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Nagpanchami Special : घना में मौजूद हैं 13 प्रजाति के सर्प, कई भयंकर विषैले. सैकड़ों की संख्या में मौजूद हैं विशाल अजगर - केवलादेव राष्ट्रीय पार्क भरतपुर 13 प्रजाति के सांप

दुनिया भर में केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान को पक्षियों की सैकड़ों प्रजातियों की वजह से प्रसिद्धि मिली है. केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान अपने अंदर विशाल जैव विविधता को भी संजोए हुए है. आश्चर्य होगा कि यहां 13 प्रजातियों के सांप भी मिलते हैं जो बहुत ही विषैली है.

13 varieties of snake found in Keoladeo national park bharatpur
घना में मौजूद हैं 13 प्रजाति के सर्प
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Published : Aug 21, 2023, 2:17 PM IST

Updated : Aug 21, 2023, 7:15 PM IST

घना में मौजूद हैं 13 प्रजाति के सर्प...

भरतपुर. दुनिया भर में केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान को यहां पाई जाने वाली पक्षियों की सैकड़ों प्रजातियों की वजह से जाना जाता है. केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान अपने अंदर विशाल जैव विविधता को भी संजोए हुए है. बहुत कम लोग ही इस बात से वाकिफ हैं कि यहां पर सांपों की 13 प्रजातियां पाई जाती हैं. इनमें कुछ प्रजातियां तो बहुत ही विषैली हैं. वहीं कई सर्प बिना विष वाले भी यहां पाए जाते हैं. इतना ही नहीं यहां सैकड़ों की संख्या में अजगर भी मौजूद हैं. आइए जानते हैं कि घना में कौन कौन सी प्रजाति के सर्प मौजूद हैं.

सेवानिवृत्त रेंजर भोलू अबरार खान ने बताया कि उद्यान में यूं तो 350 से अधिक प्रजाति के पक्षी प्रवास करते हैं. दुनिया में इसे पक्षी अभ्यारण के रूप में पहचाना जाता है. लेकिन हकीकत में केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान जैव विविधता का भंडार है. यहां न केवल पक्षी बल्कि तितलियां, कछुए, वन्यजीव और सरीसृप भी पाए जाते हैं. बहुत कम लोग यह जानते हैं कि उद्यान में सर्प की 13 प्रजाति मौजूद हैं.

ये प्रजाति मौजूद : रेंजर भोलू अबरार खान ने बताया कि वर्ष 1986 से 1990 के दौरान पर्यावरणविद एस भूपति के अध्ययन में सामने आया था कि उद्यान में कुल 13 प्रजाति के सर्प मौजूद हैं. इनमें कई तरह के वाटर स्नेक, रैट स्नेक, वुल्फ स्नेक, इंडियन कोबरा, कॉमन सेंड बोआ स्नेक, रेड सेंड बोआ स्नेक, कैट स्नेक, वुल्फ स्नेक, कुकरी स्नेक, रिबन स्नेक, इंडियन क्रेट, स्पेक्टेबेल्ड कोबरा, रसेल वाइपर मौजूद हैं.

पढ़ें Foreign Guest in Ghana : विदेशी बर्ड मिसल थ्रश की चहचहाहट से गूंजा केवलादेव उद्यान, पक्षी प्रेमियों में खुशी

ये हैं विषैले और दुर्लभ : भोलू अबरार खान ने बताया कि इनमें से कई सर्प दुर्लभ और कई विषैले हैं. दोनों प्रजाति के कोबरा, बैंडेट क्रेट और रसेल वाइपर ऐसी प्रजाति के सर्प हैं कि यदि ये डस लें और समय पर उपचार न मिले तो व्यक्ति की जान भी जा सकती है. वहीं सेंड बोआ स्नेक, रेड सेंड बोआ स्नेक, रसेल वाइपर और इंडियन सॉ स्केल्ड वाइपर दुर्लभ प्रजाति के सर्प हैं, जो यहां मौजूद हैं.

