भरतपुर. सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करते ही दान का महत्व बढ़ जाता है. माना जाता है कि धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते ही सूर्य अपने पुत्र शनि के घर में प्रवेश करते हैं. इस अवसर पर अगर गरीब, जरूरतमंद लोगों को स्नान के बाद दान किया जाए तो इससे न केवल शनि बल्कि उनके पिता सूर्य भी प्रसन्न होते हैं और दोनों की कृपा बरसती है. आइए जानते हैं कि मकर संक्रांति (Makar Sankranti) पर किस को और क्या दान करना चाहिए.
तिल और तेल से बनी वस्तुएं दान करनी चाहिए: पंडित मनु मुद्गल ने बताया कि मकर संक्रांति के दिन स्नान पर्व के बाद गरीबों, जरूरतमंद और ब्राह्मण को तिल और तिल से बनी वस्तुएं दान की जाएं तो बहुत पुण्य मिलता है. माना जाता है कि सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के साथ ही पिता और पुत्र यानी सूर्य और शनि देव का मिलन होता है. शनिदेव को तिल और तेल दोनों बहुत प्रिय हैं. इसलिए माना जाता है कि मकर संक्रांति के दिन तिल और तेल से बनी वस्तुएं दान करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं. साथ ही इस दिन चावल और दाल की खिचड़ी के दान का भी विशेष महत्व बताया गया है.
14 वस्तुओं का दान: मकर संक्रांति पर महिलाएं 14 वस्तुएं बांटती हैं. महिलाएं इन वस्तुओं को अपनी सुहागिन सास, ननद को दान करती हैं. इनमें 12 वस्तुएं हर माह की संक्रांत और दो अतिरिक्त रखी जाती हैं. माना जाता है कि इससे भी शनि देव प्रसन्न होते हैं और अपनी कृपा बरसाते हैं.
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श्वान और गाय को खिलाएं: पंडित मनु देव मुद्गल के अनुसार, श्वान को शनिदेव का वाहन माना गया है. इसलिए मकर संक्रांति के दिन श्वान को भी तिल, गजक या अन्य खाद्य पदार्थ खिलाएं. साथ ही गाय को हरा चारा खिलाने से भी शनि प्रसन्न होते हैं और जीवन में खुशहाली आती है.
दान का आयुर्वेदिक महत्व: पंडित मनु देव मुद्गल ने बताया कि मकर संक्रांति के दिन दान का आयुर्वेदिक महत्व भी है. मकर संक्रांति सर्दी के मौसम में आती है और सर्दी के मौसम में गर्म तासीर के खाद्य पदार्थ खाने से शरीर स्वस्थ रहता है. तिल और तेल गर्म तासीर के होते हैं. इसलिए तिल और तिल से बने पदार्थ दान करने से सामने वाला व्यक्ति भी उनका सेवन करेगा और स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करेगा.