कामां (भरतपुर). सरकार द्वारा लगातार विकास की बात की जा रही है और विकास के नाम पर अनेकों तरह की योजनाएं भी चलाई जा रही हैं, लेकिन उन योजनाओं का धरातल पर कितना असर है, इसका शायद कोई अंदाज नहीं लगा सकता.
इन सभी योजनाओं के क्रियान्वयन जमीनी स्तर पर किस तरीके से हो रहे हैं. इस बारे में शायद कभी सरकार ने फीडबैक नहीं लिया. जिसका जीता जागता उदाहरण सोमवार को कामां कस्बे के गोपीनाथ मोहल्ला स्थित प्रसिद्ध सैकड़ों वर्ष पुराना गोपेश्वर महादेव मंदिर में देखने को मिला. जहां रविवार देर रात्रि को हुई तेज मूसलाधार बारिश के बाद पूरे मंदिर परिसर में लबालब पानी भर गया.
पढ़ेंः प्रतापगढ़ः मुफ्त यात्रा पर भारी कोरोना का डर, रक्षाबंधन पर रोडवेज में कम नजर आई महिलाएं
जहां मंदिर में सावन के आखिरी सोमवार को पूजा-अर्चना नहीं हुई. वहीं धर्म प्रेमी लोगों में मंदिर में पानी भरने के बाद नगर पालिका प्रशासन के खिलाफ खासा आक्रोश देखा गया. कस्बे के समाजसेवी विजय मिश्रा ने बताया कि रविवार देर रात्रि को कामां कस्बा में हुई तेज मूसलाधार बारिश ने स्थानीय प्रशासन और नगर पालिका प्रशासन के नाला सफाई अभियान की पोल खोल कर रख दी है.
सावन के आखिरी सोमवार को सैकड़ों वर्ष पुराने गोपेश्वर महादेव में बरसात की वजह से पानी भर जाने के कारण पुजारी भी पूजा-अर्चना नहीं कर पाया. यहां तक की पूरा मंदिर परिसर और मंदिर परिसर का प्रांगण भी बरसात के पानी से लबालब हो गया है. अगर नगरपालिका कामां बरसात से पहले ही नालों की सफाई करा देती तो शायद मंदिर परिसर में पानी नहीं भरता.
जिसे लेकर कस्बा के लोगों में स्थानीय नगर पालिका प्रशासन के विरुद्ध खासा आक्रोश देखने को मिल रहा है. वहीं मंदिर में पूजा अर्चना नहीं होने को लेकर धर्म प्रेमी लोगों स्थानीय प्रशासन की लापरवाही के चलते खासे आक्रोशित हैं.
लोगों की आस्था का केंद्र है गोपेश्वर महादेव मंदिर..
कामां क्षेत्र सहित दूरदराज के लोगों की धार्मिक आस्था का केंद्र है. गोपेश्वर महादेव मंदिर जहां पंचकोशी सत्कोसी सहित ब्रज में आयोजित होने वाली विभिन्न तरह की परिक्रमा भी गोपेश्वर महादेव मंदिर पर पहुंचती है.
पढ़ेंः भीलवाड़ा: रक्षाबंधन की धूम, भाइयों की कलाई पर राखी बांध बहनें कर रही जीवन रक्षा की कामना
वहीं दूरदराज के लोग सावन मास में मंदिर पर पूजा-अर्चना करने के लिए पहुंचते हैं. यहां तक कि देश-विदेशों से आने वाले पर्यटक भी मंदिर गोपेश्वर महादेव पर दर्शन करने के लिए जाते हैं और यह लोगों की धार्मिक आस्था का केंद्र है, जो बरसात के चलते पानी से लबालब भरा हुआ है. जहां सावन के आखिरी सोमवार को कोई पूजा नहीं की गई.