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रुद्रांशः जिनके हौसलों के आगे हार गया दर्द...एयर पिस्टल शूटिंग में जीते 21 पदक

रुद्रांश खंडेलवाल को साल 2015 में एक शादी समारोह में आतिशबाजी के दौरान हुई दुर्घटना में अपना एक पैर गंवाना पड़ा. आतिशबाजी ने मानो रुद्रांश की जिंदगी में अंधेरा भर दिया. अब अपने पैरों से वो नहीं चल सकते थे लेकिन इस दौरान माता-पिता के ने रुद्रांश को उड़ने की हिम्मत दी. एयर पिस्टल शूटिंग में अब तक 21 मेडल रुद्रांश अपने नाम कर चुके हैं.

एयर पिस्टल शूटिंग खेल, राष्ट्रीय पिस्टल शूटिंग, राजस्थान स्पोर्ट स्टेडियम, पैरालंपिक खिलाड़ी, shooter Rudransh Khandelwal, Air Pistol Shooting, Air Pistol Shooting Game, National Pistol Shooting,
एयर पिस्टल शूटिंग में रुद्रांश हासिल कर चुके हैं 21 मैडल
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Published : Oct 31, 2020, 11:43 AM IST

भरतपुर. 14 साल के रुद्रांश आज से करीब 5 साल पहले तक अपने पैरों पर दौड़ते थे. बांकि बच्चों की तरह खेलते कूदते थे, साइकिल चलाते थे और अपने परिवार के साथ खुश थे. लेकिन एक शादी समारोह के दौरान की गई आतिशबाजी ने मानो रुद्रांश की जिंदगी में अंधेरा भर दिया. हादसे में रुद्रांश को अपना एक पैर गंवाना पड़ा. रुद्रांश अब अपने पैरों से चल नहीं सकते थे लेकिन इस दौरान माता-पिता ने रुद्रांश को उड़ने की हिम्मत दी. फिर क्या था रुद्रांश सशक्त रूप से ना केवल खुद अपने सभी कार्य करते हैं बल्कि एयर पिस्टल शूटिंग में राष्ट्रीय स्तर पर खेलकर कई पदक भी जीत चुके हैं.

एयर पिस्टल शूटिंग में रुद्रांश हासिल कर चुके हैं 21 मैडल
एक हादसे ने तोड़ दी थी हिम्मत
भरतपुर शहर में रहने वाले रुद्रांश के पिता आशुतोष खंडेलवाल ने बताया कि वर्ष 2015 में एक शादी समारोह के दौरान आतिशबाजी हो रही थी और उसी दुर्घटना में रुद्रांश बुरी तरह से घायल हो गया. दुर्घटना में रुद्रांश को अपना एक पैर गंवाना पड़ा. रुद्रांश की मां विनीता खंडेलवाल ने बताया कि जब बेटा 1 साल तक घर पर रहा तो वह दूसरे बच्चों को देखकर खेलने की इच्छा जताता था और पूछता था की मम्मी क्या मैं भी खेल पाऊंगा. विनीता कहती हैं कि मैंने हमेशा रुद्रांश का हौसला बढ़ाया और उससे कहा कि बेटा तुम भी जरूर खेल पाओगे और दूसरे बच्चों की तरह स्कूल भी जाओगे.
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एयर पिस्टल शूटिंग की प्रेक्टिस करते हुए रुद्रांश खंडेलवाल

विनीता खंडेलवाल आगे कहती हैं कि एक बार स्पोर्ट्स प्रभारी के रूप में B.Ed कॉलेज की छात्राओं को लोहागढ़ स्टेडियम में लेकर गईं थी. यहां उन्होंने पहली बार एयर पिस्टल शूटिंग गेम देखा. उसके बाद यहां पर अपने बेटे रुद्रांश के लिए कोच से बात की, जिन्होंने बताया कि उनका बेटा भी इस खेल में आसानी से भाग ले सकता है. इस दौरान रुद्रांश के लिए आर्टिफिशियल पैर भी तैयार करवाया गया और फिर इस तरह से रुद्रांश ने अपनी नई दुनिया की शुरूआत की.

