भरतपुर. विश्व प्रसिद्ध केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान इन दिनों प्रबंधन की अदूरदर्शिता का शिकार हो रहा है. बिना प्लानिंग के उद्यान में कराए जा रहे विकास कार्यों का खामियाजा घना पक्षी अभयारण्य की जैवविविधता को उठाना पड़ेगा. पर्यावरणविदों ने उद्यान में पर्यटन सीजन व पक्षियों के प्रजननकाल में चल रहे कार्यों को लेकर चिंता जताई है. पर्यावरणविदों का तो यहां तक कहना है कि यदि उद्यान में इसी तरह बिना प्लानिंग के काम होते रहे और इसकी बेहतरी के प्रयास नहीं किए गए तो आने वाले समय में उद्यान की अच्छाई पुराने फोटो और वीडियो में सिमट कर रह जाएगी.
प्रवासकाल में काम कराना गलत - पर्यावरणविद डॉक्टर सत्य प्रकाश मेहरा ने कहा कि केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में यह समय पक्षियों के प्रवास और प्रजनन का है. इसलिए इस समय में उद्यान के अंदर डिग्गी खुदाई और अन्य कार्य कराना गलत है. इसका सीधा असर प्रवासी पक्षियों पर पड़ेगा. डॉ मेहरा ने कहा कि यदि उद्यान प्रबंधन को कार्य कराना ही था, तो गर्मियों के मौसम में कराते, जिस समय उद्यान में प्रवासी पक्षी नहीं होते.
बहुत नुकसान उठा चुका घना - डॉक्टर सत्य प्रकाश मेहरा ने कहा कि उद्यान में ऐसा पहली बार नहीं हो रहा कि बिना प्लानिंग के गलत समय पर कार्य कराए जा रहे हैं. पहले भी कई गलत निर्णय लिए जा चुके हैं, जिनका खामियाजा आज तक उद्यान उठा रहा है. डॉ मेहरा ने कहा कि उद्यान के आसपास भी पर्यटन के नाम पर कंक्रीट का जंगल खड़ा हो गया है, लेकिन जिम्मेदारों का इस तरफ कोई ध्यान नहीं है. उद्यान के अंदर भी यदि कोई कार्य कराना है तो जैव विविधता को ध्यान में रखकर कराना चाहिए.
लिप्त हो चुके कई जीव और पक्षी - डॉक्टर सत्य प्रकाश मेहरा ने कहा कि केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में एक तरफ तो पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं मिल रहा, दूसरी तरफ प्रबंधन का गैर जिम्मेदाराना रवैया इसको नुकसान पहुंचा रहा है. यही वजह है कि बीते वर्षों में प्रवासी पक्षियों की कई प्रजातियां तो यहां से मुंह मोड़ चुकी हैं. कई जीव अब यहां देखने को नहीं मिलते. साइबेरियन सारस इसका सबसे बड़ा उदाहरण है.
ये हो रहा घना पक्षी अभयारण्य में - गौरतलब है कि उद्यान के ओ ब्लॉक में डिग्गी का निर्माण किया जा रहा है. उद्यान प्रशासन की ओर से कराए जा रहे इस कार्य में जेसीबी और ट्रैक्टर ट्रॉली का इस्तेमाल किया जा रहा है. उद्यान के अंदर से कई ब्लॉकों में सड़क के दोनों तरफ की झाड़ियों को काट दिया गया है. इससे छोटे पक्षियों का हैबिटेट भी खत्म हो रहा है. उद्यान में चल रहे काम को बंद कराने के लिए एक पक्षी प्रेमी प्रभाव बेनरा ने ऑनलाइन हस्ताक्षर अभियान छेड़ रखा है. और भी कई पक्षी प्रेमियों ने इसके खिलाफ आवाज उठा रखी है.
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