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घना से गायब हो रहे सारस क्रेन...तीन दशक में 285 से 8 पर सिमटा आंकड़ा...जानें क्या है वजह

भरतपुर के केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में साइबेरियन क्रेन के साथ ही सारस क्रेन की संख्या में गिरावट (sarus cranes is continuously decreasing) देखने को मिल रही है. उद्यान आने वाले सारस क्रेन की अठखेलियां देख कैमरों में कैद करने को मजबूर हो जाते थे. लेकिन अब यह काफी कम दिखते हैं औऱ सरकार भी इस दिशा में कदम नहीं उठा रही है. पढ़ें पूरी खबर...

घना से गायब हो रहे सारस क्रेन
घना से गायब हो रहे सारस क्रेन
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Published : Nov 16, 2022, 7:41 PM IST

भरतपुर. साइबेरियन क्रेन और सारस क्रेन विश्व प्रसिद्ध केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में पक्षी प्रेमियोें के लिए आकर्षण का केंद्र रहते थे, लेकिन साइबेरियन क्रेन ने तो दो दशक से यहां आना ही बंद कर दिया. वहीं सारस क्रेन की संख्या में भी (sarus cranes is continuously decreasing) लगातार गिरावट आ रही है. यही हालात रहे तो वह दिन दूर नहीं जब साइबेरियन क्रेन की तरह ही सारस क्रेन को देखने के लिए भी लोग तरस जाएंगे. यहां कम होते पानी, फसलों में कीटनाशक का छिड़काव और बिजली की हाईटेंशन तार से होने वाली दुर्घटनाओं के चलते उद्यान और आसपास के क्षेत्र में सारस क्रेन की संख्या कम होती जा रही है. देखिए सारस क्रेन पर खास रिपोर्ट...

285 से 4 तक आया आंकड़ा
केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के सेवानिवृत्त रेंजर व पक्षी विशेषज्ञ भोलू अबरार ने बताया कि जब तक उद्यान में नदियों का भरपूर पानी आता था तब तक सैकड़ों की संख्या में सारस क्रेन आते थे. वर्ष 1985 में गणना के दौरान उद्यान व आसपास (water crisis in Keoladeo National Park) के क्षेत्र में 285 सारस क्रेन थे, लेकिन धीरे-धीरे उद्यान को पानी मिलना कम होता गया जिससे उद्यान का हैबिटेट प्रभावित हुआ और साइबेरियन क्रेन के बाद सारस क्रेन की संख्या भी कम (number of sarus cranes decreasing in Ghana) होती गई. अब हालात ये हैं कि घना और आसपास के क्षेत्र में सिर्फ 4 जोड़ा यानी 8 क्रेन ही रह गए हैं. जबकि बीते वर्षों में पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश में पानी की उपलब्धता अच्छी हुई है. लोग धान की बुवाई अधिक करने लगे हैं जिससे घना से महज 20 किमी दूर ही अच्छी संख्या में सारस क्रेन नजर आ जाते हैं.

घना से लुप्त हो रहे सारस क्रेन

पढ़ें. 500 साल पुराने हैं राजस्थान के इस नेशनल पार्क और प्रवासी परिंदों के संबंध

कीटनाशक बन रहा जानलेवा
भोलू अबरार ने बताया कि पहले भरतपूर में भरपूर पानी आता था तो खेतों में दीमक और फसलों में भी रोग कम लगते थे. बाद में पानी कम होता गया तो फसलों में रोग बढ़ते गए. फसलों को रोग से बचाने के लिए किसान काफी मात्रा में कीटनाशक का इस्तेमाल करने लगे. जब सारस क्रेन कीटनाशकयुक्त बीज और फसल को चुगते तो ओवर फीडिंग और कीटनाशक के प्रभाव से उनकी भी मौत होने लगी. भोलू अबरार ने बताया कि वर्ष 1996 के आसपास उद्यान और क्षेत्र में करीब 18 क्रेन की मौत इस वजह से हुई थी. बाद में चिकित्सकों के उपचार के दौरान भी यह तथ्य सामने आया था.

number of sarus cranes decreasing in Ghana
घट रही सारस क्रेन की संख्या

पढ़ें. आकर्षण का केंद्रः 67 लाख का साइबेरियन सारस जोड़ा जिसे क्रिस्टल किंग स्वारोवस्की ने घना के लिए दिया था

