भरतपुर. जिले के जनाना अस्पताल के पालना गृह में भले ही एक मां ने अपनी नवजात बेटी को छोड़ दिया, लेकिन इस नवजात की मदद के लिए तुरंत ही कई हाथ आगे बढ़ गए. शुक्रवार को जैसे ही बाल कल्याण समिति और चाइल्डलाइन की टीम बच्ची को संभालने के लिए अस्पताल पहुंची, वैसे ही अस्पताल में मौजूद कई लोगों ने नवजात को गोद लेने की इच्छा जताई. लोगों ने बाल कल्याण समिति जिलाध्यक्ष से नवजात की अच्छे से परवरिश करने का वादा भी किया. हालांकि नियमों की वजह से किसी को नवजात बच्ची को गोद नहीं दिया जा सका.
अब बच्ची को कुछ दिन बाद शिशु गृह ले जाया जाएगा और उसका पालना पोषण किया जाएगा. उसके बाद अगर कोई व्यक्ति बच्ची को गोद लेना चाहेगा तो उसकी पूरी प्रक्रिया से गुजरना होगा. बाल कल्याण समिति के जिला अध्यक्ष राजाराम भूतोली ने बताया कि जनाना अस्पताल के पालना गृह में एक नवजात बच्ची को छोड़े जाने की सूचना पर शुक्रवार सुबह समिति सदस्य और चाइल्डलाइन की टीम के साथ अस्पताल पहुंचे. यहां चिकित्सकों से मिलकर बच्ची के स्वास्थ्य की जानकारी ली. बच्ची का वजन 2.600 किलोग्राम है. बच्ची स्वस्थ है.
राजाराम भूतोली ने बताया कि इस दौरान अस्पताल में कुछ लोगों ने बच्ची को गोद लेने की इच्छा जताई थी. कई लोगों ने कहा कि हमें बच्ची गोद दिला दो, हम बच्ची का पालन पोषण अच्छे से करेंगे. हमने लोगों को बच्ची गोद लेने की प्रक्रिया के बारे में जानकारी दे दी थी. किसी को भी इस तरह सीधे बच्चा गोद नहीं दिया जा सकता. इसके अलग से नियम और प्रक्रिया है. उसी के तहत बच्चा गोद दिया जा सकता है.
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ये है गोद देने की प्रक्रिया : केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (CARA) जिला स्तर पर आवेदन लेता है. उसके बाद उनकी दिल्ली से वेटिंग जारी की जाती है. आगे की पूरी प्रक्रिया भी उसी के अनुसार न्यायालय के माध्यम से आगे बढ़ती है. जिला कलेक्टर की निगरानी में गोद देने की प्रक्रिया पूरी की जाती है.
जानिए गोद लेने के नियम
- दंपति की शादी को कम से कम 2 साल का समय हो गया हो.
- दंपति को कोई जानलेवा बीमारी नहीं हो.
- दंपति, लड़का या लड़की में से किसी को भी गोद ले सकती हैं और कोई पुरुष बच्चे को गोद लेना चाहता है तो उसे केवल लड़का ही गोद दिया जाता है.
- बच्चा गोद लेने वाले दंपति की आर्थिक स्थिति सही होनी चाहिए.
- बच्चे और गोद लेने वाले माता-पिता की उम्र में कम से कम 25 साल का अंतर होना चाहिए.