भरतपुर. प्रदेश में बिजली का संकट बढ़ता जा रहा है. खेती और घरेलू उपयोग के लिए पूरी बिजली नहीं मिल पा रही. इस बीच भरतपुर के सेवर स्थित (Mustard Research Directorate) सरसों अनुसंधान निदेशालय ने अक्षय ऊर्जा के जरिए बिजली उत्पादन का बड़ा उदाहरण प्रस्तुत किया है. निदेशालय के भवनों की छत पर लगे सोलर पैनल से हर माह करीब डेढ़ लाख रुपए बिजली खर्च बचाया जा रहा है. इतना ही नहीं मौसम खराब होने पर बिजली फॉल्ट या कटौती के संकट का सामना भी नहीं करना पड़ता.
निदेशक डॉ. पीके रॉय ने बताया कि सरसों अनुसंधान निदेशालय के भवन की छत और परिसर में करीब तीन साल पहले 150 किलोवाट क्षमता (150 lakh kilowatt capacity renewable energy plant) का सोलर प्लांट लगवाया गया. निजी कंपनी ने भारत सरकार के रेस्को मॉडल के तहत 25 साल के एमओयू के तहत यह सोलर प्लांट लगाया है.
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हर माह डेढ़ लाख की बचत
निदेशक डॉ. पीके रॉय ने बताया कि निजी कंपनी के साथ हुए एमओयू के तहत पूरे कार्यालय परिसर में सौर ऊर्जा से उत्पन्न बिजली सप्लाई होती है. ज्यादा बिजली उत्पादन होने पर ग्रिड के माध्यम से बिजली कंपनी को बिजली ट्रांसफर कर दी जाती है. इससे हर माह करीब डेढ़ लाख रुपए की बिजली की बचत हो जाती है.
डॉ. रॉय ने बताया कि पहले हर माह करीब सवा चार लाख रुपए का बिजली बिल आता था, लेकिन जब से सोलर प्लांट लगा है तब से हर माह बिजली का बिल घटकर पौने तीन लाख रह गया है. यानी हर माह करीब डेढ़ लाख रुपए के बिल की बचत हो रही है.