हाईटेंशन से जा रही जान
भोलू अबरार ने बताया कि सारस क्रेन की संख्या कम होने के पीछे तीसरी सबसे बड़ी वजह हाईटेंशन लाइन से होने वाली दुर्घटनाओं को माना जा रहा है. जब सारस क्रेन आसपास के क्षेत्र में उड़ान भरते हैं तो कई बार बिजली की हाईटेंशन लाइन की चपेट में आ जाते हैं जिससे घायल होने से कई बार उनकी जान भी चली जाती है.

number of sarus cranes decreasing in Ghana
सारस क्रेन

संरक्षण की उठी थी मांग
पक्षी विशेषज्ञ भोलू अबरार ने बताया कि पानी कम होने के साथ ही साइबेरियन क्रेन और सारस क्रेन की संख्या में लगातार गिरावट आ रही थी. इसी के चलते वर्ष 1992 में साइबेरियन क्रेन के लिए एक प्रोजेक्ट तैयार किया गया. इसी दौरान तत्कालीन घना के अधिकारियों ने सारस क्रेन के संरक्षण के लिए भी प्रोजेक्ट तैयार करने का सुझाव दिया लेकिन सरकार के जिम्मेदारों ने उस पर गौर नहीं किया और अब हालात बदतर होते जा रहे हैं.

पढ़ें. केवलादेव उद्यान में जल संकट, पर्याप्त पानी नहीं मिला तो नहीं उठा पाएंगे नौकायन का लुत्फ

...तो ही संकट से उबर सकते हैं
पक्षी विशेषज्ञ भोलू अबरार ने बताया कि उद्यान में सारस क्रेन ही नहीं कई अन्य प्रजाति के पक्षियों की संख्या भी काफी कम हुई है. यदि इस हालात से उबरना है तो सबसे पहले उद्यान के लिए पांचना बांध से पर्याप्त पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करनी होगी. साथ ही पक्षियों की दुर्घटना रोकने के इंतजाम करने होंगे.

खास-खास

  • सारस क्रेन सबसे बड़ा उड़ने वाला पक्षी है.
  • सारस पक्षी की लंबाई करीब 5.6 फीट होती है.
  • यह गैर प्रवासी यानी एक ही स्थान पर लंबे समय तक टेरिटरी बनाकर रहने वाला पक्षी है.
  • यह शाकाहारी और मांसाहारी (दोनों) तरह का भोजन करता है.

भरतपुर. साइबेरियन क्रेन और सारस क्रेन विश्व प्रसिद्ध केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में पक्षी प्रेमियोें के लिए आकर्षण का केंद्र रहते थे, लेकिन साइबेरियन क्रेन ने तो दो दशक से यहां आना ही बंद कर दिया. वहीं सारस क्रेन की संख्या में भी (sarus cranes is continuously decreasing) लगातार गिरावट आ रही है. यही हालात रहे तो वह दिन दूर नहीं जब साइबेरियन क्रेन की तरह ही सारस क्रेन को देखने के लिए भी लोग तरस जाएंगे. यहां कम होते पानी, फसलों में कीटनाशक का छिड़काव और बिजली की हाईटेंशन तार से होने वाली दुर्घटनाओं के चलते उद्यान और आसपास के क्षेत्र में सारस क्रेन की संख्या कम होती जा रही है. देखिए सारस क्रेन पर खास रिपोर्ट...

285 से 4 तक आया आंकड़ा
केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के सेवानिवृत्त रेंजर व पक्षी विशेषज्ञ भोलू अबरार ने बताया कि जब तक उद्यान में नदियों का भरपूर पानी आता था तब तक सैकड़ों की संख्या में सारस क्रेन आते थे. वर्ष 1985 में गणना के दौरान उद्यान व आसपास (water crisis in Keoladeo National Park) के क्षेत्र में 285 सारस क्रेन थे, लेकिन धीरे-धीरे उद्यान को पानी मिलना कम होता गया जिससे उद्यान का हैबिटेट प्रभावित हुआ और साइबेरियन क्रेन के बाद सारस क्रेन की संख्या भी कम (number of sarus cranes decreasing in Ghana) होती गई. अब हालात ये हैं कि घना और आसपास के क्षेत्र में सिर्फ 4 जोड़ा यानी 8 क्रेन ही रह गए हैं. जबकि बीते वर्षों में पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश में पानी की उपलब्धता अच्छी हुई है. लोग धान की बुवाई अधिक करने लगे हैं जिससे घना से महज 20 किमी दूर ही अच्छी संख्या में सारस क्रेन नजर आ जाते हैं.

