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शहादत को सम्मान का इंतजार: एक साल बाद भी नहीं बना स्मारक...नेताओं को नहीं याद अपने वादे

पुलवालामा हमले में जीतराम गुर्जर शहीद हुए थे. लेकिन एक साल बीत जाने के बाद भी परिजन मदद के लिए इधर-उधर घूम रहे हैं. नेता अपने किए गए वादे भूल गए हैं. परिजनों के मुताबिक कई बार जिला प्रशासन से संपर्क कर चुके हैं लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है.

martyr Memorial,  जीतराम गुर्जर शहीद
हादत को सम्मान का इंतजार.
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Published : Feb 8, 2020, 7:02 PM IST

Updated : Feb 10, 2020, 6:02 PM IST

भरतपुर. पुलवामा में शहीद हुए भरतपुर जिले के नगर कस्बा के पास स्थित गांव सुंदरावली के जीतराम गुर्जर का परिवार अभी शहीद के सम्मान का इंतजार कर रहा है. एक साल पहले शहादत के समय नेताओं ने कई वादे किए थे लेकिन अभी तक ना तो शहीद का स्मारक बनवाया गया है और ना ही परिवार को कृषि कनेक्शन मिल पाया है. अब मजबूर परिजन खुद के पैसों से ही शहीद का स्मारक बनवाने की तैयारी कर रहे हैं.

हादत को सम्मान का इंतजार.

क्या कहते हैं शहीद के भाई:

शहीद जीतराम के छोटे भाई विक्रम सिंह ने बताया कि पुलवामा हमले के बाद सर्जिकल स्ट्राइक करने का फैसला एकदम सही था. दुश्मन को अपनी ताकत का एहसास कराना जरूरी था.

शहीद का स्मारक नहीं बना, परिजन को नौकरी नहीं मिली:

भाई विक्रम और पिता राधेश्याम ने बताया कि केंद्र सरकार ने जीतराम के शहीद होने के बाद 50 लाख रुपए की आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई थी. लेकिन एक साल गुजरने के बाद भी ना तो उस शहीद का स्मारक बना है ना कृषि कनेक्शन मिला और ना ही किसी परिजन को नौकरी दी गई है. भाई विक्रम ने बताया कि शहादत के समय तत्कालीन सांसद बहादुर सिंह कोली ने घोषणा की थी कि शहीद के स्मारक के लिए वो 10 लाख रुपए देंगे लेकिन अभी तक उनकी ओर से कोई आर्थिक सहायता उपलब्ध नहीं कराई गई है. इसके अलावा कृषि कनेक्शन देने और गांव के स्कूल का नामकरण शहीद के नाम पर करने का वादा भी था जो कि अभी तक पूरा नहीं हुआ.

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अब परिजन बनवाएंगे शहीद का स्मारक:
शहीद के भाई विक्रम ने बताया कि राज्य सरकार के अधूरे वादों को लेकर के कई बार जिला प्रशासन के यहां संपर्क किया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. अब परिजन खुद अपने पैसे से शहीद का स्मारक बनाएंगे. बता दें, पिछले साल फरवरी में पुलवामा हमले में भरतपुर के जीतराम गुर्जर समेत प्रदेश के 5 वीर सपूत देश के लिए शहीद हो गए थे. शहीद जीत राम गुर्जर के परिवार में उसकी वीरांगना सुंदरी देवी, दो बच्चे, माता-पिता और एक छोटा भाई है.

भरतपुर. पुलवामा में शहीद हुए भरतपुर जिले के नगर कस्बा के पास स्थित गांव सुंदरावली के जीतराम गुर्जर का परिवार अभी शहीद के सम्मान का इंतजार कर रहा है. एक साल पहले शहादत के समय नेताओं ने कई वादे किए थे लेकिन अभी तक ना तो शहीद का स्मारक बनवाया गया है और ना ही परिवार को कृषि कनेक्शन मिल पाया है. अब मजबूर परिजन खुद के पैसों से ही शहीद का स्मारक बनवाने की तैयारी कर रहे हैं.

हादत को सम्मान का इंतजार.

क्या कहते हैं शहीद के भाई:

शहीद जीतराम के छोटे भाई विक्रम सिंह ने बताया कि पुलवामा हमले के बाद सर्जिकल स्ट्राइक करने का फैसला एकदम सही था. दुश्मन को अपनी ताकत का एहसास कराना जरूरी था.

