानी उपलब्ध कराने के लिए मशक्कत, सरकार तलाश रही विकल्प...

इसलिए घना के बाहर डाला पक्षियों ने डेरा: असल में इस बार केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान जलसंकट से जूझ रहा (Water crisis in Keoladeo National Park) है. यहां ओपन बिल स्टार्क ने नेस्टिंग तो की है, लेकिन पानी की कमी की वजह से ना तो पक्षियों की संख्या में इजाफा हो रहा है और ना ही अन्य मानसूनी पक्षी यहां पहुंच रहे हैं. वहीं उद्यान के बाहर के जंगल में बरसात का पानी जमा हो गया है. कई जगह पर पहले से वेस्टेज पानी जमा है, जहां पक्षियों को पानी, भोजन और अनुकूल माहौल मिल रहा है. यही वजह है कि पक्षियों ने उद्यान के बाहर के जंगल में नेस्टिंग की है.

पढ़ें: keoladev National Park: ग्लोबल वार्मिंग और बदलते मौसम का असर पक्षियों पर भी, समय से पहले ईग्रेट और पहली बार ग्लॉसी आइबिस कर रहे ब्रीडिंग

इन पक्षियों से गुलजार हुआ जंगल: नवीन करौला ने बताया कि बाहर के जंगल में एक दर्जन से अधिक प्रजाति के पक्षियों ने नेस्टिंग की है. इनमें ब्लैक हेडेड आईबिस और कैटल ईग्रेट के बच्चे भी नजर आने लगे हैं. बाहर के जंगल में आईबिस, कैटल ईग्रेट, लार्ज ईग्रेट, मीडियम ईग्रेट, ग्रे हेरोन, पर्पल हेरोन, यूरेशियन स्पूनबिल, कर्मोनेंट, नाइट हेरोन, जैकाना आदि प्रजाति के पक्षियों ने नेस्टिंग की (Nesting birds near Keoladeo National Park) है. ये सभी लोकल माइग्रेटरी बर्ड्स हैं. कई पेड़ों पर तो 20-20 नेस्ट देखने को मिल रहे हैं.

पढ़ें: Disclosure in Study Report: तीन दशक में बदला भरतपुर का जलवायु तंत्र, बारिश के औसत दिनों में 20% की गिरावट...प्रवासी पक्षियों की संख्या भी घटी

गौरतलब है कि पर्यटन सीजन में केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान को हर वर्ष 550 एमसीएफटी पानी की जरूरत होती है. लेकिन इस बार ना तो गोवर्धन ड्रेन से पानी मिला ना ही पांचना बांध से. इतना ही नहीं जून और जुलाई माह में चंबल योजना से 66 एमसीएफटी पानी घना को दिया जाना प्रस्तावित है, लेकिन अभी तक वहां से भी मुश्किल से 10 एमसीएफटी पानी ही मिल पाया है. पानी की उपलब्धता की कमी और बरसात की कमी के चलते इस बार घना में ना के बराबर पानी है. यही वजह है कि पक्षियों को घना के बाहर जहां कहीं अनुकूल माहौल, पानी और भोजन मिल रहा है, वहीं पर कॉलोनी बसा रहे हैं.

भरतपुर. इस बार भले ही पक्षियों का स्वर्ग कहा जाने वाला केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान जल संकट का सामना कर रहा है, लेकिन उद्यान के बाहर के जंगल पक्षियों से आबाद हो रहे हैं. उद्यान के आसपास के जंगल और दूरदराज के जलाशय वाले क्षेत्रों में एक दर्जन से अधिक प्रजाति के पक्षियों ने नेस्टिंग की (Birds nesting near Keoladeo National Park) है. पक्षियों की नई कॉलोनी बस कर तैयार हो गई है. इतना ही नहीं अब ये कॉलोनियां नवजात पक्षियों की चहचहाहट से गूंज रही हैं.

पक्षियों की कॉलोनी: नेचर गाइड नवीन करौला ने बताया कि केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के बाहर पंछी का नगला क्षेत्र में 1 दर्जन से अधिक प्रजाति के पक्षियों ने नेस्टिंग की है. इसके अलावा इस बार अटल बंध के जलभराव क्षेत्र में भी 30 से अधिक पेंटेड स्टार्क ने डेरा डाल रखा है. लुधावई क्षेत्र में भी सैकड़ों पक्षियों ने नेस्टिंग की है.

घना के बाहर एक दर्जन से अधिक प्रजाति के सैकड़ों पक्षियों ने की नेस्टिंग...नवजात पक्षियों की चहचहाट से गूंजा क्षेत्र

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इसलिए घना के बाहर डाला पक्षियों ने डेरा: असल में इस बार केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान जलसंकट से जूझ रहा (Water crisis in Keoladeo National Park) है. यहां ओपन बिल स्टार्क ने नेस्टिंग तो की है, लेकिन पानी की कमी की वजह से ना तो पक्षियों की संख्या में इजाफा हो रहा है और ना ही अन्य मानसूनी पक्षी यहां पहुंच रहे हैं. वहीं उद्यान के बाहर के जंगल में बरसात का पानी जमा हो गया है. कई जगह पर पहले से वेस्टेज पानी जमा है, जहां पक्षियों को पानी, भोजन और अनुकूल माहौल मिल रहा है. यही वजह है कि पक्षियों ने उद्यान के बाहर के जंगल में नेस्टिंग की है.

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इन पक्षियों से गुलजार हुआ जंगल: नवीन करौला ने बताया कि बाहर के जंगल में एक दर्जन से अधिक प्रजाति के पक्षियों ने नेस्टिंग की है. इनमें ब्लैक हेडेड आईबिस और कैटल ईग्रेट के बच्चे भी नजर आने लगे हैं. बाहर के जंगल में आईबिस, कैटल ईग्रेट, लार्ज ईग्रेट, मीडियम ईग्रेट, ग्रे हेरोन, पर्पल हेरोन, यूरेशियन स्पूनबिल, कर्मोनेंट, नाइट हेरोन, जैकाना आदि प्रजाति के पक्षियों ने नेस्टिंग की (Nesting birds near Keoladeo National Park) है. ये सभी लोकल माइग्रेटरी बर्ड्स हैं. कई पेड़ों पर तो 20-20 नेस्ट देखने को मिल रहे हैं.

पढ़ें: Disclosure in Study Report: तीन दशक में बदला भरतपुर का जलवायु तंत्र, बारिश के औसत दिनों में 20% की गिरावट...प्रवासी पक्षियों की संख्या भी घटी

गौरतलब है कि पर्यटन सीजन में केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान को हर वर्ष 550 एमसीएफटी पानी की जरूरत होती है. लेकिन इस बार ना तो गोवर्धन ड्रेन से पानी मिला ना ही पांचना बांध से. इतना ही नहीं जून और जुलाई माह में चंबल योजना से 66 एमसीएफटी पानी घना को दिया जाना प्रस्तावित है, लेकिन अभी तक वहां से भी मुश्किल से 10 एमसीएफटी पानी ही मिल पाया है. पानी की उपलब्धता की कमी और बरसात की कमी के चलते इस बार घना में ना के बराबर पानी है. यही वजह है कि पक्षियों को घना के बाहर जहां कहीं अनुकूल माहौल, पानी और भोजन मिल रहा है, वहीं पर कॉलोनी बसा रहे हैं.

Last Updated : Jul 30, 2022, 7:14 PM IST
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