घना से लुप्त हो रहे सारस क्रेन

पढ़ें. 500 साल पुराने हैं राजस्थान के इस नेशनल पार्क और प्रवासी परिंदों के संबंध

कीटनाशक बन रहा जानलेवा
भोलू अबरार ने बताया कि पहले भरतपूर में भरपूर पानी आता था तो खेतों में दीमक और फसलों में भी रोग कम लगते थे. बाद में पानी कम होता गया तो फसलों में रोग बढ़ते गए. फसलों को रोग से बचाने के लिए किसान काफी मात्रा में कीटनाशक का इस्तेमाल करने लगे. जब सारस क्रेन कीटनाशकयुक्त बीज और फसल को चुगते तो ओवर फीडिंग और कीटनाशक के प्रभाव से उनकी भी मौत होने लगी. भोलू अबरार ने बताया कि वर्ष 1996 के आसपास उद्यान और क्षेत्र में करीब 18 क्रेन की मौत इस वजह से हुई थी. बाद में चिकित्सकों के उपचार के दौरान भी यह तथ्य सामने आया था.

number of sarus cranes decreasing in Ghana
घट रही सारस क्रेन की संख्या

पढ़ें. आकर्षण का केंद्रः 67 लाख का साइबेरियन सारस जोड़ा जिसे क्रिस्टल किंग स्वारोवस्की ने घना के लिए दिया था

हाईटेंशन से जा रही जान
भोलू अबरार ने बताया कि सारस क्रेन की संख्या कम होने के पीछे तीसरी सबसे बड़ी वजह हाईटेंशन लाइन से होने वाली दुर्घटनाओं को माना जा रहा है. जब सारस क्रेन आसपास के क्षेत्र में उड़ान भरते हैं तो कई बार बिजली की हाईटेंशन लाइन की चपेट में आ जाते हैं जिससे घायल होने से कई बार उनकी जान भी चली जाती है.

number of sarus cranes decreasing in Ghana
सारस क्रेन

संरक्षण की उठी थी मांग
पक्षी विशेषज्ञ भोलू अबरार ने बताया कि पानी कम होने के साथ ही साइबेरियन क्रेन और सारस क्रेन की संख्या में लगातार गिरावट आ रही थी. इसी के चलते वर्ष 1992 में साइबेरियन क्रेन के लिए एक प्रोजेक्ट तैयार किया गया. इसी दौरान तत्कालीन घना के अधिकारियों ने सारस क्रेन के संरक्षण के लिए भी प्रोजेक्ट तैयार करने का सुझाव दिया लेकिन सरकार के जिम्मेदारों ने उस पर गौर नहीं किया और अब हालात बदतर होते जा रहे हैं.

पढ़ें. केवलादेव उद्यान में जल संकट, पर्याप्त पानी नहीं मिला तो नहीं उठा पाएंगे नौकायन का लुत्फ

...तो ही संकट से उबर सकते हैं
पक्षी विशेषज्ञ भोलू अबरार ने बताया कि उद्यान में सारस क्रेन ही नहीं कई अन्य प्रजाति के पक्षियों की संख्या भी काफी कम हुई है. यदि इस हालात से उबरना है तो सबसे पहले उद्यान के लिए पांचना बांध से पर्याप्त पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करनी होगी. साथ ही पक्षियों की दुर्घटना रोकने के इंतजाम करने होंगे.

खास-खास

  • सारस क्रेन सबसे बड़ा उड़ने वाला पक्षी है.
  • सारस पक्षी की लंबाई करीब 5.6 फीट होती है.
  • यह गैर प्रवासी यानी एक ही स्थान पर लंबे समय तक टेरिटरी बनाकर रहने वाला पक्षी है.
  • यह शाकाहारी और मांसाहारी (दोनों) तरह का भोजन करता है.
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