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भरतपुर : मंदिर की चोटी पर चढ़ा साधु, प्रशासन के खिलाफ ग्रामीण कर रहे नारेबाजी

कामां क्षेत्र में गुरुवार को एक साधु की ओर से मंदिर की चोटी पर चढ़कर आत्मदाह करने का प्रयास किया जा रहा है. बता दें कि अभी तक कोई भी प्रशासनिक अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा है. जिससे मंदिर पर एकत्रित ग्रामीणों में रोष व्याप्त है और वह प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी कर रहे हैं.

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आत्मदाह के लिए मंदिर की चोटी पर चढ़ा साधु
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Published : Feb 20, 2020, 2:35 PM IST

कामां (भरतपुर). कामां क्षेत्र के मुरार गांव में तपो भूमि के बेचान के विरोध में साधु संतों की ओर से 3 दिन पहले प्रशासन को ज्ञापन देकर अवगत कराया गया था. जिसमें यह कहा गया था कि बनी भूमि (तपोस्थल) को वन क्षेत्र घोषित नहीं किया गया तो 3 दिन बाद वे आत्मदाह को मजबूर होंगे. जिसके बाद गुरुवार दोपहर को एक साधु मुरार गांव स्थित मंदिर की चोटी पर चढ़ गया. और प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी करने लगा. प्रशासन का कोई भी अधिकारी अभी तक नहीं पहुंचा है.

आत्मदाह के लिए मंदिर की चोटी पर चढ़ा साधु

जानकारी के अनुसार कामां क्षेत्र के गांव मुरार मुल्लाका के पास साधुओं की तपोभूमि वन क्षेत्र बनी को वन क्षेत्र घोषित कराए जाने के लिए साधु-संतों ने एसडीएम बनवारीलाल शर्मा को पूर्व में ज्ञापन सौंपकर मांग की थी. जिसमें चेतावनी दी गई थी कि अगर तीन दिवस में तपोभूमि को वन क्षेत्र घोषित नहीं किया गया तो साधु संत आत्मदाह करेंगे, जिसका जिम्मेदार स्थानीय प्रशासन होगा.

जिसके बाद गुरुवार को साधु मंदिर की चोटी पर चढ़ा गया और आत्मदाह का प्रयास कर रहा है लेकिन अभी तक कोई भी प्रशासनिक अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा है और सैकड़ों की तादात में मंदिर के नीचे महिला-पुरुष एकत्रित हैं, जो प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी कर रहे हैं.

यह भी पढ़ें : शिक्षा का बजट-2020 : शिक्षा को मिले 39 हज़ार 524 करोड़ रुपए, यहां देखें शिक्षा क्षेत्र की प्रमुख घोषणाएं

उल्लेखनीय है कि कामां के गांव मुरार में खसरा नंबर 186, 187, 188, 191, 192, 195, किता 6 रकबा 20.51 हेक्टेयर में सैकड़ों सालों से किसी भी खातेदार द्वारा मौके पर उक्त खसरा नंबरों में कृषि नहीं की गई. पूरी जगह उबर खाबर है, जिसमें सैकड़ों साल पुराने हजारों बरगद और पीपल के वृक्ष हैं और सैकड़ों की संख्या में मोर विचरण करते हैं. कई साधु-संत उक्त तपोभूमि वन क्षेत्र में छोटी-छोटी कुटिया बनाकर तपस्या करते हैं और सैकड़ों साल पुराना हनुमान मंदिर भी वहां स्थित है.

इसी के साथ चार धार्मिक तालाब बने हुए हैं. उक्त वन क्षेत्र को कुछ भूमाफिया खरीदना चाहते हैं. जिससे साधुओं कि यह तपोभूमि उजड़ जाएगी, इसलिए साधु उक्त तपोभूमि को वन क्षेत्र घोषित कराए जाने की मांग कर रहे हैं.

कामां (भरतपुर). कामां क्षेत्र के मुरार गांव में तपो भूमि के बेचान के विरोध में साधु संतों की ओर से 3 दिन पहले प्रशासन को ज्ञापन देकर अवगत कराया गया था. जिसमें यह कहा गया था कि बनी भूमि (तपोस्थल) को वन क्षेत्र घोषित नहीं किया गया तो 3 दिन बाद वे आत्मदाह को मजबूर होंगे. जिसके बाद गुरुवार दोपहर को एक साधु मुरार गांव स्थित मंदिर की चोटी पर चढ़ गया. और प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी करने लगा. प्रशासन का कोई भी अधिकारी अभी तक नहीं पहुंचा है.

आत्मदाह के लिए मंदिर की चोटी पर चढ़ा साधु

जानकारी के अनुसार कामां क्षेत्र के गांव मुरार मुल्लाका के पास साधुओं की तपोभूमि वन क्षेत्र बनी को वन क्षेत्र घोषित कराए जाने के लिए साधु-संतों ने एसडीएम बनवारीलाल शर्मा को पूर्व में ज्ञापन सौंपकर मांग की थी. जिसमें चेतावनी दी गई थी कि अगर तीन दिवस में तपोभूमि को वन क्षेत्र घोषित नहीं किया गया तो साधु संत आत्मदाह करेंगे, जिसका जिम्मेदार स्थानीय प्रशासन होगा.

जिसके बाद गुरुवार को साधु मंदिर की चोटी पर चढ़ा गया और आत्मदाह का प्रयास कर रहा है लेकिन अभी तक कोई भी प्रशासनिक अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा है और सैकड़ों की तादात में मंदिर के नीचे महिला-पुरुष एकत्रित हैं, जो प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी कर रहे हैं.

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उल्लेखनीय है कि कामां के गांव मुरार में खसरा नंबर 186, 187, 188, 191, 192, 195, किता 6 रकबा 20.51 हेक्टेयर में सैकड़ों सालों से किसी भी खातेदार द्वारा मौके पर उक्त खसरा नंबरों में कृषि नहीं की गई. पूरी जगह उबर खाबर है, जिसमें सैकड़ों साल पुराने हजारों बरगद और पीपल के वृक्ष हैं और सैकड़ों की संख्या में मोर विचरण करते हैं. कई साधु-संत उक्त तपोभूमि वन क्षेत्र में छोटी-छोटी कुटिया बनाकर तपस्या करते हैं और सैकड़ों साल पुराना हनुमान मंदिर भी वहां स्थित है.

इसी के साथ चार धार्मिक तालाब बने हुए हैं. उक्त वन क्षेत्र को कुछ भूमाफिया खरीदना चाहते हैं. जिससे साधुओं कि यह तपोभूमि उजड़ जाएगी, इसलिए साधु उक्त तपोभूमि को वन क्षेत्र घोषित कराए जाने की मांग कर रहे हैं.

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