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अपने परिवार के साथ एयर पिस्टल शूटर रुद्रांश खंडेलवाल
हर दिन दो घंटे एक्सरसाइज
विनीता खंडेलवाल ने बताया कि शुरुआत में रुद्रांश को एयर पिस्टल शूटिंग की प्रैक्टिस में थोड़ी दिक्कत होती थी. लेकिन कुछ जरूरी एक्सरसाइज नियमित रूप से कराई गई और उसके बाद रुद्रांश धीरे-धीरे अपने खेल में आगे बढ़ता गया. रुद्रांश ने बताया कि वह हर दिन करीब 2 घंटे तक अलग-अलग तरह की फिजिकल एक्सरसाइज करता है. अब रुद्रांश बीते करीब 4 साल से लगातार एयर पिस्टल शूटिंग की विभिन्न प्रतियोगिता में भाग ले रहा है.
पैरालंपिक में खेलना चाहते हैं अब रुद्रांश

रुद्रांश ने बताया कि शुरू में प्रैक्टिस करने में बहुत परेशानी होती थी लेकिन मम्मी पापा का मुझे आगे बढ़ाने का सपना था और मैं उसे टूटने नहीं देना चाहता था. लगातार मैंने मन लगाकर प्रैक्टिस की और अपने मुकाम तक पहुंचा. रुद्रांश ने बताया कि एक बार एक कंपटीशन के दौरान उसका आर्टिफिशियल पैर भी टूट गया जहां मम्मी पापा एक बार फिर से उन्हें आगे बढ़ते रहने की ताकत दी.

ये भी पढ़ें: Special: खादी पड़ेगी जेब पर भारी...गहलोत सरकार ने घटा दी रियायतें

एक के बाद एक अब तक 50 से अधिक प्रतियोगिताओं में रुद्रांश भाग ले चुके हैं और 21 मेडल जीत चुके हैं. रुद्रांश तीन मैडल राष्ट्रीय स्तर पर भी जीत चुके हैं. रुद्रांश ने बताया कि फिलहाल वह इंडियन कैम्प की तैयारी कर रहे हैं ताकि इंटरनेशनल टूर्नामेंट और पैरालंपिक में भाग ले सके.

ये भी पढ़ें: SPECIAL: इस बार की दीवाली 25% महंगी, तेल और चाय में आया उबाल, सब्जियों पर भी महंगाई की मार

रुद्रांश और उनके पिता आशुतोष खंडेलवाल कहते हैं किसी ना किसी दुर्घटना में शारीरिक हानि उठा चुके देश के ऐसे बच्चों को कभी हिम्मत नहीं हारनी चाहिए. आत्मविश्वास और जिंदगी में कुछ अच्छा करने की अगर लगन हो तो जरूर मुकाम हासिल होगा.

भरतपुर. 14 साल के रुद्रांश आज से करीब 5 साल पहले तक अपने पैरों पर दौड़ते थे. बांकि बच्चों की तरह खेलते कूदते थे, साइकिल चलाते थे और अपने परिवार के साथ खुश थे. लेकिन एक शादी समारोह के दौरान की गई आतिशबाजी ने मानो रुद्रांश की जिंदगी में अंधेरा भर दिया. हादसे में रुद्रांश को अपना एक पैर गंवाना पड़ा. रुद्रांश अब अपने पैरों से चल नहीं सकते थे लेकिन इस दौरान माता-पिता ने रुद्रांश को उड़ने की हिम्मत दी. फिर क्या था रुद्रांश सशक्त रूप से ना केवल खुद अपने सभी कार्य करते हैं बल्कि एयर पिस्टल शूटिंग में राष्ट्रीय स्तर पर खेलकर कई पदक भी जीत चुके हैं.

