भरतपुर. गुर्जर समाज की ओर से अपनी मांगों को लेकर आंदोलन का दूसरा दिन भी गुजर गया है लेकिन इसका कोई हल नहीं निकल पाया. 2 दिन के आंदोलन के बाद विजय बैंसला ने ईटीवी भारत से खास बाचतीत की. जिसमें उन्होंने बताया कि गुर्जर समाज अपनी मूंछों पर बल देकर नहीं बैठा है. इगो में नहीं बैठा है. सरकार से वार्ता के रास्ते खुले हुए हैं लेकिन सरकार ने अपने मेनिफेस्टो में जो वादा किया था, उस वादे को पहले पूरा तो करें. विजय बैंसला ने कहा कि सरकार से समाज में सम्मान मांगा था लेकिन सरकार ने समाज के साथ कुठाराघात किया है.
अशोक चांदना मिलने आए थे लेकिन हम मिल नहीं पाए
विजय बैंसला ने कहा कि हमने मंत्री अशोक चांदना से फोन पर बात की थी. कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला (Colonel Kirori Singh Bainsla) के कहने पर वह हमसे मिलने भी आए थे लेकिन वो रात के वक्त मिलने आए थे और उस समय मिलना ठीक नहीं था. क्योंकि सारी बातें समाज के बीच होनी थी. इसलिए दिन के वक्त समाज के सामने ही मिलना था.
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बैंसला ने कहा कि उन्होंने मंत्री अशोक चांदना से अगले दिन पीलूपुरा आने के लिए कहा था लेकिन उन्होंने कहा कि विधानसभा सत्र चल रहा है, अगले दिन आना संभव नहीं हो पाएगा. ऐसे में चांदना से कहा कि जब भी 1-2 दिन में आपको समय मिले आ जाइएगा.
चांदना व्यस्त तो किसी और को वार्ता के लिए भेजे सरकार
विजय बैंसला का कहना है कि यदि मंत्री अशोक चांदना व्यस्त हैं तो सरकार चाहे तो किसी अन्य को भी वार्ता के लिए भेज सकती है. हमें कोई दिक्कत नहीं है. कुछ दिन पहले मंत्री रघु शर्मा और मंत्री अशोक चांदना के हस्ताक्षर युक्त एक स्टेटमेंट आया था. जिसमें लिखा था कि आंदोलन में शहीद हुए 3 लोगों की विधवाओं को 5-5 लाख रुपए का मुआवजा दिया जाएगा. यह मुआवजा सामाजिक स्तर पर उगाकर यानी चंदा करके दिया जाएगा.
सरकार से सरकारी खजाने से वीरंगनाओं और परिजनों के लिए मुआवजा मांगा
साथ ही उन्होंने कहा कि माफ करना सरकार हमें यह समझ में नहीं आया और ना ही हम इस पर राजी हैं कि समाज से चंदा करके शहीदों की विधवाओं को मुआवजा दिया जाए. हमने सरकार से सम्मान मांगा था, इस तरह से कुठाराघात नहीं. हमने विधवाओं के परिजनों और वीरांगनाओं को सरकारी खजाने से मुआवजा मांगा था, ना कि समाज से चंदा करके देने के लिए कहा था.
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विजय बैंसला ने कहा कि सरकार ने जो समझौता पत्र बनाकर भेजा था, उसमें लिखा था कि तीनों शहीदों की विधवाओं या परिजनों को नौकरी दी जाएगी लेकिन वह किस पद पर नौकरी दी जाएगी और कब तक दी जाएगी, इसके बारे में कहीं कोई जिक्र नहीं किया. साथ ही पत्र में नौकरी देंगे लिखा है. जबकि सरकार चाहे तो तुरंत तीन आदेश पत्र बनाकर उन वीरांगना और उनके परिजनों को नौकरी दे सकती है.
जिस तरीके से रातोंरात FIR हुई वैसे ही मांगे भी मानी जा सकती है
बैंसला ने कहा कि सरकार चाहे तो रातो रात सब कुछ हो सकता है. सरकार ने जिस तरीके से गुर्जर समाज के लोगों के खिलाफ रातों-रात मामले दर्ज करवा दिए थे. उसी तरह से हमारी मांगों को मानकर रातों-रात उनसे संबंधित आदेश भी जारी किए जा सकते हैं. सरकार की ओर से जिन 14 मांगों को मानने की बात कही जा रही है, उनमें ना तो रीट से संबंधित मांग में सब कुछ स्पष्ट किया गया है, ना ही नर्सिंग भर्तियों का जिक्र है और ना ही बैकलॉग के बारे में जिक्र किया गया है.
मर भी गए तो संतुष्टि रहेगी कि सरकार ने वादा पूरा किया
उन्हें सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि कोरोना समय है, पता नहीं कल हम हो या ना हों. इसलिए सरकार से निवेदन है कि वे कृपया होगा, करूंगा वाले इस तरह के पत्र ना भेजें. विजय बैंसला ने तंज कसते हुए कहा कि यदि ऊपरवाला हमें खींच कर ले जाए तो कम से कम इस बात की संतुष्टि तो रहेगी कि सरकार ने मलारना डूंगर में जो वादा किया था, उसको पूरा तो कर दिया और यदि सरकार मांगे पूरी नहीं करती है तो हम तो पटरी पर 'मर' ही रहे हैं.