शहीद का स्मारक नहीं बना, परिजन को नौकरी नहीं मिली:

भाई विक्रम और पिता राधेश्याम ने बताया कि केंद्र सरकार ने जीतराम के शहीद होने के बाद 50 लाख रुपए की आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई थी. लेकिन एक साल गुजरने के बाद भी ना तो उस शहीद का स्मारक बना है ना कृषि कनेक्शन मिला और ना ही किसी परिजन को नौकरी दी गई है. भाई विक्रम ने बताया कि शहादत के समय तत्कालीन सांसद बहादुर सिंह कोली ने घोषणा की थी कि शहीद के स्मारक के लिए वो 10 लाख रुपए देंगे लेकिन अभी तक उनकी ओर से कोई आर्थिक सहायता उपलब्ध नहीं कराई गई है. इसके अलावा कृषि कनेक्शन देने और गांव के स्कूल का नामकरण शहीद के नाम पर करने का वादा भी था जो कि अभी तक पूरा नहीं हुआ.

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अब परिजन बनवाएंगे शहीद का स्मारक:
शहीद के भाई विक्रम ने बताया कि राज्य सरकार के अधूरे वादों को लेकर के कई बार जिला प्रशासन के यहां संपर्क किया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. अब परिजन खुद अपने पैसे से शहीद का स्मारक बनाएंगे. बता दें, पिछले साल फरवरी में पुलवामा हमले में भरतपुर के जीतराम गुर्जर समेत प्रदेश के 5 वीर सपूत देश के लिए शहीद हो गए थे. शहीद जीत राम गुर्जर के परिवार में उसकी वीरांगना सुंदरी देवी, दो बच्चे, माता-पिता और एक छोटा भाई है.

Intro:भरतपुर.
कच्ची झोपड़ी, पास ही एक खटिया पर बच्चे को लेकर बैठी मायूस मां। मां बार - बार बुदबुदाती है कि बेटा होता तो आज हालात कुछ और होते। कुछ ऐसे ही हालात में जीवन यापन कर रहा है पुलवामा में शहीद हुए भरतपुर जिले के नगर कस्बा के पास स्थित गांव सुंदरावली के जीतराम गुर्जर का परिवार। वही 1 साल गुजरने के बाद भी जीतराम की शहादत को अभी भी सम्मान का इंतजार है। 1 साल पहले शहादत के समय नेताओं ने कई वादे किए थे लेकिन अभी तक ना तो शहीद का स्मारक बनवाया गया है और ना ही परिवार को कृषि कनेक्शन मिल पाया है। अब मजबूर परिजन खुद के पैसों से ही शहीद का स्मारक बनवाने की तैयारी कर रहे हैं।Body:शहीद जीतराम के छोटे भाई विक्रम सिंह ने बताया कि पुलवामा हमले के बाद सर्जिकल स्ट्राइक करने का फैसला एकदम सही था। दुश्मन को अपनी ताकत का एहसास कराना जरूरी था।

स्मारक बना ना नौकरी मिली
भाई विक्रम और पिता राधेश्याम ने बताया कि केंद्र सरकार ने जीतराम के शहीद होने के बाद 50 लाख रुपए की आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई। लेकिन 1 साल गुजरने के बाद भी ना तो उस शहीद का स्मारक बना है, ना कृषि कनेक्शन मिला और ना ही किसी परिजन को नौकरी दी गई है। भाई विक्रम ने बताया कि शहादत के समय तत्कालीन सांसद बहादुर सिंह कोली ने घोषणा की थी कि शहीद के स्मारक के लिए वो 10 लाख रुपए देंगे लेकिन अभी तक उनकी ओर से कोई आर्थिक सहायता उपलब्ध नहीं कराई गई है।

वहीं कृषि कनेक्शन देने और गांव के स्कूल का नामकरण शहीद के नाम पर करने का वादा भी था जो कि अभी तक पूरा नहीं हुआ।

अब खुद बनाएंगे शहीद का स्मारक
शहीद के भाई विक्रम ने बताया कि राज्य सरकार के अधूरे वादों को लेकर के कई बार जिला प्रशासन के यहां संपर्क किया। लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। अब परिजन खुद के रुपयों से ही शहीद का स्मारक बनाएंगे।Conclusion:गौरतलब है कि गत वर्ष फरवरी में पुलवामा हमले में भरतपुर के जीतराम गुर्जर समेत प्रदेश के 5 वीर सपूत देश के लिए शहीद हो गए थे। शहीद जीत राम गुर्जर के परिवार में उसकी वीरांगना सुंदरी देवी, दो बच्चे, माता - पिता और एक छोटा भाई है।

बाइट - राधेश्याम, शहीद का पिता
बाइट 2- विक्रम ,शहीद का छोटा भाई

बाइट 3- सुंदरी देवी, वीरांगना
Last Updated : Feb 10, 2020, 6:02 PM IST
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