भरतपुर. 14 साल के रुद्रांश आज से करीब 5 साल पहले तक अपने पैरों पर दौड़ते थे. बांकि बच्चों की तरह खेलते कूदते थे, साइकिल चलाते थे और अपने परिवार के साथ खुश थे. लेकिन एक शादी समारोह के दौरान की गई आतिशबाजी ने मानो रुद्रांश की जिंदगी में अंधेरा भर दिया. हादसे में रुद्रांश को अपना एक पैर गंवाना पड़ा. रुद्रांश अब अपने पैरों से चल नहीं सकते थे लेकिन इस दौरान माता-पिता ने रुद्रांश को उड़ने की हिम्मत दी. फिर क्या था रुद्रांश सशक्त रूप से ना केवल खुद अपने सभी कार्य करते हैं बल्कि एयर पिस्टल शूटिंग में राष्ट्रीय स्तर पर खेलकर कई पदक भी जीत चुके हैं.
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विनीता खंडेलवाल आगे कहती हैं कि एक बार स्पोर्ट्स प्रभारी के रूप में B.Ed कॉलेज की छात्राओं को लोहागढ़ स्टेडियम में लेकर गईं थी. यहां उन्होंने पहली बार एयर पिस्टल शूटिंग गेम देखा. उसके बाद यहां पर अपने बेटे रुद्रांश के लिए कोच से बात की, जिन्होंने बताया कि उनका बेटा भी इस खेल में आसानी से भाग ले सकता है. इस दौरान रुद्रांश के लिए आर्टिफिशियल पैर भी तैयार करवाया गया और फिर इस तरह से रुद्रांश ने अपनी नई दुनिया की शुरूआत की.
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रुद्रांश ने बताया कि शुरू में प्रैक्टिस करने में बहुत परेशानी होती थी लेकिन मम्मी पापा का मुझे आगे बढ़ाने का सपना था और मैं उसे टूटने नहीं देना चाहता था. लगातार मैंने मन लगाकर प्रैक्टिस की और अपने मुकाम तक पहुंचा. रुद्रांश ने बताया कि एक बार एक कंपटीशन के दौरान उसका आर्टिफिशियल पैर भी टूट गया जहां मम्मी पापा एक बार फिर से उन्हें आगे बढ़ते रहने की ताकत दी.
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एक के बाद एक अब तक 50 से अधिक प्रतियोगिताओं में रुद्रांश भाग ले चुके हैं और 21 मेडल जीत चुके हैं. रुद्रांश तीन मैडल राष्ट्रीय स्तर पर भी जीत चुके हैं. रुद्रांश ने बताया कि फिलहाल वह इंडियन कैम्प की तैयारी कर रहे हैं ताकि इंटरनेशनल टूर्नामेंट और पैरालंपिक में भाग ले सके.
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रुद्रांश और उनके पिता आशुतोष खंडेलवाल कहते हैं किसी ना किसी दुर्घटना में शारीरिक हानि उठा चुके देश के ऐसे बच्चों को कभी हिम्मत नहीं हारनी चाहिए. आत्मविश्वास और जिंदगी में कुछ अच्छा करने की अगर लगन हो तो जरूर मुकाम हासिल होगा.