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अक्षय ऊर्जा से बिजली उत्पादन कर रहा सरसों अनुसंधान निदेशालय, हर माह बचा रहा डेढ़ लाख रुपये खर्च

भरतपुर के (Mustard Research Directorate) सेवर स्थित सरसों अनुसंधान निदेशालय अक्षय ऊर्जा (renewable energy) का प्रयोग कर बिजली उत्पादन कर रहा है. हर माह निदेशालय 150 किलोवाट बिजली का उत्पादन कर रहा है. इससे डेढ़ लाख रुपये बिजली खर्च बचाया जा रहा है.

renewable energy
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Published : Dec 9, 2022, 3:38 PM IST

Updated : Dec 9, 2022, 6:48 PM IST

भरतपुर. प्रदेश में बिजली का संकट बढ़ता जा रहा है. खेती और घरेलू उपयोग के लिए पूरी बिजली नहीं मिल पा रही. इस बीच भरतपुर के सेवर स्थित (Mustard Research Directorate) सरसों अनुसंधान निदेशालय ने अक्षय ऊर्जा के जरिए बिजली उत्पादन का बड़ा उदाहरण प्रस्तुत किया है. निदेशालय के भवनों की छत पर लगे सोलर पैनल से हर माह करीब डेढ़ लाख रुपए बिजली खर्च बचाया जा रहा है. इतना ही नहीं मौसम खराब होने पर बिजली फॉल्ट या कटौती के संकट का सामना भी नहीं करना पड़ता.

निदेशक डॉ. पीके रॉय ने बताया कि सरसों अनुसंधान निदेशालय के भवन की छत और परिसर में करीब तीन साल पहले 150 किलोवाट क्षमता (150 lakh kilowatt capacity renewable energy plant) का सोलर प्लांट लगवाया गया. निजी कंपनी ने भारत सरकार के रेस्को मॉडल के तहत 25 साल के एमओयू के तहत यह सोलर प्लांट लगाया है.

सरसों अनुसंधान निदेशालय

पढ़ें. Special: बंजर भूमि ही नहीं सतही जल पर भी बनेगी सौर ऊर्जा!

हर माह डेढ़ लाख की बचत
निदेशक डॉ. पीके रॉय ने बताया कि निजी कंपनी के साथ हुए एमओयू के तहत पूरे कार्यालय परिसर में सौर ऊर्जा से उत्पन्न बिजली सप्लाई होती है. ज्यादा बिजली उत्पादन होने पर ग्रिड के माध्यम से बिजली कंपनी को बिजली ट्रांसफर कर दी जाती है. इससे हर माह करीब डेढ़ लाख रुपए की बिजली की बचत हो जाती है.

डॉ. रॉय ने बताया कि पहले हर माह करीब सवा चार लाख रुपए का बिजली बिल आता था, लेकिन जब से सोलर प्लांट लगा है तब से हर माह बिजली का बिल घटकर पौने तीन लाख रह गया है. यानी हर माह करीब डेढ़ लाख रुपए के बिल की बचत हो रही है.

भरतपुर. प्रदेश में बिजली का संकट बढ़ता जा रहा है. खेती और घरेलू उपयोग के लिए पूरी बिजली नहीं मिल पा रही. इस बीच भरतपुर के सेवर स्थित (Mustard Research Directorate) सरसों अनुसंधान निदेशालय ने अक्षय ऊर्जा के जरिए बिजली उत्पादन का बड़ा उदाहरण प्रस्तुत किया है. निदेशालय के भवनों की छत पर लगे सोलर पैनल से हर माह करीब डेढ़ लाख रुपए बिजली खर्च बचाया जा रहा है. इतना ही नहीं मौसम खराब होने पर बिजली फॉल्ट या कटौती के संकट का सामना भी नहीं करना पड़ता.

निदेशक डॉ. पीके रॉय ने बताया कि सरसों अनुसंधान निदेशालय के भवन की छत और परिसर में करीब तीन साल पहले 150 किलोवाट क्षमता (150 lakh kilowatt capacity renewable energy plant) का सोलर प्लांट लगवाया गया. निजी कंपनी ने भारत सरकार के रेस्को मॉडल के तहत 25 साल के एमओयू के तहत यह सोलर प्लांट लगाया है.

सरसों अनुसंधान निदेशालय

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हर माह डेढ़ लाख की बचत
निदेशक डॉ. पीके रॉय ने बताया कि निजी कंपनी के साथ हुए एमओयू के तहत पूरे कार्यालय परिसर में सौर ऊर्जा से उत्पन्न बिजली सप्लाई होती है. ज्यादा बिजली उत्पादन होने पर ग्रिड के माध्यम से बिजली कंपनी को बिजली ट्रांसफर कर दी जाती है. इससे हर माह करीब डेढ़ लाख रुपए की बिजली की बचत हो जाती है.

डॉ. रॉय ने बताया कि पहले हर माह करीब सवा चार लाख रुपए का बिजली बिल आता था, लेकिन जब से सोलर प्लांट लगा है तब से हर माह बिजली का बिल घटकर पौने तीन लाख रह गया है. यानी हर माह करीब डेढ़ लाख रुपए के बिल की बचत हो रही है.

Last Updated : Dec 9, 2022, 6:48 PM IST
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