भरतपुर. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आर्थिक पैकेज के ऐलान के बाद बुधवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की. साथ ही उन्होंने आर्थिक पैकेज के बारे में विस्तृत ब्यौरा पेश किया. इस दौरान उन्होंने दावा किया कि देश के किसानों के पास सरकार ने मदद पहुंचाई है और साथ ही कृषि क्षेत्र में काफी सुधार भी किए हैं, लेकिन जब भरतपुर जिले के किसानों से इस बारे में बात की गई तो किसानों का रुख कुछ और ही नजर आया.
जिले के किसान योगेंद्र सिंह का कहना है कि सरकार ने डीजल के दाम बढ़ा दिए और फसल खराबे का मुआवजा अभी तक उन्हें नहीं मिला है. ऐसे में सरकार की ओर से ये दावा करना कि उन्होंने किसानों तक मदद पहुंचाई है, एकदम खोखला है. न तो उनके खातों में सरकार की तरफ से कोई आर्थिक सहायता उपलब्ध हो पाई है और न ही फसल खराबे का मुआवजा मिला है. जबकि इस बार ओलावृष्टि से उनकी 40 प्रतिशत फसल खराब हो गई थी. किसान योगेंद्र का कहना है कि जिले समेत देश का किसान आर्थिक तंगी से जूझ रहा है. ऐसे में देश की सरकार को चाहिए कि वह किसानों को आर्थिक संबल प्रदान करे.
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चैनपुरा गांव के किसान मोतीराम का कहना है कि सरकार ने डीजल के पैसे बढ़ा दिए, इसका सीधा सीधा असर किसान पर पड़ेगा. फिलहाल एक बीघा खेत की जुताई 150 रुपए में हो रही है, जबकि किसान अभी तक पिछली बार की जुताई के पैसे भी नहीं चुका पाया है. फसल खराबे से जूझ रहे किसान को अब डीजल की महंगाई और महंगे खाद बीज का बोझ भी उठाना पड़ेगा. किसान मोतीराम ने सरकार से मांग की है कि खाद, बीज और डाई किसानों को वाजिब दाम पर मिले. साथ ही मोतीराम ने बताया कि सरकार द्वारा उन्हें हर महीने 2000 रुपए की आर्थिक सहायता मिल रही है, लेकिन उनकी पत्नी इस सहायता से वंचित हैं.