पढ़ें 14 सेंटीमीटर की चिड़िया 10 हजार किलोमीटर का सफर तय कर पहुंचती है भरतपुर... ये है इसकी पहचान

अजगर का गढ़ : रेंजर भोलू अबरार खान ने बताया कि उद्यान में सबसे बड़ी संख्या में इंडियन रॉक पायथन मौजूद है. एस भूपति के सर्वे के समय 29 वर्ग किलोमीटर में फैले उद्यान में 150 अजगर चिह्नित किए गए थे. जिनकी संख्या अब बढ़कर सैकड़ों हो गई है. संभवतः इतने कम क्षेत्र में इतनी अधिक संख्या में अजगर देश में अन्य किसी स्थान पर नहीं पाए जाते.
रेंजर भोलू अबरार खान ने बताया कि केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान की भौगोलिक परिस्थितियां, जंगल और अनुकूल वातावरण के चलते यहां पर इतनी बड़ी संख्या में सर्पों की प्रजातियां और अजगर पाए जाते हैं. अजगर को मौजूदगी ना केवल घना में बल्कि आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में भी मिलती है.

घना में मौजूद हैं 13 प्रजाति के सर्प...

भरतपुर. दुनिया भर में केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान को यहां पाई जाने वाली पक्षियों की सैकड़ों प्रजातियों की वजह से जाना जाता है. केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान अपने अंदर विशाल जैव विविधता को भी संजोए हुए है. बहुत कम लोग ही इस बात से वाकिफ हैं कि यहां पर सांपों की 13 प्रजातियां पाई जाती हैं. इनमें कुछ प्रजातियां तो बहुत ही विषैली हैं. वहीं कई सर्प बिना विष वाले भी यहां पाए जाते हैं. इतना ही नहीं यहां सैकड़ों की संख्या में अजगर भी मौजूद हैं. आइए जानते हैं कि घना में कौन कौन सी प्रजाति के सर्प मौजूद हैं.

सेवानिवृत्त रेंजर भोलू अबरार खान ने बताया कि उद्यान में यूं तो 350 से अधिक प्रजाति के पक्षी प्रवास करते हैं. दुनिया में इसे पक्षी अभ्यारण के रूप में पहचाना जाता है. लेकिन हकीकत में केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान जैव विविधता का भंडार है. यहां न केवल पक्षी बल्कि तितलियां, कछुए, वन्यजीव और सरीसृप भी पाए जाते हैं. बहुत कम लोग यह जानते हैं कि उद्यान में सर्प की 13 प्रजाति मौजूद हैं.

ये प्रजाति मौजूद : रेंजर भोलू अबरार खान ने बताया कि वर्ष 1986 से 1990 के दौरान पर्यावरणविद एस भूपति के अध्ययन में सामने आया था कि उद्यान में कुल 13 प्रजाति के सर्प मौजूद हैं. इनमें कई तरह के वाटर स्नेक, रैट स्नेक, वुल्फ स्नेक, इंडियन कोबरा, कॉमन सेंड बोआ स्नेक, रेड सेंड बोआ स्नेक, कैट स्नेक, वुल्फ स्नेक, कुकरी स्नेक, रिबन स्नेक, इंडियन क्रेट, स्पेक्टेबेल्ड कोबरा, रसेल वाइपर मौजूद हैं.

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ये हैं विषैले और दुर्लभ : भोलू अबरार खान ने बताया कि इनमें से कई सर्प दुर्लभ और कई विषैले हैं. दोनों प्रजाति के कोबरा, बैंडेट क्रेट और रसेल वाइपर ऐसी प्रजाति के सर्प हैं कि यदि ये डस लें और समय पर उपचार न मिले तो व्यक्ति की जान भी जा सकती है. वहीं सेंड बोआ स्नेक, रेड सेंड बोआ स्नेक, रसेल वाइपर और इंडियन सॉ स्केल्ड वाइपर दुर्लभ प्रजाति के सर्प हैं, जो यहां मौजूद हैं.

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अजगर का गढ़ : रेंजर भोलू अबरार खान ने बताया कि उद्यान में सबसे बड़ी संख्या में इंडियन रॉक पायथन मौजूद है. एस भूपति के सर्वे के समय 29 वर्ग किलोमीटर में फैले उद्यान में 150 अजगर चिह्नित किए गए थे. जिनकी संख्या अब बढ़कर सैकड़ों हो गई है. संभवतः इतने कम क्षेत्र में इतनी अधिक संख्या में अजगर देश में अन्य किसी स्थान पर नहीं पाए जाते.
रेंजर भोलू अबरार खान ने बताया कि केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान की भौगोलिक परिस्थितियां, जंगल और अनुकूल वातावरण के चलते यहां पर इतनी बड़ी संख्या में सर्पों की प्रजातियां और अजगर पाए जाते हैं. अजगर को मौजूदगी ना केवल घना में बल्कि आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में भी मिलती है.

Last Updated : Aug 21, 2023, 7:15 PM IST

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