भरतपुर. केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में शनिवार से ई-रिक्शा का संचालन शुरू हो गया. उद्यान प्रशासन ने उद्यान में 93 ई-रिक्शा को स्वीकृति प्रदान की है, जिनमें से शनिवार को 50 ई-रिक्शा को पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया. बाकी रिक्शा भी जल्द शुरू कर दिए जाएंगे. वहीं ई-रिक्शा के किराए में संशोधन और नेचर गाइड की अनिवार्यता के नियम में संशोधन के लिए सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है.
शनिवार सुबह पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने हरी झंडी दिखाकर ई-रिक्शा को रवाना किया. खुद पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने ई-रिक्शा में बैठकर कुछ दूरी तक अवलोकन किया. इस अवसर पर मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने कहा कि आज के जमाने में भी बुजुर्ग रिक्शा चालक सवारियों को खींचते हैं. यह ठीक नहीं है. इसलिए पर्यटन विभाग के उच्चाधिकारियों से बात कर उद्यान में सुविधा विस्तार और ई-रिक्शा संचालन के लिए बात की जाएगी. ताकि बुजुर्ग रिक्शा चालकों और पर्यटकों दोनों को सुविधा मिल सके.
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कम समय में घूम सकेंगे घना: एडीएफओ मानस सिंह ने बताया कि पहले पैडल रिक्शा से पर्यटकों को घना घूमने में ज्यादा समय लगता था, लेकिन अब कम समय में घना का ज्यादा से ज्यादा क्षेत्र घूम सकेंगे. साथ ही रिक्शा चालकों को भी ई-रिक्शा संचालन में आसानी रहेगी. एडीएफओ मानस सिंह ने बताया कि उद्यान में 93 ई-रिक्शा की स्वीकृति प्रदान की गई है. चालक 50 ई-रिक्शा खरीदकर ले आए हैं. इनके लिए उद्यान में ही चार्जिंग प्वाइंट भी तैयार करवा दिए हैं, जहां ये रिक्शा चार्ज कर सकेंगे. धीरे-धीरे अन्य जरूरी सुविधाएं भी मुहैया कराई जाएंगी.
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शुल्क में संशोधन का प्रस्ताव भेजाः एडीएफओ मानस सिंह ने बताया कि फिलहाल ई-रिक्शा में अधिकतम 4 पर्यटक बैठ सकते हैं, जिनका तीन घंटे का 1200 रुपए शुल्क लगेगा. यदि कम पर्यटक भी एक ई-रिक्शा लेकर उद्यान में घूमते हैं, तो भी यही शुल्क लागू रहेगा. इसमें संशोधन के लिए प्रस्ताव तैयार कर सरकार को भेजा है. उन्होंने बताया कि फिलहाल 10 पर्यटकों के ग्रुप के लिए एक नेचर गाइड अनिवार्य है. लेकिन हमने सरकार को प्रति ई-रिक्शा के साथ एक नेचर गाइड की अनिवार्यता व अन्य संशोधन के लिए भी प्रस्ताव भेजा है. अब देखना यह है कि उच्चाधिकारी शुल्क और नेचर गाइड को लेकर क्या मंजूरी प्रदान करते हैं.