एयर पिस्टल शूटिंग में रुद्रांश हासिल कर चुके हैं 21 मैडल
एक हादसे ने तोड़ दी थी हिम्मत
भरतपुर शहर में रहने वाले रुद्रांश के पिता आशुतोष खंडेलवाल ने बताया कि वर्ष 2015 में एक शादी समारोह के दौरान आतिशबाजी हो रही थी और उसी दुर्घटना में रुद्रांश बुरी तरह से घायल हो गया. दुर्घटना में रुद्रांश को अपना एक पैर गंवाना पड़ा. रुद्रांश की मां विनीता खंडेलवाल ने बताया कि जब बेटा 1 साल तक घर पर रहा तो वह दूसरे बच्चों को देखकर खेलने की इच्छा जताता था और पूछता था की मम्मी क्या मैं भी खेल पाऊंगा. विनीता कहती हैं कि मैंने हमेशा रुद्रांश का हौसला बढ़ाया और उससे कहा कि बेटा तुम भी जरूर खेल पाओगे और दूसरे बच्चों की तरह स्कूल भी जाओगे.
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एयर पिस्टल शूटिंग की प्रेक्टिस करते हुए रुद्रांश खंडेलवाल

विनीता खंडेलवाल आगे कहती हैं कि एक बार स्पोर्ट्स प्रभारी के रूप में B.Ed कॉलेज की छात्राओं को लोहागढ़ स्टेडियम में लेकर गईं थी. यहां उन्होंने पहली बार एयर पिस्टल शूटिंग गेम देखा. उसके बाद यहां पर अपने बेटे रुद्रांश के लिए कोच से बात की, जिन्होंने बताया कि उनका बेटा भी इस खेल में आसानी से भाग ले सकता है. इस दौरान रुद्रांश के लिए आर्टिफिशियल पैर भी तैयार करवाया गया और फिर इस तरह से रुद्रांश ने अपनी नई दुनिया की शुरूआत की.

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अपने परिवार के साथ एयर पिस्टल शूटर रुद्रांश खंडेलवाल
हर दिन दो घंटे एक्सरसाइज
विनीता खंडेलवाल ने बताया कि शुरुआत में रुद्रांश को एयर पिस्टल शूटिंग की प्रैक्टिस में थोड़ी दिक्कत होती थी. लेकिन कुछ जरूरी एक्सरसाइज नियमित रूप से कराई गई और उसके बाद रुद्रांश धीरे-धीरे अपने खेल में आगे बढ़ता गया. रुद्रांश ने बताया कि वह हर दिन करीब 2 घंटे तक अलग-अलग तरह की फिजिकल एक्सरसाइज करता है. अब रुद्रांश बीते करीब 4 साल से लगातार एयर पिस्टल शूटिंग की विभिन्न प्रतियोगिता में भाग ले रहा है.
पैरालंपिक में खेलना चाहते हैं अब रुद्रांश

रुद्रांश ने बताया कि शुरू में प्रैक्टिस करने में बहुत परेशानी होती थी लेकिन मम्मी पापा का मुझे आगे बढ़ाने का सपना था और मैं उसे टूटने नहीं देना चाहता था. लगातार मैंने मन लगाकर प्रैक्टिस की और अपने मुकाम तक पहुंचा. रुद्रांश ने बताया कि एक बार एक कंपटीशन के दौरान उसका आर्टिफिशियल पैर भी टूट गया जहां मम्मी पापा एक बार फिर से उन्हें आगे बढ़ते रहने की ताकत दी.

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एक के बाद एक अब तक 50 से अधिक प्रतियोगिताओं में रुद्रांश भाग ले चुके हैं और 21 मेडल जीत चुके हैं. रुद्रांश तीन मैडल राष्ट्रीय स्तर पर भी जीत चुके हैं. रुद्रांश ने बताया कि फिलहाल वह इंडियन कैम्प की तैयारी कर रहे हैं ताकि इंटरनेशनल टूर्नामेंट और पैरालंपिक में भाग ले सके.

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रुद्रांश और उनके पिता आशुतोष खंडेलवाल कहते हैं किसी ना किसी दुर्घटना में शारीरिक हानि उठा चुके देश के ऐसे बच्चों को कभी हिम्मत नहीं हारनी चाहिए. आत्मविश्वास और जिंदगी में कुछ अच्छा करने की अगर लगन हो तो जरूर मुकाम हासिल होगा.

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